जाजो रे भाई म्हारा इना समुन्दर पार भजन लिरिक्स Jaajo Re Bhai Mhara Ina Samundar Paar Lyrics

जाजो रे भाई म्हारा इना समुन्दर पार भजन लिरिक्स Jaajo Re Bhai Mhara Ina Samundar Paar Lyrics, Kabir Bhajan by Shabnam Virmaani

मालवा क्षेत्र का यह एक कबीर भजन है जिसका गूढ़ अर्थ है लेकिन जितना मेरे समझ में आया है मैं आपको यहाँ पर बता रही हूँ। यदि आपके पास कोई बेहतर व्याख्या है तो अवश्य ही बताएं। जीवात्मा का संवाद है की जाओ और इस भव सागर के पार से ऐसे मोती लेकर आओ जो किसी माला का भाग ना हो, जिसे पिरोया ना गया हो। यह लोकप्रचलित मान्यताओं से विपरीत अजपा जाप जैसा ही है। एक रोज प्राणों की चिड़िया उड़कर फिर किसी जगह पर अपना घर बना लेती है। सांसारिकता से मन उचट गया है क्योंकि यहाँ पर समस्त व्यापार मायाजनित और स्वार्थगत ही है। मन का फटना ऐसे ही है जैसे दूध का फटना। 

जाजो जाजो रे,
भाई म्हारा जाजो
इना समुन्दर पार,
मोतीड़ा लाजो रे साधो,
अणबीन्दिया


मिल गया मिल गया रे,
हीरा मिल गया
मिल गया लख दोई चार,
मन का मोती रे साधो,
ना मिल्या

मिल ल्यो मिल ल्यो रे,
लंबी बांह पसार
अब के बिछड़या रे साधो,
कद मिलांगा जी?

उड़ गयी उड़ गयी रे,
इना बन की चिडि़या
अपना मंदर वासा फ़िर किया जी  

पड़ गयी पड़ गयी रे,
इना मायला में गांठ
डोरी टूटे रे गांठण,
ना छूटे हो जी

फ़ाट्या फ़ाट्या रे,
सूर्या गाय का दूध
दूध फ़ाटे से जामण,
ना जमे हो जी  

बोल्या बोल्या रे,
बोल्या धारू प्रहलाद
जुग जुग मिलो
इना साधू को हो जी

जाजो जाजो रे भाई म्हारा जाजो : जाओ, जाओ भाई मेरा जाओ। इस समुद्र के पार जाओ और मोती को लेकर आओ।
इना समुन्दर पार : इस समुद्र से पार।
मोतीड़ा लाजो रे साधो,  अणबीन्दिया : ऐसे मोती को लेकर आओ जो किसी माला में पिरोया ना गया हो।
मिल गया मिल गया रे : मुझे मिल गया है, मुझे मोती मिल गया है।
हीरा मिल गया : हीरा मिल गया है।
मिल गया लख दोई चार : लाखो में से दो चार।
मन का मोती रे साधो,  ना मिल्या : लेकिन मन का मोती मुझे नहीं मिला है।
मिल ल्यो मिल ल्यो रे : लम्बी बांह खोल कर आपस में मिल लो।
लंबी बांह पसार: लम्बे बांह खोल कर।
अब के बिछड़या रे साधो, कद मिलांगा जी : अबकी बार यदि बिछड़ गए तो जाने कब मिलेंगे।
उड़ गयी उड़ गयी रे, इना बन की चिडि़या : इस वन की चिड़िया उड़ गई है।
अपना मंदर वासा फ़िर किया जी  : उसने अपना नया घर बना लिया है।
पड़ गयी पड़ गयी रे, इना मायला में गांठ : मेरे मन की गहराई में गाँठ पड़ गई है।
डोरी टूटे रे गांठण, ना छूटे हो जी : मेरे हृदय में जो गाँठ लगी है वह इतनी जोर से लगी है जिससे डोरी टूट गई है लेकिन गाँठ नहीं खुली है।
फ़ाट्या फ़ाट्या रे, सूर्या गाय का दूध : सूर्या गाय का दूध फट गया है।
दूध फ़ाटे से जामण,  ना जमे हो जी : फ़टे हुए दूध से जामण नहीं लगता है।
बोल्या बोल्या रे,  बोल्या धारू प्रहलाद : ध्रुव प्रह्लाद कहते हैं।
जुग जुग मिलो इना साधू को हो जी : मुझे युगों युगों तक ऐसे ही साधू की संगत मिले। 

'Jaajo Jaajo' (Dhruv Prahlad)

 Jaajo Jaajo Re,
Bhai Mhaara Jaajo
Ina Samundar Paar,
Motida Laajo Re Saadho,
Anabindiya

Mil Gaya Mil Gaya Re,
Hira Mil Gaya
Mil Gaya Lakh Doi Chaar,
Man Ka Moti Re Saadho,
Na Milya

Mil Lyo Mil Lyo Re,
Lambi Baanh Pasaar
Ab Ke Bichhadaya Re Saadho,
Kad Milaanga Ji?

Ud Gayi Ud Gayi Re,
Ina Ban Ki Chidiya
Apana Mandar Vaasa Fir Kiya Ji  

Pad Gayi Pad Gayi Re,
Ina Maayala Mein Gaanth
Dori Tute Re Gaanthan,
Na Chhute Ho Ji

Faatya Faatya Re,
Surya Gaay Ka Dudh
Dudh Faate Se Jaaman,
Na Jame Ho Ji  

Bolya Bolya Re,
Bolya Dhaaru Prahalaad
Jug Jug Milo
Ina Saadhu Ko Ho Ji
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