जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया लिरिक्स Jivan Khatam Hua To Lyrics

जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया लिरिक्स Jivan Khatam Hua To Lyrics, डिवोशनल भजन बाय श्री राजन जी महाराज

कविवर श्री नत्था सिंह की अमर रचना है जिसे पूज्य राजन जी महाराज ने भजन के रूप में स्वर दिया है। जीवन की गहन सत्य को इसमें बड़ी ही सहजता से समझाया है। सत्य ही की जीवन क्या है और इसे जीने का सही तरीका क्या है, इसका ढंग क्या है ? विचारणीय है की माया के आवरण में सब धूमिल नजर आता है। बात बड़ी छोटी सी है, जिसे समझने में वृद्धावस्था आ जाती है। जीवन यापन के लिए माया तो जरुरी है। लेकिन माया और जीवन के मूल उद्देश्य (हरी नाम सुमिरण ) के मध्य कैसा ताल मेल होना चाहिए ? यह बड़ा ही बारीक विषय है। महफ़िल में रंग तब आया है जब शमा ही बुझने को है। पूरा जीवन बातों में निकल जाता है और एक रोज वात कफ और पित्त घेर लेते हैं, यमराज के नोटिस काया के दरवाजों पर चस्पा कर दिए जाते हैं, अत्यंत अल्प समय में राम को भजा भी तो क्या। वक्त के तंग आने से पहले इस माया के आवरण को समझकर हरी सुमिरण ही मुक्ति का मार्ग है, जीवन का उद्देश्य है।
जीवन खतम हुआ तो,
जीने का ढंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफ़िल में रंग आया।
(जीवन ख़तम हुआ तो,
जीने का ढ़ंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफिल में रंग आया)


गाड़ी निकल गयी तो,
घर से चला मुसाफ़िर,
(गाडी निकल गयी तो,
घर से चला मुसाफिर)
फिर मायूस हाथ मलता,
वापस बैरंग आया,
(जीवन ख़तम हुआ तो,
जीने का ढ़ंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफिल में रंग आया)

मन की मशीनरी ने,
जब ठीक चलना सीख़ा,
तब बूढ़े तन के हरएक,
पुर्जे में जंग आया,
(जीवन ख़तम हुआ तो,
जीने का ढ़ंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफिल में रंग आया)

फ़ुरसत के वक़्त में ना,
सुमिरण का वक़्त निकला,
उस वक़्त वक़्त माँगा,
जब वक़्त तंग आया
(जीवन ख़तम हुआ तो,
जीने का ढ़ंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफिल में रंग आया)

आयु ने नत्था सिंह,
जब हथियार फेंक डालें,
यमराज फ़ौज लेकर,
करने को जंग आया
(जीवन ख़तम हुआ तो,
जीने का ढ़ंग आया,
जब शमा बुझ गयी तो,
महफिल में रंग आया)

ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढंग आया। अद्भुत भजन। PUJYA RAJAN JEE. M- +919831877060 . #BHAJAN #RAJANJI

Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahafil Mein Rang Aaya.
(Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahaphil Mein Rang Aaya)


Gaadi Nikal Gayi To,
Ghar Se Chala Musaafir,
(Gaadi Nikal Gayi To,
Ghar Se Chala Musaaphir)
Phir Maayus Haath Malata,
Vaapas Bairang Aaya,
(Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahaphil Mein Rang Aaya)

Man Ki Mashinari Ne,
Jab Thik Chalana Sikha,
Tab Budhe Tan Ke Harek,
Purje Mein Jang Aaya,
(Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahaphil Mein Rang Aaya)

Furasat Ke Vaqt Mein Na,
Sumiran Ka Vaqt Nikala,
Us Vaqt Vaqt Maanga,
Jab Vaqt Tang Aaya
(Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahaphil Mein Rang Aaya)

Aayu Ne Nattha Sinh,
Jab Hathiyaar Phenk Daalen,
Yamaraaj Fauj Lekar,
Karane Ko Jang Aaya
(Jivan Khatam Hua To,
Jine Ka Dhang Aaya,
Jab Shama Bujh Gayi To,
Mahaphil Mein Rang Aaya)

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