जय जय सुरनायक जन सुखदायक लिरिक्स Jay Jay Surnaayak Lyrics

जय जय सुरनायक जन सुखदायक लिरिक्स Jay Jay Surnaayak Lyrics, Rajan Ji Maharaj (Lord Shri Raam Bhajan)


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यह पद्य श्रीरामचरितमानस से लिया गया है जो प्रभु के कल्याणकारी स्वरूप के बारे में बताता है। सनातन धर्म मानने वाले हर व्यक्त‍ि को इसका नित्य पाठ करना चाहिए।
तुलसीदास रचित, रामचरित मानस, बालकाण्ड
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥

हे ईश्वर आप ही देवताओं के स्वामी हैं और अपने सेवकों को परम सुख प्रदान करने वाले हैं। हे ईश्वर आपकी जय हो, (आपका यश हो ) हे ईश्वर आप गो माता और ब्राह्मणों के का हित करने वाले हैं और असुर का विनाश करने वाले हैं। (आप आसुरी शक्तियों का नाश करने वाले देव हैं ) आप ही समुद्र की कन्या, माता लक्ष्मी जी के प्रिय स्वामी हैं। आपकी करनी, आपकी लीला का कोई भेद प्राप्त नहीं कर सकता है। जो स्वभाव से ही सहज कृपा करने वाले हैं, दीनों के दयाल हैं, आप हम पर भी अनुग्रह, कृपा करें।

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता,
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी,
मरम ना जानही कोई,
जो सहज कृपाला दीनदयाला,
करउँ अनुग्रह सोई।
जय जय अबिनासी सब घट बासी,
ब्यापक परमानंदा,
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतम,
मायारहित मुकुंदा।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी,
बिगतमोह मुनिबृंदा,
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं,
जयति सच्चिदानंदा।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई,
संग सहाय ना दूजा,
सो करउं अघारी चिंत हमारी,
जानिअ भगति न पूजा।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन,
गंजन बिपति बरूथा,
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी,
सरन सकल सुर जूथा।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा,
जा कहुँ कोऊँ नहीं जाना,
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे,
द्रवउ सो श्रीभगवाना।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर,
गुनमंदिर सुखपुंजा,
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर,
नमत नाथ पद कंजा।
जानि सभय सुरभूमि सुनि,
बचन समेत सनेह।
गगनगिरा गंभीर भई हरनि,
सोक संदेह। 
 

Jai jai sur nayak jansukh dayak by Pujya Rajan jee Maharaj At Rajpur Ram katha

Jay Jay Suranaayak Jan Sukhadaayak Pranatapaal Bhagavanta,
Go Dvij Hitakaari Jay Asuraari Sidhunsuta Priy Kanta.
Paalan Sur Dharani Adbhut Karani,
Maram Na Jaanahi Koi,
Jo Sahaj Krpaala Dinadayaala,
Karun Anugrah Soi.
Jay Jay Abinaasi Sab Ghat Baasi,
Byaapak Paramaananda,
Abigat Gotitan Charit Punitam,
Maayaarahit Mukunda.
Jehi Laagi Biraagi Ati Anuraagi,
Bigatamoh Munibrnda,
Nisi Baasar Dhyaavahin Gun Gan Gaavahin,
Jayati Sachchidaananda.
Jehin Srshti Upai Tribidh Banai,
Sang Sahaay Na Duja,
So Karun Aghaari Chint Hamaari,
Jaani Bhagati Na Puja.
Jo Bhav Bhay Bhanjan Muni Man Ranjan,
Ganjan Bipati Barutha,
Man Bach Kram Baani Chhaadi Sayaani,
Saran Sakal Sur Jutha.
Saarad Shruti Sesha Rishay Asesha,
Ja Kahun Kuon Nahin Jaana,
Jehi Din Piaare Bed Pukaare,
Dravu So Shribhagavaana.
Bhav Baaridhi Mandar Sab Bidhi Sundar,
Gunamandir Sukhapunja,
Muni Siddh Sakal Sur Param Bhayaatur,
Namat Naath Pad Kanja.
Jaani Sabhay Surabhumi Suni,
Bachan Samet Saneh.
Gaganagira Gambhir Bhi Harani,
Sok Sandeh.
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