सांवरा थारी माया रो पायो कोनी पार

सांवरा थारी माया रो पायो कोनी पार मीनिंग

साँवरा ने ढूंढ़ण मैं गई,
कर जोगन रो वेश,
ढूँढत ढूंढत जुग भया,
आया धोळा केश।


साँवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

गऊ रा जाया बैलियाँ,
कमावे दिन ने रात,
बूढ़ा कर कर बेचे हो,
दयालू दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

इन्दर कोप कियो बृज ऊपर,
बरसियों मूसळधार,
नख पर गिरधर धारयो हो,
दयालू दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

हिरण्यकश्यप प्रह्लाद ने बरज्यो,
बरज्यो बारम्बार,
राम नाम नहीं लेणा हो,
दयालू दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

विष रा प्याला राणो भेजिया,
दीज्यों मीरा ने जाय,
विष अमृत कर डालियो हो,
दयालू दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

बाई मीरा री अरज विनती,
सुण ज्यो सिर्जन हार,
में चरणा री दासी हो,
दयालू दीना नाथ,
सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ।

सांवरा थारी माया रो,
पायो कोनी पार,
भेद कोनी जाणूं हो,
दयालु दीना नाथ। 

साँवरा ने ढूंढ़ण मैं गई, कर जोगन रो वेश : मीरा बाई की अर्ज है की वह सांवरा/कृष्ण जी को ढूंढने के लिए निकली, जोगन/साधू का वेश धारण करके।
ढूँढत ढूंढत जुग भया, आया धोळा केश : कृष्ण को ढूंढने में युगों युगों का वक़्त लग गया, बहुत समय व्यतीत हो गया और सफ़ेद बाल आ गए/वृद्धावस्था आ गई। धोळा केश- सफ़ेद बाल।
साँवरा थारी माया रो, पायो कोनी पार : श्री कृष्ण जी /सांवरिया की माया का कोई पार नहीं पा सका है, कोई समझ नहीं पाया है। पार पाने से आशय है की किसी रहस्य को समझ लेना।
भेद कोनी जाणूं हो, दयालु दीना नाथ : हे दयालु दीनानाथ मैं आपकी माया का भेद नहीं समझ पाया हूँ।
गऊ रा जाया बैलियाँ, कमावे दिन ने रात : व्यक्ति /मनुष्य के स्वार्थी और मतलबी होने पर व्यंग्य है की गाय बहुत ही पवित्र होती है लेकिन गाय से पैदा हुए (जाया) बैल (बैलियाँ) को व्यक्ति उसकी जवानी में खेती आदि के कार्यों में लेता है और बूढ़ा होने के उपरान्त उसे बेच देता है जो समझ से परे की बात है। व्यंग्य है की जिस बैल ने तमाम उम्र हमारी सेवा की उसे बुढ़ापे में बेच देना कहाँ तक उचित है।
बूढ़ा कर कर बेचे हो, दयालू दीना नाथ : इनको बूढ़ा होने के उपरान्त बेच दिया जाता है।
इन्दर कोप कियो बृज ऊपर, बरसियों मूसळधार : इंद्र क्रोधित होकर (कोप) बृज के ऊपर मूसलाधार बरसात करते हैं।
नख पर गिरधर धारयो हो, दयालू दीना नाथ : लेकिन इंद्र ने अपनी अंगुली/नाखून पर पर्वत को उठा कर ब्रजवासियों की रक्षा भीषण बरसात से की।
हिरण्यकश्यप प्रह्लाद ने बरज्यो, बरज्यो बारम्बार हिरण्यकश्यप प्रह्लाद से राम भक्ति नहीं करने के लिए कहता है और राम भक्ति के लिए मना करता है। बरज्यो -वर्जित/मना करना।
राम नाम नहीं लेणा हो : तुमको राम का नाम नहीं लेना है।
विष रा प्याला राणो भेजिया, दीज्यों मीरा ने जाय : राणा जी/मीरा बाई के पति बाई मीरा की भक्ति से क्रोधित होकर उसे विष का प्याला भिजवाते हैं ताकि मीरा बाई को समाप्त किया जा सके।
विष अमृत कर डालियो हो, दयालू दीना नाथ : हे दयालू दीनानाथ आपकी कृपा से ही विष अमृत में बदल गया था।
बाई मीरा री अरज विनती, सुण ज्यो सिर्जन हार : मीरा बाई अर्जी करती है /विनय करती है की मेरी विनती सुनों श्रष्टि के रचियता।
में चरणा री दासी हो, दयालू दीना नाथ : हे दयालू दीनानाथ मैं आपके चरणों की दासी हूँ। 
 

सवरा थारी माया रो - Prakash Mali Hit Bhajan Shri Krishna Bhakti Geet | Rajasthani Bhajan

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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