पल्लो लटके सांग लिरिक्स Pallo Latake Lyrics Rajasthani Folk Song Meaning (Marwadi Folk Song Lyrics with Hindi Meaning)
पल्लो लटके,
रे म्हारो, पल्लो लटके,
पल्लो लटके,
रे म्हारों, पल्लो लटके,
जरा सो, ज़रा सो,
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा,
म्हारो पल्लो लटके
पल्लो लटके गौरी रो,
पल्लो लटके,
जरा सो, जरा सो,
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी,
पल्लो भीग जावे लो।
लाल मंगायो पोमचो जी,
हरी लगाई कोर,
अंगिया रेसम पाट की,
बी पर दादर पे मोर,
जरा सो, ज़रा सो,
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा,
म्हारो पल्लो लटके
घूँघट में बिजल्यां चमकावे,
गौरी थारी आँख,
मद जोबन में आंधी हो री,
निचाने तो झाँक
जरा सो, जरा सो,
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी,
पल्लो भीग जावे लो।
लहंगों घेर घुमेर,
म्हारी चुनड़ गोटेदार,
छम छम करती चालूँ,
म्हारे पल्ले ने फटकार,
जरा सो, ज़रा सो,
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा,
म्हारो पल्लो लटके
सौ मोहरां की अंगिया थारी,
लाख मोहर को लहँगों,
ज्यादा ऊँचो मत कर लीजै,
नहीं पड़ेगो महँगो
जरा सो, जरा सो,
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी,
पल्लो भीग जावे लो।
पल्लो लटके,
रे म्हारो, पल्लो लटके,
पल्लो लटके,
रे म्हारों, पल्लो लटके,
जरा सो, ज़रा सो,
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा,
म्हारो पल्लो लटके
पल्लो लटके गौरी रो,
पल्लो लटके,
जरा सो, जरा सो,
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी,
पल्लो भीग जावे लो।
पल्लो लटके, रे म्हारो, पल्लो लटके : मेरी चुनरी (ओढनी ) का पल्ला (छोर) लटक रहा है। म्हारो-मेरा/मेरी।
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा, म्हारो पल्लो लटके : तुम (प्रिय) जरा सा साइड में हो जाओ, मेरा पल्ला लटक रहा है। टेढ़ा होने से आशय है की तुम मेरे पल्ले के बीच में मत आओ, दूर हट जाओ।
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी, पल्लो भीग जावे लो : इस पर नायक कहता है की तुम जरा सा इसको ऊँचा ले लो नहीं तो यह निचे पानी के संपर्क में आने पर भीग जाएगा।
लाल मंगायो पोमचो जी, हरी लगाई कोर : मैंने मेरे ओढ़ने (ओढ़नी) को लाल रंग का पोमचा (एक तरह की ओढ़नी जिसके बीच में केसरिया/गहरा लाल रंग का गोला बना होता है ) मंगवाया है और इसके छोर पर, किनारों (किनारी) पर हरे रंग की कोर लगाईं है। कोर-जरी की एक स्ट्रिप जो पोमचे के किनारों पर लगाईं जाती है।
अंगिया रेशम पाट की, बी पर दादर पे मोर : अंगिया रेशम की बनी हुई है। पाट से आशय कपडे से है, रेशम का कपड़ा। बीपर-उस पर। रेशम की अंगिया है और उस पर दादर मोर बना हुआ है। दादर मोर- बरसात के मौसम में मोर पंख खोल कर आनंदित होकर नृत्य करता है जिसे दादर मोर कहते हैं।
घूँघट में बिजल्यां चमकावे गौरी थारी आँख : घूँघट की आड़ में तुम्हारी आँखें बिजली चमकाती हैं।
मद जोबन में आंधी हो री, निचाने तो झाँक : जौबन/यौवन के मद (पागलपन) में तुम अंधी हो रही हो, निचे की तरफ भी देखो। आशय है की तुम्हारे पल्ले को देखो यह पानी में भीग रहा है।
लहंगों घेर घुमेर, म्हारी चुनड़ गोटेदार : मेरा लहंगा घेर घुमेर है और मेरी चुनरी गोटेदार हैं। गोटा- यह एक तरह का जरी का काम होता है जिसमे चमकीले रंग से फूल पट्टियां और आकृतियां पल्ले पर लगाईं जाती हैं। जयपुर शहर गोटे के काम के लिए प्रसिद्द है।
छम छम करती चालूँ, म्हारे पल्ले ने फटकार : मैं छम छम करती हुई चलूंगी और मेरे पल्ले से फटकार मारूंगी। मैं अदा के साथ चलूंगी।
सौ मोहरां की अंगिया थारी, लाख मोहर को लहँगों : मेरी अंगिया सौ मोहर की (रुपयों) की है और लाख मोहर का लहंगा है।
ज्यादा ऊँचो मत कर लीजै, नहीं पड़ेगो महँगो : इसे ज्यादा ऊँचा करके मत चलो नहीं तो सौदा महंगा पड़ेगा।
जरा सो, टेढ़ो हो जा बालमा, म्हारो पल्लो लटके : तुम (प्रिय) जरा सा साइड में हो जाओ, मेरा पल्ला लटक रहा है। टेढ़ा होने से आशय है की तुम मेरे पल्ले के बीच में मत आओ, दूर हट जाओ।
जरा सो, ऊँचों ले ले गौरी, पल्लो भीग जावे लो : इस पर नायक कहता है की तुम जरा सा इसको ऊँचा ले लो नहीं तो यह निचे पानी के संपर्क में आने पर भीग जाएगा।
लाल मंगायो पोमचो जी, हरी लगाई कोर : मैंने मेरे ओढ़ने (ओढ़नी) को लाल रंग का पोमचा (एक तरह की ओढ़नी जिसके बीच में केसरिया/गहरा लाल रंग का गोला बना होता है ) मंगवाया है और इसके छोर पर, किनारों (किनारी) पर हरे रंग की कोर लगाईं है। कोर-जरी की एक स्ट्रिप जो पोमचे के किनारों पर लगाईं जाती है।
अंगिया रेशम पाट की, बी पर दादर पे मोर : अंगिया रेशम की बनी हुई है। पाट से आशय कपडे से है, रेशम का कपड़ा। बीपर-उस पर। रेशम की अंगिया है और उस पर दादर मोर बना हुआ है। दादर मोर- बरसात के मौसम में मोर पंख खोल कर आनंदित होकर नृत्य करता है जिसे दादर मोर कहते हैं।
घूँघट में बिजल्यां चमकावे गौरी थारी आँख : घूँघट की आड़ में तुम्हारी आँखें बिजली चमकाती हैं।
मद जोबन में आंधी हो री, निचाने तो झाँक : जौबन/यौवन के मद (पागलपन) में तुम अंधी हो रही हो, निचे की तरफ भी देखो। आशय है की तुम्हारे पल्ले को देखो यह पानी में भीग रहा है।
लहंगों घेर घुमेर, म्हारी चुनड़ गोटेदार : मेरा लहंगा घेर घुमेर है और मेरी चुनरी गोटेदार हैं। गोटा- यह एक तरह का जरी का काम होता है जिसमे चमकीले रंग से फूल पट्टियां और आकृतियां पल्ले पर लगाईं जाती हैं। जयपुर शहर गोटे के काम के लिए प्रसिद्द है।
छम छम करती चालूँ, म्हारे पल्ले ने फटकार : मैं छम छम करती हुई चलूंगी और मेरे पल्ले से फटकार मारूंगी। मैं अदा के साथ चलूंगी।
सौ मोहरां की अंगिया थारी, लाख मोहर को लहँगों : मेरी अंगिया सौ मोहर की (रुपयों) की है और लाख मोहर का लहंगा है।
ज्यादा ऊँचो मत कर लीजै, नहीं पड़ेगो महँगो : इसे ज्यादा ऊँचा करके मत चलो नहीं तो सौदा महंगा पड़ेगा।
Pallo Latke | पल्लो लटके | Best Rajasthani Song | Seema Mishra | Veena Music
Re Mhaaro, Pallo Latake,
Pallo Latake,
Re Mhaaron, Pallo Latake,
Jara So, Zara So,
Jara So, Tedho Ho Ja Baalama,
Mhaaro Pallo Latake
Pallo Latake Gauri Ro,
Pallo Latake,
Jara So, Jara So,
Jara So, unchon Le Le Gauri,
Pallo Bhig Jaave Lo.
Laal Mangaayo Pomacho Ji,
Hari Lagai Kor,
Angiya Resam Paat Ki,
Bee Par Daadar Pe Mor,
Jara So, Zara So,
Jara So, Tedho Ho Ja Baalama,
Mhaaro Pallo Latake
Ghunghat Mein Bijalyaan Chamakaave,
Gauri Thaari Aankh,
Mad Joban Mein Aandhi Ho Ri,
Nichaane To Jhaank
Jara So, Jara So,
Jara So, unchon Le Le Gauri,
Pallo Bhig Jaave Lo.
Lahangon Gher Ghumer,
Mhaari Chunad Gotedaar,
Chham Chham Karati Chaalun,
Mhaare Palle Ne Phatakaar,
Jara So, Zara So,
Jara So, Tedho Ho Ja Baalama,
Mhaaro Pallo Latake
Sau Moharaan Ki Angiya Thaari,
Laakh Mohar Ko Lahangon,
Jyaada uncho Mat Kar Lijai,
Nahin Padego Mahango
Jara So, Jara So,
Jara So, unchon Le Le Gauri,
Pallo Bhig Jaave Lo.
Pallo Latake,
Re Mhaaro, Pallo Latake,
Pallo Latake,
Re Mhaaron, Pallo Latake,
Jara So, Zara So,
Jara So, Tedho Ho Ja Baalama,
Mhaaro Pallo Latake
Pallo Latake Gauri Ro,
Pallo Latake,
Jara So, Jara So,
Jara So, unchon Le Le Gauri,
Pallo Bhig Jaave Lo.