झीणो झीणो उड़े रे गुलाल प्रभुजी
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल प्रभुजी थारा मन्दीरये भजन
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
वासुपुज्य स्वामी बालाजी म्हारा,
भव दु:ख भजन हार,
प्रभुजी थाने घनी खम्मा,
मोहनी मुरत लागे है प्यारी,
तीन लोक रा नाथ, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
शरने थोरे आया प्रभुजी,
मुक्ती ना आप दातार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
समवसरन मे आप विराजो,
मुक्ती ना आप दातार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
दिदार तारो झगमग सोहे,
आनन्द आज अपार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
विमलविद्या मन्डल आयो शरणे,
तारनवाला तो आप, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
वासुपुज्य स्वामी बालाजी म्हारा,
भव दु:ख भजन हार,
प्रभुजी थाने घनी खम्मा,
मोहनी मुरत लागे है प्यारी,
तीन लोक रा नाथ, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
शरने थोरे आया प्रभुजी,
मुक्ती ना आप दातार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
समवसरन मे आप विराजो,
मुक्ती ना आप दातार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
दिदार तारो झगमग सोहे,
आनन्द आज अपार, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
विमलविद्या मन्डल आयो शरणे,
तारनवाला तो आप, प्रभुजी,
झीणो झीणो उड़े रे गुलाल,
प्रभुजी थारा मन्दीरये
मन्दीर रे दादा मन्दीरये।
Zino Zino Re Ude Lal Re Gulal by Amey Date | Parshwanath Swami Bhaktigeet
Jhino Jhino Ude Re Gulaal,
Prabhuji Thaara Mandiraye
Mandir Re Daada Mandiraye.
Prabhuji Thaara Mandiraye
Mandir Re Daada Mandiraye.
प्रभु के मंदिर में गुलाल उड़ता है, मानो हर कण में उनकी कृपा बिखर रही हो। वासुपुज्य स्वामी और बालाजी के दर्शन से मन के सारे दुख-दर्द छू मंतर हो जाते हैं। उनकी मोहनी मूरत इतनी प्यारी लगती है कि तीनों लोकों का नाथ सामने खड़ा हो। शरण में आने वाला कभी खाली नहीं जाता। प्रभु मुक्ति के दाता हैं, जो हर भटके को राह दिखाते हैं। समवसरन में उनकी मौजूदगी मन को आनंद से भर देती है, जैसे दर्शन की चमक से सारा अंधेरा दूर हो जाए। विमल विद्या का मंडल उनकी शरण में आने से ही खिलता है। वो तारनहार हैं, जो हर आत्मा को पार लगाते हैं। गुलाल की तरह उनका प्रेम हल्का-हल्का उड़ता है, जो मन को शांति और खुशी से रंग देता है।
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