मैं वारी जाऊं रे बलिहारी जाऊं रे लिरिक्स मीनिंग
नारायण दास जी का यह भजन कबीर साहेब के विचारों का ही प्रतिबिम्ब है। जिसमें जीवात्मा सत्य को प्राप्त करने सबंधी अपने विचारों को प्रकट करती है। जीवात्मा का मन ही आंगन है और सत्य, सतगुरु है। सत्य के आगमन पर जीवात्मा जिसे बोध है वह गुरु के आत्मा रूपी आंगन में आने पर उसका बलिहारी जाता है, नमन करता है। सतगुरु देव जो वस्तुतः सत्य ही है, के आने पर आत्मा गंगा और गोमती नहा लेती है। इससे उसके भ्रम दूर होते हैं, भरम सारे मायाजनित होते हैं। अज्ञान के अँधेरे में कुछ स्पष्ट दिखाई नहीं देता है, अँधेरा छंट जाने पर सब कुछ स्पष्ट दिखाई देने लग जाता है।
तू तू करता तू भया,
मुझमें रही न हूं,
बारी तेरे नाम पर,
जित देखूँ तित तूँ।
मैं लगा उस एक से,
एक भया सब माहीं,
सब मेरा मैं सबन का,
तहाँ दूसरा नाहीं।
बुरा जो देखन मैं गया,
बुरा ना मिलिया कोय,
जो दिल खोजा अपना,
मुझसे बुरा नहीं कोय।
मुझमें रही न हूं,
बारी तेरे नाम पर,
जित देखूँ तित तूँ।
मैं लगा उस एक से,
एक भया सब माहीं,
सब मेरा मैं सबन का,
तहाँ दूसरा नाहीं।
बुरा जो देखन मैं गया,
बुरा ना मिलिया कोय,
जो दिल खोजा अपना,
मुझसे बुरा नहीं कोय।
मैं वारी जाऊं रे,
बलिहारी जाऊं रे
मेरा सतगुरु आँगन आया
मैं वारी जाऊं रे
सतगुरु आँगन आया,
गंगा गोमती न्हाया
मेरी निर्मल हो गयी काया
मैं वारी जाऊं रे
सब सखी मिलकर हालो,
केसर तिलक लगावो
घणे हेत सूं लेवो बधाई
मैं वारी जाऊं रे
सतगुरु दर्शन दीन्हा,
भाग उदय ही कीन्हा
मेरा धरम भरम सब छीना
मैं वारी जाऊं रे
सतसंग बन गयी भारी,
मंगला गाऊं चारी
मेरी खुली ह्रदय की बारी
मैं वारी जाऊं रे
दास नारायण जस गायो,
चरणों में सीस निमायो
मेरा सतगुरु पार उतारे
मैं वारी जाऊं रे
बलिहारी जाऊं रे
मेरा सतगुरु आँगन आया
मैं वारी जाऊं रे
सतगुरु आँगन आया,
गंगा गोमती न्हाया
मेरी निर्मल हो गयी काया
मैं वारी जाऊं रे
सब सखी मिलकर हालो,
केसर तिलक लगावो
घणे हेत सूं लेवो बधाई
मैं वारी जाऊं रे
सतगुरु दर्शन दीन्हा,
भाग उदय ही कीन्हा
मेरा धरम भरम सब छीना
मैं वारी जाऊं रे
सतसंग बन गयी भारी,
मंगला गाऊं चारी
मेरी खुली ह्रदय की बारी
मैं वारी जाऊं रे
दास नारायण जस गायो,
चरणों में सीस निमायो
मेरा सतगुरु पार उतारे
मैं वारी जाऊं रे
Main Vaari Jaaun Re (Poet: Narayan Das)
Balihaari Jaun Re
Mera Sataguru Aangan Aaya
Main Vaari Jaun Re
Sataguru Aangan Aaya,
Ganga Gomati Nhaaya
Meri Nirmal Ho Gayi Kaaya
Main Vaari Jaun Re
Sab Sakhi Milakar Haalo,
Kesar Tilak Lagaavo
Ghane Het Sun Levo Badhai
Main Vaari Jaun Re
Sataguru Darshan Dinha,
Bhaag Uday Hi Kinha
Mera Dharam Bharam Sab Chhina
Main Vaari Jaun Re
Satasang Ban Gayi Bhaari,
Mangala Gaun Chaari
Meri Khuli Hraday Ki Baari
Main Vaari Jaun Re
Daas Naaraayan Jas Gaayo,
Charanon Mein Sis Nimaayo
Mera Sataguru Paar Utaare
Main Vaari Jaun Re
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |