हर बार तेरे दर पे नव गीत सुनाएंगे भजन
हर बार तेरे दर पे नव गीत सुनाएंगे भजन
(मुखड़ा)
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे,
ढांढण वाली, सुन ले,
तेरी महिमा गाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
(अंतरा)
तुझसे मिलने से हमें,
रोकोगी भला कैसे,
कदमों में लिपट जाए,
वृक्षों से लता जैसे,
सपनों में मिली माँ को,
हम सामने पाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
होगी तृष्णा पूरी,
प्यासी इन अखियों की,
माथे से लगा लेंगे,
धूलि तेरे चरणों की,
चरणामृत लेकर, माँ,
हम भव तर जाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
सदियों से सदा हमने,
तेरी आस लगाई है,
पागल मनवा कहता,
माँ, तुमको भुलाई है,
पाकर के तेरे दर्शन,
मन को समझाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
चुनकर वन-उपवन से,
पुष्पों की मधुर लड़ियाँ,
एक हार बनाया है,
बीती हैं कई घड़ियाँ,
यह पुष्प भजन माला,
तुझे भेंट चढ़ाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
(पुनरावृत्ति)
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे,
ढांढण वाली, सुन ले,
तेरी महिमा गाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे,
ढांढण वाली, सुन ले,
तेरी महिमा गाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
(अंतरा)
तुझसे मिलने से हमें,
रोकोगी भला कैसे,
कदमों में लिपट जाए,
वृक्षों से लता जैसे,
सपनों में मिली माँ को,
हम सामने पाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
होगी तृष्णा पूरी,
प्यासी इन अखियों की,
माथे से लगा लेंगे,
धूलि तेरे चरणों की,
चरणामृत लेकर, माँ,
हम भव तर जाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
सदियों से सदा हमने,
तेरी आस लगाई है,
पागल मनवा कहता,
माँ, तुमको भुलाई है,
पाकर के तेरे दर्शन,
मन को समझाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
चुनकर वन-उपवन से,
पुष्पों की मधुर लड़ियाँ,
एक हार बनाया है,
बीती हैं कई घड़ियाँ,
यह पुष्प भजन माला,
तुझे भेंट चढ़ाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
(पुनरावृत्ति)
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे,
ढांढण वाली, सुन ले,
तेरी महिमा गाएँगे,
हर बार तेरे दर पे,
नव गीत सुनाएँगे।।
२०२० नवरात्री स्पेशल गीत " हर बार तेरे दर पे नव गीत सुनाएंगे " मन मोहित होगा यह गीत सुनके