जेठ माह गरमी को महीनो भजन Jeth Maas Garami Ko Mahino Lyrics Meaning
आया बगुला प्रेम का,
और तिनका उड़ाया कास,
तिनका तिनके में मिला,
तिनका तिन के पास।
सागर उमड़ा प्रेम का,
खेवटिया कोइ एक,
सब प्रेमी मिलि बूड़ते,
जो यह नहिं होता टेक,
भक्ति भाव भादो नदी,
सबहि चले गहराय,
सरिता सोइ सराहिये,
जेठ मास ठहराय।
जेठ मास गर्मी को रे महीनों,
प्रेम प्यास लग जावे,
प्रेम प्यास लग जावे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
आषाढ़ महीना में आसाजो लागी,
इंदर चढ़ कर आवे हां हां रे,
बरसे मूसलधार म्हारो साहिबा,
जमीन थाप घर आवे
धरती थाप घर आवे
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
सावन में साहेब घर आया,
सखीया रे मंगल गावे,
पांच सखी मिल गावे बधावा,
गाय गुरु ने सुणावे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
भादवो भक्ति को रे महीनो,
गुरु बिना जीव दुख पावे,
चेला गुरु जी के शीश कहिए,
चरणों में शीश नवाया,
दयालु म्हणे याद थमारी आवे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
और तिनका उड़ाया कास,
तिनका तिनके में मिला,
तिनका तिन के पास।
सागर उमड़ा प्रेम का,
खेवटिया कोइ एक,
सब प्रेमी मिलि बूड़ते,
जो यह नहिं होता टेक,
भक्ति भाव भादो नदी,
सबहि चले गहराय,
सरिता सोइ सराहिये,
जेठ मास ठहराय।
जेठ मास गर्मी को रे महीनों,
प्रेम प्यास लग जावे,
प्रेम प्यास लग जावे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
आषाढ़ महीना में आसाजो लागी,
इंदर चढ़ कर आवे हां हां रे,
बरसे मूसलधार म्हारो साहिबा,
जमीन थाप घर आवे
धरती थाप घर आवे
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
सावन में साहेब घर आया,
सखीया रे मंगल गावे,
पांच सखी मिल गावे बधावा,
गाय गुरु ने सुणावे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
भादवो भक्ति को रे महीनो,
गुरु बिना जीव दुख पावे,
चेला गुरु जी के शीश कहिए,
चरणों में शीश नवाया,
दयालु म्हणे याद थमारी आवे,
गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी,
म्हाने म्हाने याद तमारी आवे।
आया बगुला प्रेम का, और तिनका उड़ाया कास,
तिनका तिनके में मिला, तिनका तिन के पास।
निर्मल बगुला भक्ति में लीन हो जाता है और सम्पूर्ण बंधनों से मुक्त हो जाता है। तिनके रूपी आत्मा निर्मल और भारविहीन होकर आकाश की और उठती है और पूर्ण ब्रह्म में एकाकार हो जाती है। प्रेम का महत्त्व है की जीवात्मा समस्त बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्र हो उठती है। तिनका तिनके में ही मिल जाना से आशय है की जीवात्मा में ब्रह्म का अंश है तो एक रोज उसी में समां जाता है।
सागर उमड़ा प्रेम का, खेवटिया कोइ एक, सब प्रेमी मिलि बूड़ते, जो यह नहिं होता टेक : प्रेम/भक्ति का सागर उमड़ पड़ता है, सम्पूर्ण वेग से ऊपर की और उफान मारता है। इसके अपने बस में कोई बिरला ही कर पाता है। सभी प्रेमी मिलकर यदि इसे नियंत्रित करते तो यह दशा नहीं होती।
भक्ति भाव भादो नदी, सबहि चले गहराय, सरिता सोइ सराहिये, जेठ मास ठहराय: भादो के महीने में सभी नदियाँ जल से भरी रहती हैं। लेकिन उस नदी का अधिक महत्त्व है जो जेठ के महीने में, गर्मियों में भी पानी से भरी रहती है। इसलिए भक्ति ऐसी होनी चाहिए जो सदा बनी रहे, विपरीत स्थितियों में ही वह परिपूर्ण रहे।
जेठ मास गर्मी को रे महीनों, प्रेम प्यास लग जावे : जेठ के महीने में प्रेम की प्यास अधिकता से लग जाती है।
प्रेम प्यास लग जावे, गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे : ऐसे में गुरु जी हमें आपकी याद आती है।
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी, म्हाने म्हाने याद तमारी आवे : हमें आपकी ओल्यू/याद आती है। तमारी से आशय आपकी से है।
आषाढ़ महीना में आसाजो लागी, इंदर चढ़ कर आवे हां हां रे : आषाढ़ महीने में इंद्र देव सवार होकर आते हैं।
बरसे मूसलधार म्हारो साहिबा, जमीन थाप घर आवे : मूसलधार बरसात होती है और जमीन पानी से गीली हो जाती है।
सावन में साहेब घर आया, सखीया रे मंगल गावे : सावन में गुरु घर पर आते हैं और सखियाँ मिल कर मंगल गाती हैं। पाँचों इन्द्रियों को पांच सखी कहा गया है।
तिनका तिनके में मिला, तिनका तिन के पास।
निर्मल बगुला भक्ति में लीन हो जाता है और सम्पूर्ण बंधनों से मुक्त हो जाता है। तिनके रूपी आत्मा निर्मल और भारविहीन होकर आकाश की और उठती है और पूर्ण ब्रह्म में एकाकार हो जाती है। प्रेम का महत्त्व है की जीवात्मा समस्त बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्र हो उठती है। तिनका तिनके में ही मिल जाना से आशय है की जीवात्मा में ब्रह्म का अंश है तो एक रोज उसी में समां जाता है।
सागर उमड़ा प्रेम का, खेवटिया कोइ एक, सब प्रेमी मिलि बूड़ते, जो यह नहिं होता टेक : प्रेम/भक्ति का सागर उमड़ पड़ता है, सम्पूर्ण वेग से ऊपर की और उफान मारता है। इसके अपने बस में कोई बिरला ही कर पाता है। सभी प्रेमी मिलकर यदि इसे नियंत्रित करते तो यह दशा नहीं होती।
भक्ति भाव भादो नदी, सबहि चले गहराय, सरिता सोइ सराहिये, जेठ मास ठहराय: भादो के महीने में सभी नदियाँ जल से भरी रहती हैं। लेकिन उस नदी का अधिक महत्त्व है जो जेठ के महीने में, गर्मियों में भी पानी से भरी रहती है। इसलिए भक्ति ऐसी होनी चाहिए जो सदा बनी रहे, विपरीत स्थितियों में ही वह परिपूर्ण रहे।
जेठ मास गर्मी को रे महीनों, प्रेम प्यास लग जावे : जेठ के महीने में प्रेम की प्यास अधिकता से लग जाती है।
प्रेम प्यास लग जावे, गुरुजी म्हाने याद तमारी आवे : ऐसे में गुरु जी हमें आपकी याद आती है।
ओळ्यू आप री आवे गुरूजी, म्हाने म्हाने याद तमारी आवे : हमें आपकी ओल्यू/याद आती है। तमारी से आशय आपकी से है।
आषाढ़ महीना में आसाजो लागी, इंदर चढ़ कर आवे हां हां रे : आषाढ़ महीने में इंद्र देव सवार होकर आते हैं।
बरसे मूसलधार म्हारो साहिबा, जमीन थाप घर आवे : मूसलधार बरसात होती है और जमीन पानी से गीली हो जाती है।
सावन में साहेब घर आया, सखीया रे मंगल गावे : सावन में गुरु घर पर आते हैं और सखियाँ मिल कर मंगल गाती हैं। पाँचों इन्द्रियों को पांच सखी कहा गया है।
जेठ माह गरमी को महीनो - मोहन लाल राठौर Jeth Maas Garmi Ko Mahino (कबीर भजन) गायक-मोहनलाल राठौर
Aaya Bagula Prem Ka,
Aur Tinaka Udaaya Kaas,
Tinaka Tinake Mein Mila,
Tinaka Tin Ke Paas.
Saagar Umada Prem Ka,
Khevatiya Koi Ek,
Sab Premi Mili Budate,
Jo Yah Nahin Hota Tek,
Bhakti Bhaav Bhaado Nadi,
Sabahi Chale Gaharaay,
Sarita Soi Saraahiye,
Jeth Maas Thaharaay.
Jeth Maas Garmi Ko Re Mahinon,
Prem Pyaas Lag Jaave,
Prem Pyaas Lag Jaave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Aashaadh Mahina Mein Aasaajo Laagi,
Indar Chadh Kar Aave Haan Haan Re,
Barase Musaladhaar Mhaaro Saahiba,
Jamin Thaap Ghar Aave
Dharati Thaap Ghar Aave
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Saavan Mein Saaheb Ghar Aaya,
Sakhiya Re Mangal Gaave,
Paanch Sakhi Mil Gaave Badhaava,
Gaay Guru Ne Sunaave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Bhaadavo Bhakti Ko Re Mahino,
Guru Bina Jiv Dukh Paave,
Chela Guru Ji Ke Shish Kahie,
Charanon Mein Shish Navaaya,
Dayaalu Mhane Yaad Thamaari Aave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Aur Tinaka Udaaya Kaas,
Tinaka Tinake Mein Mila,
Tinaka Tin Ke Paas.
Saagar Umada Prem Ka,
Khevatiya Koi Ek,
Sab Premi Mili Budate,
Jo Yah Nahin Hota Tek,
Bhakti Bhaav Bhaado Nadi,
Sabahi Chale Gaharaay,
Sarita Soi Saraahiye,
Jeth Maas Thaharaay.
Jeth Maas Garmi Ko Re Mahinon,
Prem Pyaas Lag Jaave,
Prem Pyaas Lag Jaave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Aashaadh Mahina Mein Aasaajo Laagi,
Indar Chadh Kar Aave Haan Haan Re,
Barase Musaladhaar Mhaaro Saahiba,
Jamin Thaap Ghar Aave
Dharati Thaap Ghar Aave
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Saavan Mein Saaheb Ghar Aaya,
Sakhiya Re Mangal Gaave,
Paanch Sakhi Mil Gaave Badhaava,
Gaay Guru Ne Sunaave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
Bhaadavo Bhakti Ko Re Mahino,
Guru Bina Jiv Dukh Paave,
Chela Guru Ji Ke Shish Kahie,
Charanon Mein Shish Navaaya,
Dayaalu Mhane Yaad Thamaari Aave,
Guruji Mhaane Yaad Tamaari Aave
Olyu Aap Ri Aave Guruji,
Mhaane Mhaane Yaad Tamaari Aave.
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- केहि समुझावौ सब जग अंधा Kehi Samujhaavo Sab Jag Andhaa
- सुनता है गुरु ज्ञानी Sunta Hai Guru Gyani
- अमीया झरे हो साधो अमीया झरे Amiya Jhare Ho Sadho Amiya Jhare
- पानी बिच मीन पियासी Paani Beech Meen Pyasi Kabir Bhajan By Jagjit Singh
- माया महा ठगनी हम जानी Maya Maha Thagini Hum Jani Kabir Bhajan
- हेलिए किण संग करां मैं स्नेह Heli Kin Sang Karan Saneh Kabir Bhajan