गोरबंद आभूषण क्या है और कहाँ पहना जाता है Gorband Abhushan Kya Hota Hai Aur Kaha Pahana Jaata Hai, Gorband Kiska Abhushan Hota Hai.
गोरबंद क्या होता है Gorband Kya Hota Hai (Gorband Meaning Hindi) ? गोरबंद के विषय में कई बार भ्रम पैदा हो जाता है की गोरबंद क्या स्त्रियों/नारी का आभूषण होता है या फिर यह आभूषण कौन पहनता है।
"गोरबंद" ऊंटों को पहनाया जाने वाला आभूषण होता है। ऊंटों के लिए आभूषण का क्या औचित्य है ? देखिये राजस्थान एक मरू प्रदेश रहा है और पूर्व में यहाँ पर जीवन अत्यंत ही विकट होता था। यहाँ जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए भी व्यक्ति को अत्यंत ही संघर्ष करना पड़ता था और इसमें उसका एक ही साथी हुआ करता था वह था ऊंट।
दूर दराज से पानी लाना हो, आवागमन करना हो, व्यापार हो, या शादी विवाह हो सभी में ऊंट का एक विशेष महत्त्व रहा है। सभी प्रमुख कार्यों को ऊँट की सहायता के बगैर कर पाना सम्भव नहीं था। ऊंट राजस्थान की जलवायु में भी सहज रहता है, इसे ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। ऊंट के प्रति लगाव यहीं से उतपन्न हो जाता है। यही कारण है की ऊंट को सजाने का कार्य किया जाता रहा था जिसमें "गोरबंद/Gorband" भी विशेष महत्त्व रखता था। (What is Gorband in Rajasthan राजस्थान में गोरबंद क्या है )
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गोरबंद कैसे बनाया जाता है Gorband Kaise Banaya Jata Hai ? गोरबंद को राजस्थानी महिलाएं बड़े ही चाव से बनाती थी। इसमें विशेष प्रकार के चमकीली वस्तुओं का उपयोग होता था, जिनमें कौड़ी (Cowry), जरी की कसीदाकारी पट्टियां , गोटा और चमकीले काँच का उपयोग होता था। अमीर व्यक्ति, राजा महाराज आदि इसमें सोने चांदी का कार्य भी करवाते थे। साधारण रूप से इसमें विभिन्न चमकीली वस्तुओं को आपस में गूथ कर एक जालीनुमा सुन्दर लटकन बनाई जाती है जिसमें चटक रंगों का उपयोग होता है। इसे महिलाएं गूंथकर बनाती थी जिसमें राजस्थानी संस्कृति की छाप मिलती है। सामजिक उत्सवों, मेलों आदि के अवसर पर ऊंटों की प्रतियोगिताएं होती हैं जिनमें गोरबंद का विशेष महत्त्व होता है। इसके साथ ही ऊंटों के बालों को भी विशेष आकृतियों में काट कर (उस्ता कला Usta Art) उनको सजाने का कार्य किया रहा है। पुष्कर में लगने वाले पशु मेले में इन सजे धजे ऊंटों का श्रृंगार देखते ही बनता है।
अतः स्पष्ट है की ऊंट की गर्दन से लेकर पीठ तक की जो लटकन होती है, जो सजावटी जालीनुमा लटकन होती है उसे ही "गोरबंद (Gorband) " कहते हैं। आइये जान लेते हैं की ऊंट को गोरबंद के अतिरिक्त अन्य किन आभूषणों से सजाया जाता है।
नेवर : नेवर से आशय घुंघरुओं से है। ऊंट के पांवों में मोटे मोटे ध्वनि उत्पन्न करने वाले घुंघरू बांधे जाते हैं। इनके कारण ऊंट के चलने पर मधुर ध्वनि सुनाई देती है। इसे नेवरी भी कहा जाता है।
नेवर : नेवर से आशय घुंघरुओं से है। ऊंट के पांवों में मोटे मोटे ध्वनि उत्पन्न करने वाले घुंघरू बांधे जाते हैं। इनके कारण ऊंट के चलने पर मधुर ध्वनि सुनाई देती है। इसे नेवरी भी कहा जाता है।
काठी : ऊंट की पीठ पर लकड़ी की एक कुर्सीनुमा काठी भी लगाईं जाती है जो दो जनों के बैठने के काम आती है। इसी पर बैठकर ऊंट की सवारी की जाती है। इसे रस्सियों के पट्टे से ऊंट के ऊपर कस दिया जाता है। इसमें दो छोटी छोटी गद्दियाँ होती है जो यात्रा को सुखद बनाती हैं।
लुम्बा-झुम्बा / लूमा झूमा : ऊंट के गले के आगे पावों तक एक अन्य आभूषण पहनाया जाता है जिसे लूमा झूमा कहा जाता है।
मोहरा : यह सर पर पहनाया जाता है जो अत्यंत ही रंगबिरंगा होता है। इसमें कसीदा का कार्य किया जाता है।
मोहरा : यह सर पर पहनाया जाता है जो अत्यंत ही रंगबिरंगा होता है। इसमें कसीदा का कार्य किया जाता है।
गोरबंद आभूषण पर आधारित एक प्रसिद्ध लोकगीत भी जिसके बोल निचे दिए गए हैं।
लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ऐ गायाँ चरावती गोरबन्द गुंथियों
तो भेंसयाने चरावती मैं पोयो पोयो राज मैं तो पोयो पोयो राज
म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ऐ खारासमद सूं कोडा मंगाया
तो बिकाणे तो गड़ बिकाणे जाए पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज
म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ऐ देराणी जिठणी मिल गोरबन्द गुंथियों
तो नडदल साचा मोती पोया पोया राज मैं तो पोया पोया राज
म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखारालो
कांच री किवाडी माथे गोरबन्द टांकयो
तो देखता को हिवडो हरखे ओ राज हिवडो हरखे ओ राज
म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखरालो
ऐ डूंगर चढ़ ने गोरबन्द गायो
तो झोधाणा तो झोधाणा क केडी हैलो सांभळो जी राज हैलो सांभळो जी राज
म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखराळो
ओ लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झुमा ऐ
ओ म्हारो गोरबन्द नखराळो आलिजा म्हारो गोरबन्द नखारालो
अतः स्पष्ट है की गोरबंद आभूषण ना तो राजस्थानी महिलाओं द्वारा गले में पहनने का,
नाहीं राजस्थानी महिलाओं द्वारा विवाह के समय पहनने वाला विशेष आभूषण और
नाहीं महिलाओं के हाथ में पहनने का बाजूबंद होता है। गोरबंद ऊंट के गले में
पहनाया जाने वाला एक आभूषण होता है।
कौड़ी (Cowry) : कौड़ी एक समुद्री जीव का सख्त बाहरी खोल seashell होता है। राजस्थान में इसे पहनना शुभ माना जाता है। कौड़ी प्रशांत महासागर के गरम एवं छिछले पानी में अधिकता से पाई जाती है और मालदीव में कौड़ी की भरमार होने के कारण इसे कौड़ियों का द्वीप कहा जाता है।
गोटा Gota (embroidery) : यह चमकीली पट्टीनुमा सजावटी कार्यों में उपयोग होती है जिसका रंग सोने या चांदी जैसा होता है। इस पर विभिन्न मोतियों और कांच के माध्यम से सिलाई करके इसे अधिक तड़क भड़क वाला बनाया जाता है। यह एक तरह से कढ़ाई का कार्य होता है। पूर्व में सोने और चांदी के तारों से गोटा कार्य किया जाता रहा है लेकिन वर्तमान में चांदी और सोने के रंग के तारों से, प्लास्टिक के धागों से गोटा कार्य किया जाता है।
उस्ता कला : ऊंटों के बालों को विशेष सजावटी आकृतियों में काटने के कला को उस्ता कहा जाता है।
(राजस्थान में गोरबंद का अर्थ Gorband Ka Hindi Arth)