ओढ़ भरम रो भाकलीयो भजन Odh Bharam Ro Bhakaliyo Bhajan

ओढ़ भरम रो भाकलीयो भजन Odh Bharam Ro Bhakaliyo Bhajan

 
Odh Bharam Ro Bhakaliyo Bhajan

ईश्वर रा गुण गावत गावत,
मालिक रा गुण गावत गावत,
ऐड़ो काई आयो थाने थाक लियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो

सत री संगत में कबहुँ ना बैठे,
मूरख राखे मन में टेढ़े,
अरे ज्यू ज्यू पापी पुरबला चैंटे,
कहयो नहीं माने कोई रे, बंदा,
तू जहर हलाहल चाट रहियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो।

मतलब का जी दसो दिशि भटकें,
अरे उठ प्रभाते जावे झट के,
पुन री बेला थारे पइसो खटके,
साँझ पड्या रह्यो सोय रै,
बन्दा, सोय ने फाड़ियो भाकलियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो।

कूड़ कपट में राजी बाजी,
हँस हँस बात बणावे ताजी,
जनम देई थारी जरणी लाजी,
मिनख जनम ने खोय रे,
बंदा, मिनक जनम नै खोई रै,
बंदा घोड़ों नरका हामी हाँक लियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो।

राम बिना थारों कोई नहीं संगी,
सिंह मूछ साथे नहीं ज्यासी,
एक बात थारे रह गई बाकी,
नाथ नहीं नाक में थारे,
नाथ नहीं नाक में थारे, बंदा,
टूट ने बांधीयो थाक लियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो।

कहे दाना राम सुणों मेरे प्यारे,
हरी हिसाब लेवे न्यारे न्यारे,
होँठ कंठ चिप ज्यासी थारे,
सायब रे तू सनमुख हुवेला,
सायब रे थू सनमुख वेला,
किकर बतावै थारो नाकलियो,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो,
नर गाफल मे क्यु सुतो रै,
ओढ़ भरम रो भाकलीयो। 

ओढ़ भरम रो भाकलीयो भजन हिंदी मीनिंग

ईश्वर रा गुण गावत गावत, ऐड़ो काई आयो थाने थाक लियो : ईश्वर के गुण, ईश्वर की महिमा को गाते हुए ऐसे क्या तुम थक गए हो, आलस्य क्यों है।
ओढ़ भरम रो भाकलीयो : भाकलियो : ऊंट के बालों से बना हुआ कंबल, जो बहुत मोटा होता था, बरसात का पानी भी उसके अंदर से रिसता नहीं था। ऐसे ही मूर्ख व्यक्ति मूर्खता को ओढ़ लेता है और ज्ञान को अंदर नहीं आने देता है।
नर गाफल मे क्यु सुतो रै : जीव/नर तुम ग़ाफ़िल होकर, मदमस्त होकर क्यों सो रहे हो ?
सत री संगत में कबहुँ ना बैठे, मूरख राखे मन में टेंटें, : तुम सत्य की संगत में कभी नहीं बैठे, तुम अपने मन ही मन में बातों को रखते हो। मन में टेंटें, रखने से आशय है दुराव और अलगाव और छद्म विचारों का रखना।
अरे ज्यू ज्यू पापी पुरबला चैंटे , कहयो नहीं माने कोई रे, बंदा : जैसे जैसे पूर्व जन्म के पाप जाग्रत होते हैं, चिपक जाते हैं, तुम किसी का कहा नहीं मानते हो, मनमानी करते हो।
तू जहर हलाहल चाट रहियो : तुम सरेआम/निर्भय होकर ज़हर को चाट रहे हो।
मतलब का जी दसो दिशि भटकें : माया के स्वार्थ से वशीभूत होकर तुम दसो दिशाओं में भटक रहे हो।
अरे उठ प्रभाते जावे झट के : स्वार्थ के लिए तुम तड़के ही उठकर चले जाते हो।
पुन्न री पेड़ा थारे पइसो खटके : तुम्हे हरदम रुपये, पैसे की लगी रहती है। पुण्य करने के समय (पुण्य बेला) में भी तुम्हे पैसों की पड़ी रह जाती है और तुम अटक जाते हो।
साँझ पड्या रह्यो सोय रै : साँझ पड़ते ही तुम पुनः सो जाते हो।
बन्दा, सोय ने फाड़ियो भाकलियो : तुम पुनः अज्ञान में ही पड़े रहते हो।  
कूड़ कपट में राजी बाजी, हँस हँस बात बणावे ताजी, जनम देई थारी जरणी लाजी : जीव मन में कपट रखता है और स्वंय ही नित नई बातें बनाकर प्रसन्न हो जाता है। ऐसे में जनम देने वाली माता भी शर्मसार होती है। 

new Bhajan od Bharam ro bhakliyo Singar sankar tak

ishvar Ra Gun Gaavat Gaavat,
Maalik Ra Gun Gaavat Gaavat,
Aido Kai Aayo Thaane Thaak Liyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.

Sat Ri Sangat Mein Kabahun Na Baithe,
Murakh Raakhe Man Mein Kah Kah,
Are Jyu Jyu Paapi Purabala Chete,
Kahayo Nahin Maane Koi Re, Banda,
Tu Jahar Halaahal Chaat Rahiyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.

Matalab Ka Ji Daso Dishi Bhataken,
Are Uth Prabhaate Jaave Jhat Ke,
Punn Ri Bela Thaare Paiso Khatake,
Saanjh Padya Rahyo Soy Rai,
Banda, Soy Ne Phaadiyo Bhaakaliyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.

Kud Kapat Mein Raaji Baaji,
Hans Hans Baat Banaave Taaji,
Janam Die Thaari Jarani Laagi,
Minakh Janam Ne Khoy Re,
Banda, Minak Janam Nai Khoi Rai,
Banda Ghodon Naraka Haami Haank Liyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.

Raam Bina Thaaron Koi Nahin Sangi,
Sinh Muchh Saathe Nahin Jyaasi,
Ek Baat Thaare Rah Gai Baaki,
Naath Nahin Naak Mein Thaare,
Naath Nahin Naak Mein Thaare, Banda,
Tut Ne Baandhiyo Thaak Liyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.

Kahe Daana Raam Sunon Mere Pyaare,
Hari Hisaab Leve Nyaare Nyaare,
Honth Kanth Chhip Jyaasi Thaare,
Saayab Re Tu Sanamukh Huvela,
Saayab Re Thu Sanamukh Vela,
Kikar Bataavai Thaaro Aankaliyo,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo,
Nar Gaaphal Me Kyu Suto Rai,
Odh Bharam Ro Bhaakaliyo.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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