आछे दिन पाछे गए
गुरु से किया नहीं हेत,
अब पछतावे क्या करें
जब चिड़िया चुग गयी खेत,
( आछे दिन पाछे गये, हरि सो किया ना हेत।
अब पछितावा क्या करै, चिड़िया चुगि गयी खेत।।)
भक्ति बीज है प्रेम का, और ना प्रकटे पृथ्वी माय,
कहैं कबीर बोया घना, और निपजे एक माय,
(भक्ति बीज है प्रेम का, परगट पृथ्वी मांहि ।
कहैं कबीर बोया घणा, और निपजे एक नाहीं )
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
अब तो मन में चेत रे,
तू अब तो दिल में चेत रे,
एजी चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
गुरु के नाम से आंटी रे,
अब कुण चढ़ावे थारी घाटी रे,
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख जाग रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
थारे गुरूजी बतावेगा भेद रे,
थारे कटे करम की रेख रे,
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
थोड़ो समझ देख ले आखिर रे,
अब गाडर खहि ज्यो आखिर रे,
गुरु से किया नहीं हेत,
अब पछतावे क्या करें
जब चिड़िया चुग गयी खेत,
( आछे दिन पाछे गये, हरि सो किया ना हेत।
अब पछितावा क्या करै, चिड़िया चुगि गयी खेत।।)
भक्ति बीज है प्रेम का, और ना प्रकटे पृथ्वी माय,
कहैं कबीर बोया घना, और निपजे एक माय,
(भक्ति बीज है प्रेम का, परगट पृथ्वी मांहि ।
कहैं कबीर बोया घणा, और निपजे एक नाहीं )
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
अब तो मन में चेत रे,
तू अब तो दिल में चेत रे,
एजी चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
गुरु के नाम से आंटी रे,
अब कुण चढ़ावे थारी घाटी रे,
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख जाग रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
थारे गुरूजी बतावेगा भेद रे,
थारे कटे करम की रेख रे,
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
थोड़ो समझ देख ले आखिर रे,
अब गाडर खहि ज्यो आखिर रे,
गाडर -गाडी। यहाँ शरीर को गाडी कहा गया है जिसका नाश तुमने कर दिया है, इसकी उपयोगिता को नहीं समझा।
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
गुरु चरण दास की वाणी रे
जिन सार शब्द पहचानी रे
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
गुरु चरण दास की वाणी रे
जिन सार शब्द पहचानी रे
नर नुगरा रे,
अरे अब तो मूरख चेत रे,
अरे अब तो दिल में चेत रे,
अरे चेत रे नर चेत रे,
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे,
नर नुगरा रे,
अब तो मन में चेत रे,
ओ जी अब तो मन में चेत रे।
चेत रे नर चेत रे थारो चिड़िया भजन मीनिंग
आछे दिन पाछे गए गुरु से किया नहीं हेत, : अच्छे दिन तो गुज़र गए, निकल गए। जब शरीर में सामर्थ्य था वही अच्छे दिन थे। जब यौवन था तो गुरु और गुरु की शिक्षाओं से हेत नहीं किया, प्रेम नहीं किया, ध्यान नहीं दिया। साहेब ने अनेकों स्थान पर कहा है की जब तक शरीर में जान होती है व्यक्ति माया के भ्रम में रहता है और इस जगत को स्थाई रूप से अपना ठिकाना मानने लगता है। वह यह नहीं सोचता है की यह तो सराय है, जाना है एक रोज सभी को, तो वह कैसे बच सकता है। जब वात कफ और पित्त घेर लेते हैं, शरीर रोगों का घर बन जाता है तो उसे ईश्वर याद आता है।अब पछतावे क्या करें, जब चिड़िया चुग गयी खेत : अब पछताने से क्या फायदा होने वाला है, अच्छा समय तो तुमने बिता दिया। अब चिड़िया खेत को चुग गई है। विषय वासना और माया का भरम ही चिड़िया है और मानव जीवन खेत के समान है। इस खेत को बड़े यतन के उपरान्त पाया लेकिन इसका महत्त्व नहीं समझ पाए और चिड़िया को खेत चुगने दिया।
( आछे दिन पाछे गये, हरि सो किया ना हेत।
अब पछितावा क्या करै, चिड़िया चुगि गयी खेत।।)
भक्ति बीज है प्रेम का, और ना प्रकटे पृथ्वी माय : भक्ति एक तरह से बीज के समान है। यह पृथ्वी में ही अंकुरित होती है।
कहैं कबीर बोया घना, और निपजे एक माय : जैसे बीज अनेकों बोये जाते हैं लेकिन एक आध ही पूर्ण रूप से पल्ल्वित हो पाता है, ऐसे ही भक्ति का पूर्ण रूप से प्राकट्य किसी ख़ास व्यक्ति में हो पाता है जो इसे शिद्द्त से करें।
(भक्ति बीज है प्रेम का, परगट पृथ्वी मांहि ।
कहैं कबीर बोया घणा, और निपजे एक नाहीं )
अरे चेत रे नर चेत रे : चेत-जागो, चिड़िया-माया, नर-जीवात्मा : कबीर साहेब कहते हैं की जीवात्मा तुम जागो और देखो की तुम्हारे खेत में चिड़िया चुग गई है। तुमने अज्ञान के अन्धकार में स्वंय का ही नुकसान कर लिया है। मानव जीवन का उद्देश्य माया को इकठ्ठा करना नहीं अपितु मालिक के नाम का सुमिरण करना है।
गुरु के नाम से आंटी रे, अब कुण चढ़ावे थारी घाटी रे : आंटी -मरोड़ होना, दुरी होना, थारी-तुम्हारी, घाटी-पहाड़। गुरु के नाम से तुम्हारी बनती नहीं है, तुमने गुरु को कभी माना ही नहीं। अब ऐसे में तुमको पहाड़ी पर कौन चढ़ावे, कौन तुमको भक्ति मार्ग के कठिन राह के ऊपर आगे बढ़ाएं ?
नर नुगरा रे : नुगरा-अहसान फ़रामोश। जीवात्मा को नुगरा कहा गया है क्योंकि वह मालिक को ही भूल गई है। वह बागों में आकर भँवरे की भाँती मस्त हो गई है लेकिन वह भूल गई की ये तो दो दिन है फिर ?
थारे गुरूजी बतावेगा भेद रे, थारे कटे करम की रेख रे : गुरु ही तुमको भेद की बातें, रहस्य को बताएँगे जो गूढ़ है, सतही नहीं। इस ज्ञान के कारण तुम्हारे कर्मों की रेखा, कर्मों का परिणाम का जो बंधन है वह कटेगा।
चेत रे नर चेत रे थारो चिड़िया भजन लिरिक्स मीनिंग Chet Re Nar Chet Re Bhajan Lyrics Meaning
Guru Se Kiya Nahin Het,
Ab Pachhataave Kya Karen
Jab Chidiya Chug Gayi Khet,
( Aachhe Din Paachhe Gaye, Hari So Kiya Na Het.
Ab Pachhitaava Kya Karai, Chidiya Chugi Gayi Khet..)
Bhakti Bij Hai Prem Ka, Aur Na Prakate Prthvi Maay,
Kahain Kabir Boya Ghana, Aur Nipaje Ek Maay,
(Bhakti Bij Hai Prem Ka, Paragat Prthvi Maanhi .
Kahain Kabir Boya Ghana, Aur Nipaje Ek Naahin )
Are Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re,
Ab To Man Mein Chet Re,
Tu Ab To Dil Mein Chet Re,
Eji Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re.
Guru Ke Naam Se Aanti Re,
Ab Kun Chadhaave Thaari Ghaati Re,
Nar Nugara Re,
Are Ab To Murakh Jaag Re,
Are Ab To Dil Mein Chet Re,
Are Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re,
Nar Nugara Re,
Ab To Man Mein Chet Re,
O Ji Ab To Man Mein Chet Re.
Thaare Guruji Bataavega Bhed Re,
Thaare Kate Karam Ki Rekh Re,
Nar Nugara Re,
Are Ab To Murakh Chet Re,
Are Ab To Dil Mein Chet Re,
Are Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re,
Nar Nugara Re,
Ab To Man Mein Chet Re,
O Ji Ab To Man Mein Chet Re.
Thodo Samajh Dekh Le Aakhir Re,
Ab Dhaadhar Khahi Jyo Aakhir Re,
Nar Nugara Re,
Are Ab To Murakh Chet Re,
Are Ab To Dil Mein Chet Re,
Are Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re,
Nar Nugara Re,
Ab To Man Mein Chet Re,
O Ji Ab To Man Mein Chet Re.
Guru Charan Daas Ki Vaani Re
Jin Saar Shabd Pahachaani Re
Nar Nugara Re,
Are Ab To Murakh Chet Re,
Are Ab To Dil Mein Chet Re,
Are Chet Re Nar Chet Re,
Thaaro Chidiya Chug Gayi Khet Re,
Nar Nugara Re,
Ab To Man Mein Chet Re,
O Ji Ab To Man Mein Chet Re.
SINGER-ANIL NAGORI
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Author - Saroj Jangir
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