चिंता ऐसी डाकिनी काट कलेजा खाए कबीर के दोहे अर्थ सहित

चिंता ऐसी डाकिनी काट कलेजा खाए कबीर के दोहे अर्थ सहित Chinta Aisi Dakini Kabir Dohe Hindi Meaning

चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए।
वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए।।
 
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए। वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए।।


दोहे के शब्दार्थ
डाकिनी – चुड़ैल, डायन
कलेजा – छाती
वैद – वैद्यकशास्त्र के अनुसार रोगियों की चिकित्सा करने वाला, विद्वान या पंडित
दवा – औषधि

भावार्थ:- इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं चिंता/अवसाद एक डायन की तरह होती है जो व्यक्ति को अंदर से खाती रहती है, उसका कलेजा काटकर खा जाती है। वैद्य शरीर का इलाज कर सकता है लेकिन मानसिक स्तर पर उसके पास कोई इलाज नहीं होता है। आशय है की चिंता व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है।

विस्तृत चिंतन है की चिंता एक ऐसी भावना है जो किसी के भी जीवन में भारी असर डालती है। हमारे महान संत कवि कबीर दास जी ने इसे एक भयावह "डाकिनी" या "डायन" की उपमा दी है, जो इंसान के हृदय खाकर उसे अंदर से खोखला कर देती है। वे कहते हैं कि इस तरह की चिंता का इलाज किसी भी वैद्य के पास नहीं है, चाहे वे कितनी भी औषधियाँ क्यों न दें। इसका अर्थ यह है कि चिंता एक ऐसी मानसिक समस्या है जिसका इलाज केवल बाहरी दवाओं से नहीं हो सकता, इसके लिए हमें खुद अपने भीतर झांकना होगा और मानसिक संतुलन को सही करना होगा।

कबीर साहेब विचार आज भी प्रासंगिक हैं

 
करना होगा। कबीर साहेब विचार आज भी प्रासंगिक हैं

कबीर दास जी का संदेश आज भी प्रासंगिक है - चिंता एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है। इसका इलाज वैद्य के पास नहीं है, बल्कि इसे खुद ही सही तरीके से प्रबंधित करना होगा। ध्यान, सकारात्मक सोच, और सक्रिय जीवन शैली से हम इस चिंता रूपी डायन को दूर रख सकते हैं। जीवन को खुशहाल और चिंता-मुक्त बनाने के लिए यह जरूरी है कि हम अपने मन को शांत रखें और सही दिशा में कार्य करें। व्यक्ति को चिंता से दूर रहने के लिए अवश्य ही ईश्वर की भक्ति पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 

कबीर के इन दोहों का अर्थ भी जानिये-
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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