नयौ नेह नव रंग नयौ रस भजन

नयौ नेह नव रंग नयौ रस भजन

नवल श्याम वृषभानुकिशोरी।
नव पीतांबर नवल चूँनरी,
नई नई बूँदन भीजति गोरी।।
नव बृन्दावन हरित मनोहर,
नव चातक बोलत मोर मोरी।।
नव मुरली जु मलार नई गति,
श्रवन सुनत आये घन घोरी।।
नव भूषण नव मुकट विराजत,
नई नई उरप लेत थोरी थोरी।
जय श्रीहित हरिवंश अशीष देत मुख,
चिरजीवौ भूतल यह जोरी।।
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नवल श्याम वृषभानुकिशोरी,
नव पीतांबर नवल चूनरी,
नई नई बूँदन भीजति गौरी,
नव बृन्दावन हरित मनोहर,
नव चातक बोलत मोर मौरी,
नव मुरली जु मलार नई गति,
श्रवन सुनत आये घन घौरी,
नव भूषण नव मुकट विराजत,
नई नई उरप लेत थोरी थौरी,
जय श्रीहित हरिवंश अशीष देत मुख,
चिरजीवौ भूतल यह जौरी।

नयौ नेह नव रंग नयौ रस | वर्षा विलास | श्री हित चतुरासी | श्री हित अम्बरीष जी

Naval Shyaam Vrshabhaanukishori.
Nav Pitaambar Naval CHunari,
Nai Nai Bundan Bhijati Gori..
Nav Brndaavan Harit Manohar,
Nav Chaatak Bolat Mor Mori..
Nav Murali Ju Malaar Nai Gati,
Shravan Sunat Aaye Ghan Ghori..
Nav Bhushan Nav Mukat Viraajat,
Nai Nai Urap Let Thori Thori.
Jay Shrihit Harivansh Ashish Det Mukh,
Chirajivau Bhutal Yah Jori..
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