आवति श्री वृषभानु दुलारी भजन
आवति श्रीवृषभानुदुलारी।
रूप राशि अति चतुर शिरोमणि-
अंग अंग सुकुमारी।।
प्रथम उबटि मज्जन करि सज्जित-
नील बरन तन सारी।
गुँथित अलक तिलक कृत सुन्दर-
सेंदुर माँग सँबारी।।
मृगज समान नैंन अंजन युत-
रुचिर रेख अनुसारी।
जटित लवंग ललित नाशा पर-
दशनावलि कृतकारी।।
श्रीफल उरज कसूँभी कंचुकी कसि-
ऊपरि हार छबि न्यारी।
कृश कटि उर गंभीर नाभिपुट
जघन नितम्बनि भारी।।
मनौं मृणा भूषण भूषित भुज-
श्याम अंस पर डारी।
जय श्रीहित हरिवंश युगल करणी गज-
बिहरत वन पिय प्यारी।।
आवति श्रीवृषभानुदुलारी | श्रृंगार | श्री हित चतुरासी | श्री हित अम्बरीष जी
Aavati Shrivrshabhaanudulaari.
Rup Raashi Ati Chatur Shiromani-
Ang Ang Sukumaari..
Pratham Ubati Majjan Kari Sajjit-
Nil Baran Tan Saari.
Gunthit Alak Tilak Krt Sundar-
Sendur Maang Sanbaari..
Mrgaj Samaan Nainn Anjan Yut-
Ruchir Rekh Anusaari.
Jatit Lavang Lalit Naasha Par-
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं