ज्यों तिल में तेल है,
और ज्योँ चकमक में आग,
तेरा साईं तुझ मायने,
भाई जाग सके तो जाग।
मनवा पतडो दूर है,
आडी पड़ी है रात,
क्या जाणे क्या होवसी,
भाई उगतड़े परभात।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा हीरला घट माह कहिए जी,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
ऐसी ऐसी आग पत्थर माहि कहीजे जी,
बिना घस्ये आग कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा घिरत दूध माहीं कहीजै,
बिना बिलोया माखण कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा किवाड़ हिवड़े पर जड़िया,
गुरु बिना ताला कुण खोले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
कहत कबीरा सुणो भाई साधो,
कहत कबीरा सुणो भाई साधों,
राम मिले थाणे कुण अटके,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
तेरा साईं तुझ मायने,
भाई जाग सके तो जाग।
मनवा पतडो दूर है,
आडी पड़ी है रात,
क्या जाणे क्या होवसी,
भाई उगतड़े परभात।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा हीरला घट माह कहिए जी,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
जौहरी बिना हीरा कुण परखे,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
ऐसी ऐसी आग पत्थर माहि कहीजे जी,
बिना घस्ये आग कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा घिरत दूध माहीं कहीजै,
बिना बिलोया माखण कैसे निकले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
ऐसा ऐसा किवाड़ हिवड़े पर जड़िया,
गुरु बिना ताला कुण खोले,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
थारो राम हृदय मांही बाहर क्यों भटके
कहत कबीरा सुणो भाई साधो,
कहत कबीरा सुणो भाई साधों,
राम मिले थाणे कुण अटके,
थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटकें,
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके
थारो राम हृदय माहीं, बाहर क्यों भटके।
थारो राम हृदय माहिं बाहर क्यों भटके भजन हिंदी मीनिंग
तेरा साईं तुझ मायने, भाई जाग सके तो जाग : ऐसे ही तुम्हारा साईं/भगवान् तुम्हारे अंदर ही समाया हुआ होता है यदि उसे जाग्रत करके प्राप्त कर लो यह तुम्हारे ही प्रयत्नों पर निर्भर करता है। भाव है की जैसे तिल में तेल और चकमक पत्थर में अग्नि अंदर ही व्याप्त होती है वैसे ही हृदय में ईश्वर का वास होता है। साधक अपने
मनवा पतडो दूर है, आडी पड़ी है रात : मन को सम्बोधन है की सुनों अभी गंतव्य/पतडो दूर है और सामने (आडी) रात है। रात के सामने से आशय है की मार्ग/सफर दुर्गम होने वाला है।
क्या जाणे क्या होवसी, भाई उगतड़े परभात : ना जाने सुबह होने पर क्या होगा। प्रभात होने पर क्या होगा किसे पता।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके : तुम भटक क्यों रहे हो ? बाहर (जगत के साँसारिक क्रियाओं में ) क्यों भटक रहे हो ? तुम्हारा (थारा) राम (स्वामी/ईश्वर ) तो तुम्हारे ही घट / हृदय में वास करता है। उल्लेखनीय है की जीवात्मा संसार की क्रियाओं और कार्यों में ईश्वर को ढूंढने का प्रयत्न करता है, जो उसे वस्तुतः सरल लगता है। लेकिन ईश्वर तो उसी के घट में व्याप्त होता है। इस भजन से सन्देश ही की वह जो अंदर है उसे खोजने का प्रयत्न करो।
ऐसा ऐसा हीरला घट माह कहिए जी : तुम्हारे हृदय (घट) में एक से बढ़कर एक हीरा (हिरला) भरे पड़े हैं।
जौहरी बिना हीरा कुण परखे : लेकिन जौहरी के अभाव में इन हीरों की पहचान कौन करें। जौहरी स्वंय को बनना होगा अन्यथा हीरे और पत्थर में कोई भेद नहीं रहता है।
ऐसी ऐसी आग पत्थर माहि कहीजे जी : तुम्हारे हृदय में ही प्रकाश भरा पड़ा है।
बिना घस्ये आग कैसे निकले : लेकिन बिना रगड़ खाए, बिना किसी प्रयत्न के अग्नि कैसे उत्पन्न हो सकती है।
ऐसा ऐसा घिरत दूध माहीं कहीजै : तुम्हारे ही हृदय में अमूल्य घी भरा हुआ है। घी से आशय अनमोल प्रदार्थ से है।
बिना बिलोया माखण कैसे निकले : लेकिन बिना बिलोये, बिना मथें तुम दही से घी को कैसे प्राप्त कर सकते हो। भाव है की तुम्हे ईश्वर को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करने होंगे।
ऐसा ऐसा किवाड़ हिवड़े पर जड़िया : तुम्हारे हृदय के द्वार बंद पड़े हैं।
गुरु बिना ताला कुण खोले : बगैर गुरु के तुम्हारे किवाड़ों को कौन खोले। किवाड़ अज्ञानता के प्रतीक हैं। गुरु अपने ज्ञान से इनको खोल सकता है।
मनवा पतडो दूर है, आडी पड़ी है रात : मन को सम्बोधन है की सुनों अभी गंतव्य/पतडो दूर है और सामने (आडी) रात है। रात के सामने से आशय है की मार्ग/सफर दुर्गम होने वाला है।
क्या जाणे क्या होवसी, भाई उगतड़े परभात : ना जाने सुबह होने पर क्या होगा। प्रभात होने पर क्या होगा किसे पता।
क्यों भटके, बाहर क्यों भटके थारों राम हृदय माहिं, बाहर क्यों भटके : तुम भटक क्यों रहे हो ? बाहर (जगत के साँसारिक क्रियाओं में ) क्यों भटक रहे हो ? तुम्हारा (थारा) राम (स्वामी/ईश्वर ) तो तुम्हारे ही घट / हृदय में वास करता है। उल्लेखनीय है की जीवात्मा संसार की क्रियाओं और कार्यों में ईश्वर को ढूंढने का प्रयत्न करता है, जो उसे वस्तुतः सरल लगता है। लेकिन ईश्वर तो उसी के घट में व्याप्त होता है। इस भजन से सन्देश ही की वह जो अंदर है उसे खोजने का प्रयत्न करो।
ऐसा ऐसा हीरला घट माह कहिए जी : तुम्हारे हृदय (घट) में एक से बढ़कर एक हीरा (हिरला) भरे पड़े हैं।
जौहरी बिना हीरा कुण परखे : लेकिन जौहरी के अभाव में इन हीरों की पहचान कौन करें। जौहरी स्वंय को बनना होगा अन्यथा हीरे और पत्थर में कोई भेद नहीं रहता है।
ऐसी ऐसी आग पत्थर माहि कहीजे जी : तुम्हारे हृदय में ही प्रकाश भरा पड़ा है।
बिना घस्ये आग कैसे निकले : लेकिन बिना रगड़ खाए, बिना किसी प्रयत्न के अग्नि कैसे उत्पन्न हो सकती है।
ऐसा ऐसा घिरत दूध माहीं कहीजै : तुम्हारे ही हृदय में अमूल्य घी भरा हुआ है। घी से आशय अनमोल प्रदार्थ से है।
बिना बिलोया माखण कैसे निकले : लेकिन बिना बिलोये, बिना मथें तुम दही से घी को कैसे प्राप्त कर सकते हो। भाव है की तुम्हे ईश्वर को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करने होंगे।
ऐसा ऐसा किवाड़ हिवड़े पर जड़िया : तुम्हारे हृदय के द्वार बंद पड़े हैं।
गुरु बिना ताला कुण खोले : बगैर गुरु के तुम्हारे किवाड़ों को कौन खोले। किवाड़ अज्ञानता के प्रतीक हैं। गुरु अपने ज्ञान से इनको खोल सकता है।
Anil Nagori थारो राम घट माही बाहर किऊ भटके अनिल नागौरी
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Jyon Til Mein Tel Hai,
Aur Jyon Chakamak Mein Aag,
Tera Sain Tujh Maayane,
Bhai Jaag Sake To Jaag.
Manava Patado Dur Hai,
Aadi Padi Hai Raat,
Kya Jaane Kya Hovasi,
Bhai Ugatade Parabhaat.
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Aisa Aisa Hirala Ghat Maah Kahie Ji,
Jauhari Bina Hira Kun Parakhe,
Jauhari Bina Hira Kun Parakhe,
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maanhi Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maanhi Baahar Kyon Bhatake
Aisi Aisi Aag Patthar Maahi Kahije Ji,
Bina Ghasye Aag Kaise Nikale,
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Aisa Aisa Ghirat Dudh Maahin Kahijai,
Bina Biloya Maakhan Kaise Nikale,
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Aisa Aisa Kivaad Hivade Par Jadiya,
Guru Bina Taala Kun Khole,
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Thaaro Raam Hrday Maanhi Baahar Kyon Bhatake
Kahat Kabira Suno Bhai Saadho,
Kahat Kabira Suno Bhai Saadhon,
Raam Mile Thaane Kun Atake,
Thaaron Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhataken,
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhatake
Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
Aur Jyon Chakamak Mein Aag,
Tera Sain Tujh Maayane,
Bhai Jaag Sake To Jaag.
Manava Patado Dur Hai,
Aadi Padi Hai Raat,
Kya Jaane Kya Hovasi,
Bhai Ugatade Parabhaat.
Kyon Bhatake, Baahar Kyon Bhataken,
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Aisa Aisa Hirala Ghat Maah Kahie Ji,
Jauhari Bina Hira Kun Parakhe,
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Thaaro Raam Hrday Maahin, Baahar Kyon Bhatake.
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Thaaro Raam Hrday Maanhi Baahar Kyon Bhatake
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Aisi Aisi Aag Patthar Maahi Kahije Ji,
Bina Ghasye Aag Kaise Nikale,
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Aisa Aisa Ghirat Dudh Maahin Kahijai,
Bina Biloya Maakhan Kaise Nikale,
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Aisa Aisa Kivaad Hivade Par Jadiya,
Guru Bina Taala Kun Khole,
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Kahat Kabira Suno Bhai Saadho,
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Author - Saroj Jangir
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