क्या लेके आया बंदा भजन Kya Leke Aaya Banda Bhajan
सुन्दर भजन जो सन्देश देता है की तुम क्या लेकर आये थे ? और क्या लेकर जाओगे। आया है सो जायेगा। ना तो हम कुछ लेकर आये हैं और नाहीं कुछ लेकर हमको यहाँ से जाना है। जैसे की कबीर साहेब की वाणी है "कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय। सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय" इस जगत रूपी सराय में सदा के लिए नहीं रहना है। यहाँ पर हम सभी मुसाफिर हैं। जब जीव जन्म लेता है तो उसकी मुट्ठी बंद होती है और मरते वक़्त हाथ खाली, भाव है की व्यर्थ ही इस माया के चक्कर में हमें परेशान नहीं होना चाहिए। जो शारीरिक बलवान थे और कहते थे की वे इस धरती को तीन बार तौल देंगे, वे कहाँ गए ? उनकी इतनी धाक थी की उनके सामने कोई बोलने वाला भी नहीं था। जो निर्भय थे वे अकेले ही चल दिए हैं। यह माया तो ना जाने कितनी बार गिनी जा चुकी है लेकिन इसे कोई छोड़ भी नहीं सकता है।
आया है सो जायेगा,
राजा रंक फ़कीर,
एक सिंहासन चढ़ चले,
एक बंधे जंजीर।
क्या लेके आया बंदा,
क्या लेके जाएगा,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस जगत सराये में,
मुसाफ़िर रहणा,
दो दिन का,
क्यों बिरथा करे गुमान,
मूरख इस धन और जौबन का,
बंद मुठी आया जग में,
खाली हाथ जायेगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
है कठे गया बलवान,
तीन बार धरती तोलणियाँ,
ज्यारी पड़ती धाक,
नाहीं कोई शामी बोलणियाँ,
निर्भय डोलणियाँ वो तो,
गया रै अकेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
नहीं छोड़ सका कोई,
माया गिणी गिणाई रै,
गढ किला री नींव,
छोड़ गया चिणी चिणाई रै,
चीणी चिनाईं रह गई,
आप है अकेला,
गया है अकेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस काया का है भाग,
भाग बिन पाया नहीं जाता,
कहे शर्मा बिना नसीब
तोड़ फल खाया नहीं जाता,
भव सागर से तिर ले बंदा,
हरी गुण गाय ले,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
क्या लेके आया बंदा,
क्या लेके जाएगा,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
राजा रंक फ़कीर,
एक सिंहासन चढ़ चले,
एक बंधे जंजीर।
क्या लेके आया बंदा,
क्या लेके जाएगा,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस जगत सराये में,
मुसाफ़िर रहणा,
दो दिन का,
क्यों बिरथा करे गुमान,
मूरख इस धन और जौबन का,
बंद मुठी आया जग में,
खाली हाथ जायेगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
है कठे गया बलवान,
तीन बार धरती तोलणियाँ,
ज्यारी पड़ती धाक,
नाहीं कोई शामी बोलणियाँ,
निर्भय डोलणियाँ वो तो,
गया रै अकेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
नहीं छोड़ सका कोई,
माया गिणी गिणाई रै,
गढ किला री नींव,
छोड़ गया चिणी चिणाई रै,
चीणी चिनाईं रह गई,
आप है अकेला,
गया है अकेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस काया का है भाग,
भाग बिन पाया नहीं जाता,
कहे शर्मा बिना नसीब
तोड़ फल खाया नहीं जाता,
भव सागर से तिर ले बंदा,
हरी गुण गाय ले,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
क्या लेके आया बंदा,
क्या लेके जाएगा,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिन्दगी है,
दो दिन का मेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
Kiya lake aya banda kiya leka jayga
Raaja Rank Fakir,
Ek Sinhaasan Chadh Chale,
Ek Bandhe Janjir.
Kya Leke Aaya Banda,
Kya Leke Jaega,
Kya Leke Jaega,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Is Jagat Saraaye Mein,
Musaafir Rahana,
Do Din Ka,
Kyon Biratha Kare Gumaan,
Murakh Is Dhan Aur Jauban Ka,
Band Muthi Aaya Jag Mein,
Khaali Haath Jaayega,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Hai Kathe Gaya Balavaan,
Tin Baar Dharati Tolaniyaan,
Jyaari Padati Dhaak,
Naahin Koi Shaami Bolaniyaan,
Nirbhay Dolaniyaan Vo To,
Gaya Rai Akela,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Nahin Chhod Saka Koi,
Maaya Gini Ginai Rai,
Gadh Kila Ri Ninv,
Chhod Gaya Chini Chinai Rai,
Chini Chinain Rah Gai,
Aap Hai Akela,
Gaya Hai Akela,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Is Kaaya Ka Hai Bhaag,
Bhaag Bin Paaya Nahin Jaata,
Kahe Sharma Bina Nasib
Tod Phal Khaaya Nahin Jaata,
Bhav Saagar Se Tir Le Banda,
Hari Gun Gaay Le,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Kya Leke Aaya Banda,
Kya Leke Jaega,
Kya Leke Jaega,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela,
Do Din Ki Jindagi Hai,
Do Din Ka Mela.
Author - Saroj Jangir
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