भारी कहौं त बहु डरौ हलका कहूँ तो झूठ मीनिंग कबीर के दोहे

भारी कहौं त बहु डरौ हलका कहूँ तो झूठ मीनिंग Bhari Kaho Te Bahu Daro Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning.

भारी कहौं त बहु डरौ, हलका कहूँ तो झूठ।
मैं का जाँणौं राम कूं, नैनूं कबहुं न दीठ॥

Bhaari Kaha Te Bahu Daro, Halak Kahu To Jhooth,
Main Ka Jana Raam Ku, Nainu Kabahu Na Deeth.
 
भारी कहौं त बहु डरौ हलका कहूँ तो झूठ मीनिंग Bhari Kaho Te Bahu Daro Meaning Kabir Ke Dohe

 

भारी : वजनी, साकार रूप में.
डरौ : डर लगता है.
हलका : हल्का.
मैं का : मैंने कब.
जाँणौं राम कूं : राम को जानता, मैं कैसे राम को जानूं.
नैनूं : आखों से.
कबहुं न : कभी नहीं.
दीठ : देखा, देखना.

कबीर साहेब कहते हैं की मैं राम के विषय में क्या बता सकता हूँ, मैंने राम को कभी देखा नहीं है. ब्रह्म को यदि मैं भारी कहूँ तो डर है की लोग उसे साकार समझने लगेंगे. यदि मैं उसे हल्का कह दूँ तो भी मिथ्या है, झूठ है क्योंकि उसे किसी आकार में ढालना उचित नहीं है. आगे कबीर साहेब कहते हैं की मैंने कैसे उसके आकार का वर्णन कर सकता हूँ, क्योंकि मैंने तो उसे अपनी आखों से देखा ही नहीं है. उसका कोई आकार नहीं है, वह तो निराकार है, उसे देखा नहीं जा सकता है. 

राम के विषय में बताते हुए कबीर साहेब कहते हैं की राम के विषय में, इव्हर के विषय में कुछ कहना कठिन है ब्रह्म को अगर मैं भारी कह दूँ, तो आशय है कि लोग उसे साकार रूप में विचार करने लगेंगे। यदि मैं उसे हलका कह दूँ, तो भी यह मिथ्या हो जाएगा, क्योंकि उसे किसी निश्चित रूप में ढालना उचित नहीं है। आगे कबीर जी कहते हैं कि मैं कैसे उसके आकार का वर्णन कर सकता हूँ, मैंने तो उसे अपनी आँखों से देखा ही नहीं है। वह किसी आकार में नहीं है, वह निराकार है, उसे देखना असम्भव है।
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