कबीर थोड़ा जीवणा माड़े बहुत मँडाण मीनिंग Kabir Thoda Jivana Meaning Kabir Ke Dohe

कबीर थोड़ा जीवणा माड़े बहुत मँडाण मीनिंग Kabir Thoda Jivana Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Vyakhya)

कबीर थोड़ा जीवणा माड़े बहुत मँडाण।
सबही ऊभा मेल्हि गया, राव रंक सुलितान॥
और
कबीर थोड़ा जीवणा माड़े बहुत भडाण।
सबही ऊभा मेल्हि गया, राव रंक सुलितान॥
Kabir Thoda Jivana Mande Bahut Mandaan,
Sabahi Ubha Melhi Gaya, Raav Rank Sulitaan.

कबीर थोड़ा जीवणा : कबीर साहेब कहते हैं की यह जीवन बहुत ही अल्प समय के लिए है.
जीवणा : जीवन.
माड़े : करता है, रचता है.
बहुत भडाण : मन्डण से आशय है की बहुत से निर्माण करना, सुख सुविधाएं जुटाना.
सबही : समस्त.
ऊभा : खड़े खड़े ही.
मेल्हि गया : रख छोड़ना.
राव रंक सुलितान : राजा, भिखारी और सुलतान.

कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा माया के भ्रम के कारण अत्यंत ही हास्यास्पद कार्य करती है. उसे थोड़े से जीवन के लिए इस जगत में भेजा गया है, वह यहाँ पर बहुत ही अल्प समय के लिए आया है लेकिन फिर भी वह अनेकों निर्माण करता है, वैभव विलास के संसाधनों को जुटा लेता है, यह जानते हुए की उसे एक रोज यहाँ से जाना है. इस माया को कौन अपने साथ लेकर गया है, सभी ने इसे यहीं पर छोड़
दिया है. भले ही वह राजा हो, सुलतान हो या फिर कोई रंक/भिखारी ही क्यों न हो. दुसरे अर्थों में काल सभी को देखते ही देखते, खड़े खड़े ही अपने साथ लेकर चल देता है. इसलिए इस अल्प मानव जीवन में माया के भ्रम में पड़ना कोई समझदारी नहीं है अपितु हरी के नाम का सुमिरण ही मुक्ति का मार्ग है
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