कण कण में तेरा बसेरा है माता भजन
(मुखड़ा)
कण-कण में तेरा बसेरा है,
कुछ भी नहीं है मेरा यहाँ, माँ,
जो भी है, तेरा है।
कण-कण में तेरा बसेरा है।।
(अंतरा 1)
चंदा और सूरज तेरी दो,
आँखें हैं प्यारी,
सारा चराचर लहराए बन,
कर तेरी सारी।
ये धरा तेरे चरण,
सर का ताज ये गगन,
ऊष्मा तेरी अगन,
शीतलता तेरी पवन।
ये ब्रह्मांड, हे माँ, मुख तेरा है।
कण-कण में तेरा बसेरा है।।
(अंतरा 2)
लता-सुमन हैं, माँ, तेरे,
बालों का गजरा,
रात सुहानी है, माँ, तेरे,
आँखों का कजरा।
तेरे नयनों में सागर,
दिल में ममता की गागर,
सारे गुण की तू आगर,
जीवन करती उजागर।
झिलमिल सितारों का, आँगन तेरा है।
कण-कण में तेरा बसेरा है।।
(अंतरा 3)
दसों दिशाएँ हैं, माँ,
तेरी दसों भुजाएँ,
उनचासों पवन लाती,
रंगीन फिजाएँ।
तेरी माया न जानूँ,
माँ, तुझे न पहचानूँ,
तेरी शक्ति न मानूँ,
अज्ञानी है ये "ज्ञानू"।
तुझसे ही, माँ, ये साँझ-सबेरा है।
कण-कण में तेरा बसेरा है।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
कण-कण में तेरा बसेरा है,
कुछ भी नहीं है मेरा यहाँ, माँ,
जो भी है, तेरा है।
कण-कण में तेरा बसेरा है।।
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