करता की गति अगम है हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे
करता की गति अगम है, तूँ चलि अपणैं उनमान।
धीरैं धीरैं पाव दे, पहुँचैगे परवान॥
धीरैं धीरैं पाव दे, पहुँचैगे परवान॥
Karta Ki Gati Agam Hai, Tu Chali Apane Unmaan,
Dheere Dheere Paanv De, Pahuchenge Parvaan.
करता : कर्ता, पूर्ण ब्रह्म, इश्वर.
की गति : की गति, के कार्य.
अगम है : अगम्य है, कठिन है, भेद पाना संभव नहीं है.
तूँ चलि अपणैं - :तुम चलो.
उनमान : अनुमान, अंदाजा.
धीरैं धीरैं पाव दे : धीरे धीरे पाँव आगे बढाकर.
परवान : प्रमाण, लक्ष्य.
की गति : की गति, के कार्य.
अगम है : अगम्य है, कठिन है, भेद पाना संभव नहीं है.
तूँ चलि अपणैं - :तुम चलो.
उनमान : अनुमान, अंदाजा.
धीरैं धीरैं पाव दे : धीरे धीरे पाँव आगे बढाकर.
परवान : प्रमाण, लक्ष्य.
करता की गति अगम है हिंदी मीनिंग
कबीर साहेब की वाणी है की यद्यपि इश्वर की गति अगम्य है, जिसे समझ पाना संभव नहीं है, जिसका अनुमान लगा पाना भी संभव नहीं है, लेकिन फिर भी साधक को चाहिए की वह धीरे धीरे अपने अनुमान से आगे बढ़ता रहे. इश्वर को पहचान पाना साधक के बस की बात नहीं है. साधना के मार्ग पर जल्दबाजी करना उचित नहीं, धीरे धीरे आगे बढ़ने में भलाई है. एक स्थान पर कबीर साहेब ने कहा है की इश्वर जैसा है उसे वैसा ही रहने दिया जाय, उसके स्वरुप की विवेचना करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि वेद और कुरान भी उसकी व्याख्या करने में असफल रहे है (ऐसा अद्भूत जिनि कथै, अद्भुत राखि लुकाइ, बेद कुरानों गमि नहीं, कह्याँ न को तियाइ॥)
पस्तुत साखी में सन्देश है की साधक को धैर्यपूर्वक साधना पथ पर आगे बढ़ना चाहिए, उसे अवश्य ही लक्ष्य की प्राप्ति होगी. यहाँ पर यह भाव भी प्राप्त होता है की भागवत प्रेम प्रत्यक्ष और प्रमाण की नहीं बल्कि सहज अनुभूति की बात है. प्रस्तुत साखी में विरोधाभाष अलंकार की व्यंजना हुई है.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |