पंछिड़ा भाई तू वन वन क्यों डोले रे लिरिक्स Panchida Bhai Van Van Kyo Dole Lyrics

पंछिड़ा भाई तू वन वन क्यों डोले रे लिरिक्स Panchida Bhai Van Van Kyo Dole Lyrics, Devotional Bhajan by Padm Shri Shri Prahlad Singh Tipaniya Ji

कबीर गुरु ने गम कही, भेद दिया अरथाय,
सुरत कलम के अंतरे, निराधार पद पाय।
मानुष जन्म तू खो रहा, भजना था हरि नाम ।
कहैं कबीर चेतत नही, लाग्यो औरही काम।।
कबीर गुरू ने गम कही, भेद दिया अरथाय।
सुरति कमल के अंतरे, निराधार पद पाय।।
गुरु मूर्ति आगे खड़ी ,द्वितीय भेद कुछ नाय।
उन्ही को प्रमाण करूँ, सकल तिमिर मिटि जाय।
पंछिड़ा रे भाई तू वन वन क्यों डोले रे,
थारी  काया रे नगरी में सोहम ,
थारा हरियाला बांगा में सतनाम ।
सो हँसो  बोले रे, वन वन क्यों डोले रै।

पंछिड़ा भाई अंधियारा में बैठो रै,
थारी देही का देवलिया में जगे जोत,
इणी देही का देवलिया में जगे जोत,
गुरु गम झिलमिल झलके रे,
हाँ हाँ वन वन क्यों डोले रै।

पंछिड़ा भाई  कई बैठो तरसायो रे,
पीले त्रिवेणी का घाटे गंगा नीर,
मनड़ा को मैलो धोले रे,
हाँ हाँ वन वन क्यों डोले रै।

पंछिड़ा भाई कई  बैठो  अकड़ायो रे,
थारी गुरुजी जगावे हैलां पाड़,
घट केरी खिड़कियाँ ने खोलो रे,
हाँ हाँ वन वन क्यों डोले रै।

पंछिड़ा  रे भाई हीरा वाली हाटां में ,
इणी माला का मोतीड़ा बिख्रया जाय रे ,
सुरता में नूरता पोले रे,
हाँ हाँ वन वन क्यों डोले रै।

पंछिड़ा भाई वन-वन क्यों डोले रे || Panchida Bhai van van kyu Dole re || Prahlad Singh Tipanya

सत्यबचन दादू कहे सुन के करो बिचार।
कबीर साहिब आप है कर्ता सृजन हार।।
केहरि नाम कबीर का ,विषम कालगज राज !
दादू भजन प्रतापते ,भागे सुनत अबाज !!
दादू अंतरगत सदा ,छिन छिन सुमिरन ध्यान !
बारूनाम कबीर पर ,पल पल मेरा प्रान !!
सुन सुन साखी कबीर की ,काल नबांवे मांथ !
धन्य धन्य तीनो लोक में ,दादू जोड़े हाथ !!
करे कल्पना बहुत सब दादू धरे न धीर ।
पहले हम चीन्हे नही निग्रुण ब्रहम कबीर।।
कोई सरगुण में रीझ रहा ,कोई निरगुण ठहराह !
दादू गति कबीर की ,मोसे कही न जाय !!
प्रेम प्रीत सो जपत हौं हिरदे माहि कबीर।
सुमरत ही सुख उपजे दादू पावै धीर।।
शव्द भरोसा मान के सभी झुकायो शीश।
दादू दिल मे सब कहे कबीर कर्ता ईश।।
दादू साहब कबीर की आद न जाने कोय।
कहा से आये कहा गये यही अचम्भा होय।।
और संत सब कूप हैं ,केते झरिता नीर !
दादू अगम अपार है , दरिया सत्य कबीर !!
सुमरन माला स्वास की दादू कीजै नेम।
जपे जो नाम कबीर को निजतन बरते खेम।।
अपरमपार अपार गत आदि अमर शरीर।
निरालंभ आनंद पद दादू ब्रहम कबीर।।
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Panchhida Bhai Andhiyaara Mein Baitho Rai,
Thaari Dehi Ka Devaliya Mein Jage Jot,
Ini Dehi Ka Devaliya Mein Jage Jot,
Guru Gam Jhilamil Jhalake Re,
Haan Haan Van Van Kyon Dole Rai.

Panchhida Bhai  Kai Baitho Tarasaayo Re,
Pile Triveni Ka Ghaate Ganga Nir,
Manada Ko Mailo Dhole Re,
Haan Haan Van Van Kyon Dole Rai.

Panchhida Bhai Kai  Baitho  Akadaayo Re,
Thaari Guruji Jagaave Hailaan Paad,
Ghat Keri Khidakiyaan Ne Kholo Re,
Haan Haan Van Van Kyon Dole Rai.

Panchhida  Re Bhai Hira Vaali Haataan Mein ,
Ini Maala Ka Motida Bikhraya Jaay Re ,
Surata Mein Nurata Pole Re,
Haan Haan Van Van Kyon Dole Rai.
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1 टिप्पणी

  1. 👌पंछीडा भाई वन बन क्यू भटके भजन कै अन्त में भजन कि छाप किसकी लगेगी ?