ऐसा अद्भूत जिनि कथै हिंदी मीनिंग
ऐसा अद्भूत जिनि कथै मीनिंग
ऐसा अद्भूत जिनि कथै, अद्भुत राखि लुकाइ
बेद कुरानों गमि नहीं, कह्याँ न को पतियाइ॥
बेद कुरानों गमि नहीं, कह्याँ न को पतियाइ॥
Aisa Adbhut Jini Kathe, Adbhut Raakhi Lukaai,
Bed Kuraanon Gami Nahi, Kaha Na Ko Patiyaa.
ऐसा अद्भूत : ऐसा विचित्र.
जिनि कथै : जिसका कथन कर पाना संभव नहीं है.
अद्भुत राखि लुकाइ : ऐसे अद्भुद को, विचित्र को रहस्य ही रहने दिया जाए, छिपा हुआ (लुकाई) रहना.
बेद कुरानों : वेद कुरआन आदि शास्त्र.
गमि नहीं : गमन नहीं कर पाए हैं, पंहुच पाए हैं.
पतियाई : कोई विशवास नहीं करेगा.
जिनि कथै : जिसका कथन कर पाना संभव नहीं है.
अद्भुत राखि लुकाइ : ऐसे अद्भुद को, विचित्र को रहस्य ही रहने दिया जाए, छिपा हुआ (लुकाई) रहना.
बेद कुरानों : वेद कुरआन आदि शास्त्र.
गमि नहीं : गमन नहीं कर पाए हैं, पंहुच पाए हैं.
पतियाई : कोई विशवास नहीं करेगा.
कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा तुम व्यर्थ में क्यों कोशिश कर रहे हो, जिसे पूर्व में वर्णित करने का प्रयत्न किया जा चूका है उसे तुम क्यों परिभाषित करने में लगे हो? वह अद्भुद है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है. वह पूर्ण ब्रह्म ऐसा है जिसके पास तो वेद और कुरआन जैसे बड़े धार्मिक ग्रन्थ भी पंहुच सके हैं तो तुम क्यों व्यर्थ में समय खराब कर रहे हो. यदि तुम उसे परिभाषित करने का प्रयत्न भी करते हो तो तुम्हारा यकीन कौन करेगा.
कबीर साहेब की इस साखी का मूल भाव है की पूर्ण ब्रह्म का कोई आकार नहीं है, ना तो वह वजनी है और नाहीं हल्का है, क्योंकि वह आकार की सीमाओं से परे है. सम्पूर्ण श्रष्टि में वह व्याप्त है लेकिन मिलता कहीं पर नहीं. खोजने वाला हो तो पल भर की तलाश में ही वह प्राप्त हो जाता है.
कबीर साहेब की इस साखी का मूल भाव है की पूर्ण ब्रह्म का कोई आकार नहीं है, ना तो वह वजनी है और नाहीं हल्का है, क्योंकि वह आकार की सीमाओं से परे है. सम्पूर्ण श्रष्टि में वह व्याप्त है लेकिन मिलता कहीं पर नहीं. खोजने वाला हो तो पल भर की तलाश में ही वह प्राप्त हो जाता है.
तो क्यों नहीं उस रहस्य को रहस्य ही रहने दिया जाय और हमारे समय को मात्र हरी सुमिरण में ही लगाया जाय. हरी सुमिरण को कबीर साहेब ने समस्त शास्त्रीय ज्ञान के स्थान पर, समस्त अन्य प्रचलित मार्ग यथा योग, तपस्या आदि को व्यर्थ माना है.