कबीरा सोया क्या करे,
उठ भजे भगवान,
जम जब धर ले जाएंगे,
पड़ी रहेगी म्यान।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै,
जळ ऊंडो रै संसार,
दौरों तिरणो रै,
माया रो मोटो जाळ,
गरब नहीं करणों रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
सुमता कुमता नार,
दोय पटराणी रै,
दोनों रो और स्वभाव,
संत पिछाणी रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
आ गई रै कुमता नार,
कुबदा कर गई रै,
म्हाने नाखीयो चौरासी माँय ,
जनम डुबा गई,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
आ गई रै सुमता नार,
सुध बुध दे गई,
म्हानें तारियो चौरासी रे माँय,
जनम सुधार गई,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
ओ मैं तो किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान,
उठ उठ भागे रै,
ज्यारां हिरदा बड़ा रै कठोर,
रंग नहीं लागे रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
नाभि कमल रे माँय,
गंगा खळकी,
अड़ा रै उड़द रे बीच,
गंगा खळकी रै,
एतो केवे संत कबीर,
भगती करणी रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
उठ भजे भगवान,
जम जब धर ले जाएंगे,
पड़ी रहेगी म्यान।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै,
जळ ऊंडो रै संसार,
दौरों तिरणो रै,
माया रो मोटो जाळ,
गरब नहीं करणों रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
सुमता कुमता नार,
दोय पटराणी रै,
दोनों रो और स्वभाव,
संत पिछाणी रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
आ गई रै कुमता नार,
कुबदा कर गई रै,
म्हाने नाखीयो चौरासी माँय ,
जनम डुबा गई,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
आ गई रै सुमता नार,
सुध बुध दे गई,
म्हानें तारियो चौरासी रे माँय,
जनम सुधार गई,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
ओ मैं तो किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान,
उठ उठ भागे रै,
ज्यारां हिरदा बड़ा रै कठोर,
रंग नहीं लागे रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
नाभि कमल रे माँय,
गंगा खळकी,
अड़ा रै उड़द रे बीच,
गंगा खळकी रै,
एतो केवे संत कबीर,
भगती करणी रै,
सुण सुण म्हारां मनवा बीर,
ऐड़ी नहीं करणी रै।
किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान भजन लिरिक्स Kin Ne Sunaau Guru Gyaan Bhajan Lyrics Hindi Meaning (Rajasthani Bhajan Meaning Hindi)
कबीरा सोया क्या करे, उठ भजे भगवान : कबीर साहेब का सन्देश है की अज्ञानता की निंद्रा में क्यों सो रहे हो ? उठो और हरी का सुमिरन करो।
जम जब धर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान : जब यमराज के दूत पकड़ कर ले जाएंगे तो अश्त्र शस्त्र सभी पड़े ही रह जाएंगे।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर, ऐड़ी नहीं करणी रै : मन से संवाद है की ऐसा काम (एड़ी) नहीं करना है।
जळ ऊंडो रै संसार, दौरों तिरणो रै : इस जगत में माया रूपी जल बहुत ही गहरा है, इसको तैर कर पार करना मुश्किल (दौरा ) है।
माया रो मोटो जाळ, गरब नहीं करणों रै : माया का बहुत गहरा (मोटा) जाल है, इसलिए गर्व मत करो।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर, ऐड़ी नहीं करणी रै : मेरे मन रूपी भाई (बीर ) सुनों अच्छे सद्मार्ग का अनुसरण करो, ऐसा (माया जनित व्यवहार) मत करना।
सुमता कुमता नार, दोय पटराणी रै : सुमता और कुमता दोनों स्त्रियां हैं जो माया का ही रूप हैं।
दोनों रो और स्वभाव, संत पिछाणी रै : इनकी क्रियाओं को संत ही पहचान सकते हैं।
आ गई रै कुमता नार, कुबदा कर गई रै : जब कुमता (कुबुद्धि) आती है तो कुबध (कुकर्म) ही करवाती है।
म्हाने नाखीयो चौरासी माँय , जनम डुबा गई : जीवात्मा को, मुझे (म्हाने) चौरासी के चक्र में फेंक गई (नाखियो) है। मेरा जन्म ही व्यर्थ कर गई है।
आ गई रै सुमता नार सुध बुध दे गई : सुमता के आने पर, सुमति रूपी नार (स्त्री) के आने पर अच्छी बुद्धि प्राप्त होती है जो भक्ति के लिए प्रेरित करती है।
म्हानें तारियो चौरासी रे माँय, जनम सुधार गई : सुमता ने मुझको चौरासी के फेर से तिराया (तैर कर ऊपर उठाना) है और मेरा जनम सुधार दिया है।
ओ मैं तो किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान, उठ उठ भागे रै : मैं गुरुं ज्ञान को किसको सुनाऊ, लोग उठ उठ कर दौड़ पड़ते हैं, कोई गुरु ज्ञान में रूचि नहीं लेता है।
ज्यारां हिरदा बड़ा रै कठोर, रंग नहीं लागे रै : इनके हृदय माया के प्रभाव में आकर कठोर हो चुके हैं, उन पर किसी प्रकार का कोई रंग नहीं लगता है।
जम जब धर ले जाएंगे, पड़ी रहेगी म्यान : जब यमराज के दूत पकड़ कर ले जाएंगे तो अश्त्र शस्त्र सभी पड़े ही रह जाएंगे।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर, ऐड़ी नहीं करणी रै : मन से संवाद है की ऐसा काम (एड़ी) नहीं करना है।
जळ ऊंडो रै संसार, दौरों तिरणो रै : इस जगत में माया रूपी जल बहुत ही गहरा है, इसको तैर कर पार करना मुश्किल (दौरा ) है।
माया रो मोटो जाळ, गरब नहीं करणों रै : माया का बहुत गहरा (मोटा) जाल है, इसलिए गर्व मत करो।
सुण सुण म्हारां मनवा बीर, ऐड़ी नहीं करणी रै : मेरे मन रूपी भाई (बीर ) सुनों अच्छे सद्मार्ग का अनुसरण करो, ऐसा (माया जनित व्यवहार) मत करना।
सुमता कुमता नार, दोय पटराणी रै : सुमता और कुमता दोनों स्त्रियां हैं जो माया का ही रूप हैं।
दोनों रो और स्वभाव, संत पिछाणी रै : इनकी क्रियाओं को संत ही पहचान सकते हैं।
आ गई रै कुमता नार, कुबदा कर गई रै : जब कुमता (कुबुद्धि) आती है तो कुबध (कुकर्म) ही करवाती है।
म्हाने नाखीयो चौरासी माँय , जनम डुबा गई : जीवात्मा को, मुझे (म्हाने) चौरासी के चक्र में फेंक गई (नाखियो) है। मेरा जन्म ही व्यर्थ कर गई है।
आ गई रै सुमता नार सुध बुध दे गई : सुमता के आने पर, सुमति रूपी नार (स्त्री) के आने पर अच्छी बुद्धि प्राप्त होती है जो भक्ति के लिए प्रेरित करती है।
म्हानें तारियो चौरासी रे माँय, जनम सुधार गई : सुमता ने मुझको चौरासी के फेर से तिराया (तैर कर ऊपर उठाना) है और मेरा जनम सुधार दिया है।
ओ मैं तो किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान, उठ उठ भागे रै : मैं गुरुं ज्ञान को किसको सुनाऊ, लोग उठ उठ कर दौड़ पड़ते हैं, कोई गुरु ज्ञान में रूचि नहीं लेता है।
ज्यारां हिरदा बड़ा रै कठोर, रंग नहीं लागे रै : इनके हृदय माया के प्रभाव में आकर कठोर हो चुके हैं, उन पर किसी प्रकार का कोई रंग नहीं लगता है।
Anil Nagori किण ने सुणाऊ गुरू ज्ञान ऊठ ऊठ भागे अनिल नागौरी
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