कठे सूं आई सूंठ लिरिक्स Kathe Su Aai Sooth Meaning Rajasthani Folk Song Marwadi Folk Song by Seema Mishra
इस राजस्थानी लोकगीत में नायिका और उसकी ननद के मध्य का संवाद है। इसका हिंदी अर्थ निचे दिया गया है। आपको यह लोकगीत अवश्य ही पसंद आएगा।
कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो,
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो।
जयपुर से आई सूँठ, दिल्ली से आयो जीरो,
कलकत्ते से आयो, प्यारी भावज म्हारो बीरो,
या क्यामें आई सूंठ, काहे में आयो जीरो,
काहे में आयो रै, भोळी बाई थारो बीरो,
गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटां पे आयो जीरो,
रैलां में आयो प्यारी भावज़ म्हारो बीरो।
खिण्ड गई सूंठ बिखर गयो जीरो,
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भावज म्हारो बीरो,
म्हें चुग लेस्याँ सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो,
मनाय लेस्या ए भोळी भाई थारो बीरो,
काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो,
काहे में चाहीजे प्यारी भावज म्हारो बीरो,
जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो,
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो,
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो,
कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो,
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो।
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो।
जयपुर से आई सूँठ, दिल्ली से आयो जीरो,
कलकत्ते से आयो, प्यारी भावज म्हारो बीरो,
या क्यामें आई सूंठ, काहे में आयो जीरो,
काहे में आयो रै, भोळी बाई थारो बीरो,
गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटां पे आयो जीरो,
रैलां में आयो प्यारी भावज़ म्हारो बीरो।
खिण्ड गई सूंठ बिखर गयो जीरो,
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भावज म्हारो बीरो,
म्हें चुग लेस्याँ सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो,
मनाय लेस्या ए भोळी भाई थारो बीरो,
काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो,
काहे में चाहीजे प्यारी भावज म्हारो बीरो,
जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो,
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो,
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो,
कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो,
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो।
कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो : सूंठ कहाँ से आई है और जीरा कहाँ से आया है। कठे -कहाँ, सूं -से।
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो : और मेरी भोली भाली बाई (बहन) कहाँ से तुम्हारा भाई आया है।
जयपुर से आई सूँठ, दिल्ली से आयो जीरो : जयपुर से सूंठ आई है और दिल्ली से जीरा आया है।
कलकत्ते से आयो, प्यारी भावज म्हारो बीरो : मेरी प्यारी भावज (भाभी) कलकत्ते से मेरा बीरा (भाई ) आया है।
या क्यामें आई सूंठ, काहे में आयो जीरो : यह सूंठ किसमें आई है और जीरा किसमें आया है ?
काहे में आयो रै, भोळी बाई थारो बीरो : और मेरी भोली बाई यह बताओं की तुम्हारा बीरा (स्वंय का पति) किसमें आया है।
गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटां पे आयो जीरो : गाडी में सूंठ आई है और ऊंटों से जीरा आया है।
रैलां में आयो प्यारी भावज़ म्हारो बीरो : मेरा बीरा ( भाई) रेलगाड़ी (रेलां ) में आया है।
खिण्ड गई सूंठ बिखर गयो जीरो : सूंठ तो बिखर गई है (गिरने से) और जीरा बिखर गया है।
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भावज म्हारो बीरो : और मेरा प्यारा भाई रूठ गया है।
म्हें चुग लेस्याँ सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो : नायिका कहती है की मैं सूंठ को चुग लुंगी (निचे से उठाकर बीन लुंगी/एकत्रित कर लुंगी ) और जीरा को पछाड़ लेस्या से आशय है की ध्यान से इकठ्ठा कर लुंगी।
मनाय लेस्या ए भोळी भाई थारो बीरो : और मैं तुम्हारे भाई को मना लुंगी।
काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो : सूंठ का उपयोग कहाँ पर होता है और जीरे का उपयोग कहा पर होता है, प्रयोजन क्या है ? चाहे-उपयोग हेतु चाहिए।
काहे में चाहीजे प्यारी भावज म्हारो बीरो : और यह बताओं की तुम्हारे भाई का क्या उपयोग है ?
जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो : सूंठ का उपयोग गर्भकाल के समय होता है। जापा-प्रसव काल। प्रसव के समय स्त्री एक ही स्थान पर सोइ हुई रहती है जिससे उसके शरीर में वायु का प्रकोप बढ़ जाता है। बढे हुए वात को शांत करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार के उद्देश्य से सौंठ खिलाई जाती है। सब्जी बनाने के लिए तड़के के रूप में रसोई में जीरा चाहिए।
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो : महलों में तुम्हारे भाई की आवश्यकता होती है।
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो : सेज पर तुम्हारा भाई चाहिए।
कठे से आयो रे, भोळी बाई थारो बीरो : और मेरी भोली भाली बाई (बहन) कहाँ से तुम्हारा भाई आया है।
जयपुर से आई सूँठ, दिल्ली से आयो जीरो : जयपुर से सूंठ आई है और दिल्ली से जीरा आया है।
कलकत्ते से आयो, प्यारी भावज म्हारो बीरो : मेरी प्यारी भावज (भाभी) कलकत्ते से मेरा बीरा (भाई ) आया है।
या क्यामें आई सूंठ, काहे में आयो जीरो : यह सूंठ किसमें आई है और जीरा किसमें आया है ?
काहे में आयो रै, भोळी बाई थारो बीरो : और मेरी भोली बाई यह बताओं की तुम्हारा बीरा (स्वंय का पति) किसमें आया है।
गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटां पे आयो जीरो : गाडी में सूंठ आई है और ऊंटों से जीरा आया है।
रैलां में आयो प्यारी भावज़ म्हारो बीरो : मेरा बीरा ( भाई) रेलगाड़ी (रेलां ) में आया है।
खिण्ड गई सूंठ बिखर गयो जीरो : सूंठ तो बिखर गई है (गिरने से) और जीरा बिखर गया है।
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भावज म्हारो बीरो : और मेरा प्यारा भाई रूठ गया है।
म्हें चुग लेस्याँ सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो : नायिका कहती है की मैं सूंठ को चुग लुंगी (निचे से उठाकर बीन लुंगी/एकत्रित कर लुंगी ) और जीरा को पछाड़ लेस्या से आशय है की ध्यान से इकठ्ठा कर लुंगी।
मनाय लेस्या ए भोळी भाई थारो बीरो : और मैं तुम्हारे भाई को मना लुंगी।
काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो : सूंठ का उपयोग कहाँ पर होता है और जीरे का उपयोग कहा पर होता है, प्रयोजन क्या है ? चाहे-उपयोग हेतु चाहिए।
काहे में चाहीजे प्यारी भावज म्हारो बीरो : और यह बताओं की तुम्हारे भाई का क्या उपयोग है ?
जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो : सूंठ का उपयोग गर्भकाल के समय होता है। जापा-प्रसव काल। प्रसव के समय स्त्री एक ही स्थान पर सोइ हुई रहती है जिससे उसके शरीर में वायु का प्रकोप बढ़ जाता है। बढे हुए वात को शांत करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार के उद्देश्य से सौंठ खिलाई जाती है। सब्जी बनाने के लिए तड़के के रूप में रसोई में जीरा चाहिए।
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो : महलों में तुम्हारे भाई की आवश्यकता होती है।
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो : सेज पर तुम्हारा भाई चाहिए।
Kathe Se Aayee Soonth-राजस्थानी फोक सांग
Kathe Se Aayo Re, Bholi Bai Thaaro Biro.
Jayapur Se Aai Sunth, Dilli Se Aayo Jiro,
Kalakatte Se Aayo, Pyaari Bhaavaj Mhaaro Biro,
Ya Kyaamen Aai Sunth, Kaahe Mein Aayo Jiro,
Kaahe Mein Aayo Rai, Bholi Bai Thaaro Biro,
Gaadi Mein Aai Sunth, untaan Pe Aayo Jiro,
Railaan Mein Aayo Pyaari Bhaavaz Mhaaro Biro.
Khind Gai Sunth Bikhar Gayo Jiro,
O Ruth Gayo Ai Pyaari Bhaavaj Mhaaro Biro,
Mhen Chug Lesyaan Sunth Pachhaad Lesya Jiro,
Manaay Lesya E Bholi Bhai Thaaro Biro,
Kaahe Mein Chaahe Sunth, Kaahe Mein Chaahe Jiro,
Kaahe Mein Chaahije Pyaari Bhaavaj Mhaaro Biro,
Jaape Mein Chaahe Sunth, Rasoya Chaahe Jiro,
Mahalaan Mein Chaahije Bholi Bhai Thaaro Biro,
Sejaan Pe Chaahije Bholi Bhai Thaaro Biro,
Kathe Sun Aai Sunth, Kathe Sun Aayo Jiro,
Kathe Se Aayo Re, Bholi Bai Thaaro Biro.
Author - Saroj Jangir
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