जे मन लागै एक सूँ तो निरबाल्या मीनिंग

जे मन लागै एक सूँ तो निरबाल्या जाइ मीनिंग

जे मन लागै एक सूँ, तो निरबाल्या जाइ।
तूरा दुइ मुखि बाजणाँ न्याइ तमाचे खाइ॥
Je Man Laage Ek Syu, To Nirbaalya Jaai,
Tura Dui Mukhi Baajana Nyaai Tamache Khaai.

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ

जे मन लागै एक सूँ : यदि एक से ही ध्यान जोड़ा गया है।
निरबाल्या : निस्तार, निर्वाह हो जाएगा.
तूरा : एक तरह का बाजा।
दुइ मुखि : दोनों तरफ से ( दो तरफ से बजने वाला बाजा)
बाजणाँ : बजता है.
न्याइ : के समान।
तमाचे खाइ :
ठोकर खाता है, तमाचा खाता है। 

कबीर साहेब की वाणी है की यदि एक पूर्ण परमात्मा का सुमिरण किया जाए तो उसका जीवन सफल हो जाता है. यदि एक को छोड़कर अन्य की आस की जाए तो भक्ति व्यर्थ है. भक्ति तभी सफल है जब पूर्ण रूप से उस एक ही निराकार का सुमिरण किया जाए. उदाहरण के रूप से एक मुख से एक ही तुरही/बाजा ठीक तरह से बजता है. यदि एक मुख से दो बाजे एक साथ बजाने की कोशिश होती है तो निश्चित
ही वह तमाचा खाता है. अद्वेत भाव से जो भक्ति करता है वह भक्ति सफल होती है, द्वेत भाव भटकाव उत्पन्न करता है और साधक गंतव्य तक नहीं पंहुच सकता है. जब एक को साध लिया जाए तो बाकी अन्य सब सध जाते हैं.  जैसे की रहीम साहेब की वाणी है-
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय॥
सबका मूल एक ही है, उसका सुमिरण ही सब मार्गों का सार है, अद्वैत ही श्रेष्ठ मार्ग है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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