सातो सबद जु बाजते घरि घरि होते राग मीनिंग Sato Sabad Ju Bajate Meaning Kabir Ke Dohe

सातो सबद जु बाजते घरि घरि होते राग मीनिंग Sato Sabad Ju Bajate Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahti (Hindi Bhavarth)

सातो सबद जु बाजते, घरि घरि होते राग।
ते मंदिर खाली पड़े, बैसण लागे काग॥
Saato Sabad Ju Bajate, Ghari Ghari Hote Raag,
Te Mandir Khaali Pade, Baithan Laage Kaag.

सातो सबद : सातों प्रकार के शब्द, राग रागिनियाँ.
जु बाजते : जो बजते थे.
घरि घरि होते राग : घर घर पर राग बजते थे.
ते मंदिर खाली पड़े : वे घर/मंदिर खाली पड़े हैं.
बैसण लागे काग : उन पर कौवे बठने लगे हैं.
बैसण : बैठने लगे हैं.
काग : कोवे.

कबीर साहेब की वाणी है की व्यक्ति वैभवता और विलाश में पड़ा जीवन व्यतीत करते हुए इश्वर को भुला बैठा था. उनके घर (मंदिर) पर सातों प्रकार के स्वर बजते थे, घर घर पर राग बजते थे. उनके महल वर्तमान में खाली पड़े हैं और आज वहां पर कौवे बैठ रहे हैं.
सन्देश है की जिन लोगों के पास अपार धन सम्पत्ति थी, जिनके यहाँ गाना बजाना होता रहता था, उन्हें भी माया बचा नहीं पाई है, उन्हें भी सब छोड़ छाड़ कर इस जगत से रुखसत होना ही पड़ा है. इसलिए माया पर व्यर्थ का मान त्याग कर हमें हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए. हरी का नाम ही भव से पार होने का एकमात्र माध्यम है. कौवा बैठना एक मुहावरा है जिसका अर्थ घर का वीरान होना, सुनसान होना होता है. जीवात्मा इस जगत में आकर इसे ही अपना स्थाई घर समझने लग जाती है, जबकि वह तो एक मुसाफिर की भाँती कुछ समय विशेष के इस जगत में आता है, लेकिन भ्रम का शिकार होकर हरी को विस्मृत कर देता है. 
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