माफ करी साड्डा बोलिया चालिया भजन

माफ करी साड्डा बोलिया चालिया भजन

 
माफ करी साड्डा बोलिया चालिया Maaf Kari Sada Boliya Chaliya Maaf Kari Narendra Chanchal

माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी,
ऐसी दर दर दे दुत्कारें,
दाती आ बैठे तेरे द्वारे,
माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी।

असी भुल्लण हारे दाती,
भुल्ला कित्तियाँ ने,
की दस्सिए दाती,
की साड्डे नॉल बित्तियाँ ने,
सानू माईए चरणी ला के,
साड्डी दिल चो भुल्ल भुल्ला के,
माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी।

असी पंछी हाँ तेरे बागा दे,
कल उड जाना,
अस्सी फेर पलट के,
दाती वापस नई आणा,
साडे पंख वी छोटे छोटे ने,
साडे कर्म बड़े ही खोटे ने,
माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी।

साडे नैना दे विच प्यास हैं,
तेरे दर्शन दी,
सानू अज्जे वी आस हैं,
माए तेरे दर्शन दी,
सानू दे दर्शन इक वारी,
तेरी खिल्ली रहे फुलवारी,
माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी।

चंचल दा माइये तेरे सिवा,
कोई होर नहीं,
तेरी मर्ज़ी उत्ते चलदा,
किसे दा जोर नहीं,
साडी पिछ्ली भुल्ल विसारो,
साडा अगला जन्म सवारो,
माफ करी,
साड्डा बोलिया चालिया,
माफ करी।


Maaf Karin Sada Boleya Chaleya · Narendra Chanchal · Surinder Kohli · Namrata Narendra Chanchal

Lyrics Provided by Shri "Anil Bhopal" Ji in Punjabi (Gurumukhi)
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ
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ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ ll
*ਅਸੀਂ, ਦਰ ਦਰ ਦੇ ਦੁਤਕਾਰੇ,
ਦਾਤੀ, ਆ ਬੈਠੇ ਤੇਰੇ ਦਵਾਰੇ,,,
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ ll

ਅਸੀਂ ਭੁੱਲਣਹਾਰੇ ਦਾਤੀ, ਭੁੱਲਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਨੇ l
ਕੀ ਦੱਸੀਏ ਦਾਤੀ, ਕੀ ਸਾਡੇ ਨਾਲ, ਬੀਤੀਆਂ ਨੇ l
*ਸਾਨੂੰ, ਮਾਈਏ ਚਰਣੀ ਲਾ ਕੇ ll,
ਸਾਡੀ ਦਿਲ 'ਚੋਂ, ਭੁੱਲ ਭੁਲਾ ਕੇ,,,
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ,,,,,,,,,,,F

ਅਸੀਂ ਪੰਛੀ ਹਾਂ, ਤੇਰੇ ਬਾਗਾਂ ਦੇ, ਕੱਲ੍ਹ ਉੱਡ ਜਾਣਾ l
ਅਸੀਂ ਫੇਰ, ਪਲਟ ਕੇ ਦਾਤੀ, ਵਾਪਸ ਨਹੀਂ ਆਣਾ l
*ਸਾਡੇ ਪੰਖ ਵੀ, ਛੋਟੇ ਛੋਟੇ ਨੇ,
ਸਾਡੇ ਕਰਮ ਵੀ, ਬੜੇ ਖੋਟੇ ਨੇ,,,
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ,,,,,,,,,,,F

ਸਾਡੇ ਨੈਣਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ, ਪਿਆਸ ਹੈ, ਤੇਰੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਦੀ l
ਸਾਨੂੰ ਅਜੇ ਤੀਕ ਵੀ, ਆਸ ਹੈ, ਤੇਰੇ ਦਰਸ਼ਨ ਦੀ l
*ਸਾਨੂੰ, ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਇੱਕ ਵਾਰੀ,
ਤੇਰੀ ਖਿੜ੍ਹੀ ਰਹੇ ਫੁੱਲਵਾੜੀ,,,
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ,,,,,,,,,,,F

ਚੰਚਲ ਦਾ ਮਾਈਏ, ਤੇਰੇ ਸਿਵਾ, ਕੋਈ ਹੋਰ ਨਹੀਂ l
ਤੇਰੀ ਮਰਜ਼ੀ ਉੱਤੇ, ਚੱਲਦਾ ਕਿਸੇ ਦਾ, ਜ਼ੋਰ ਨਹੀਂ l
*ਸਾਡੀ, ਪਿੱਛਲੀ ਭੁੱਲ ਵਿਸਾਰੋ ll,
ਸਾਡੀ ਅਗਲਾ ਜਨਮ ਸੰਵਾਰੋ,,,
ਮਾਫ਼ ਕਰੀਂ, ਸਾਡਾ ਬੋਲਿਆ ਚਾਲਿਆ,,,,,,,,,,,F
ਅਪਲੋਡਰ- ਅਨਿਲਰਾਮੂਰਤੀਭੋਪਾਲ

यह भजन एक भक्त की करुण पुकार है, जो माँ की शरण में अपनी भूलों और कमियों के लिए क्षमा माँगता है। भक्त अपने अपराधों और गलतियों को स्वीकार करते हुए माँ के चरणों में शरण लेता है, यह विश्वास रखते हुए कि माँ की कृपा ही उसे उसके पापों से मुक्ति दिला सकती है। वह माँ से अपनी गलतियों को भुलाकर उसे अपने हृदय में स्थान देने की प्रार्थना करता है, यह मानते हुए कि उसका जीवन माँ की दया के बिना अधूरा है। भक्त स्वयं को माँ के बगीचे का एक छोटा-सा पंछी मानता है, जिसके पंख छोटे और कर्म खोटे हैं, परंतु वह माँ के दर्शन और कृपा की आस में उनके द्वार पर आया है। यह भक्ति भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि माँ की करुणा से ही जीवन की हर भूल और कमी को सुधारा जा सकता है, और भक्त का जीवन सार्थक बन सकता है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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