है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है लिरिक्स Hai Prem Jagat Me Saar Lyrics

है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है लिरिक्स Hai Prem Jagat Me Saar Lyrics, Krishna Bhajan by Singer - Jiyalal Thakur

 
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है लिरिक्स Hai Prem Jagat Me Saar Lyrics

कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना,
विरह की वेदना में वे सदा बेचैन रहती हैं,
तड़पकर आँह भर कर और, रो रोकर ये कहती हैं,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

कहा उधौ ने हँसकर, अभी जाता हूँ वृन्दावन,
जरा देखूँ कि कैसा है, कठिन अनुराग का बंधन,
हैं कैसी गोपियाँ जो ज्ञान बल को कम बताती हैं,
निरर्थक लोक लीला का, यही गुणगान गाती हैं,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

चले मथुरा से जब कुछ दूर, वृन्दावन नज़र आया,
वहीं से प्रेम ने अपना अनोखा रंग दिखलाया,
उलझकर वस्त्र में काँटें, लगे उधौ को समझाने,
तुम्हारे ज्ञान पर्दा फाड़, देंगे यहाँ दीवाने,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

विटप झुककर ये कहते थे, इधर आओ इधर आओ,
पपीहा कह रहा था पी, कहाँ यह भी तो बतलाओ,
नदी जमुना की धारा शब्द, हरि हरि का सुनाती थी,
भ्रमर गुंजार से भी यह, मधुर आवाज़ आती थी,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

गरज पहुँचे वहाँ था गोपियों का, जिस जगह मण्डल,
वहाँ थी शांत पृथ्वी वायु, धीमी व्योम था निर्मल,
सहस्रों गोपियों के बीच बैठी थी श्री राधा रानी,
सभी के मुख से रह रह कर निकलती थी यही वाणी,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

कहा  उधों ने यह बढ़कर कि मैं मथुरा से आया हूँ,
सुनाता हूँ संदेसा श्याम का जो साथ लाया हूँ,
कि जब यह आत्मसत्ता ही अलख निर्गुण कहाती  है,
तो फिर क्यों मोह वश होकर वृथा यह गान गाती  है,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

कह श्री राधिका ने तुम संदेसा ख़ूब लाये हो,
मगर ये याद रखो प्रेम की  नगरी में आए हो,
संभालो योग की पूँजी ना हाथों से निकल जाए,
कहीं विरहाग्नि में यह ज्ञान की पोथी ना जल जाए,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

अगर निर्गुण हैं हम तुम कौन कहता है ख़बर किसकी,
अलख हम तुम हैं तो किस किस को लखती है नज़र किसकी,
जो हो अद्वैत के कायल तो फिर क्यों द्वैत लेते हो,
अरे खुद ब्रह्म होकर ब्रह्म को उपदेश देते हो,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

अभी तुम खुद नहीं समझे कि किसको योग कहते हैं,
सुनो इस तौर योगी द्वैत में अद्वैत रहते हैं,
उधर मोहन बने राधा,  वियोगिन की जुदाई में,
इधर राधा बनी है श्याम, मोहन की जुदाई में,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।

सुना जब प्रेम का अद्वैत उधो की  खुली आँखें,
पड़ी थी ज्ञान मद की धूल जिनमे वह धुली आंखें,
हुआ रोमांच तन में बिंदु आँखों से निकल आया,
गिरे श्री राधिका पग पर कहा गुरु मन्त्र यह पाया,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं है,
कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना।
श्रेणी : कृष्ण भजन 

 
प्रेम जगत में सार - बेहद प्यारा भजन सुनकर मन प्रसन्न हो जायेगा - Jiyalal Thakur ‪@SaawariyaMusic‬ Song- Prem Jagat Me Saar
 
Singer - Jiyalal Thakur
Lyrics - Bindu Ji Maharaj
Music Director - Davesh Dubey
Label - Team Film
Digital Work - Vianet Media

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