जब चरण तुम्हारे देखौं तब जन्म भजन

जब चरण तुम्हारे देखौं तब जन्म सुफल करि लेखौं भजन

जब चरण तुम्हारे देखौं, तब जन्म सुफल करि लेखौं।
जब पीर उठै हिय गाढ़ी, तब जानहुँ कछु रति बाढ़ी।।
जब देखि कै नैन सिराऊँ, तब अपनौ भाग मनावौं।
जब टेरि कै निकट बिठावौ, तब अपनौ भाग मनावौं ।।
जब हेर कै कंठ लगावौ, तब हिय की ताप बुझावौ।
जब बाँह पकरि अपनैहौं , तब सब सौं नेह छुड़ैहौं।।
जब लगि नहिं आस पुजैहौं, तब लग नित टेर सुनैहौ ।
हों तब लग परम अभागी, जब लग नहिं चरणन लागी ।।
मेरी स्वामिनी प्यारी राधा, जय राधा रूप अगाधा।
अब बेगि हरउ भवबाधा, करूणानिधि स्वामिनी राधा।।
मेरी स्वामिनी प्यारी राधा, जय राधा रूप अगाधा ।

जब चरण तुम्हारे देखो, तब जन्म सुफल करि लेखो,
जब पीर उठै हिय गाढ़ी, तब जानहुँ कछु रति बाढ़ी,
जब देखि कै नैन सिराऊँ, तब अपनौ भाग मनावों,
जब टेरि कै निकट बिठावौ, तब अपनौ भाग मनावों,
जब हेर कै कण्ठ लगावौ, तब हिय की ताप बुझावौ,
जब बाँह पकरि अपनैहौं , तब सब सौं नेह छुड़ैहौं,
जब लगि नहीं आस पुजैहौं, तब लग नित टेर सुनैहौ,
हों तब लग परम अभागी, जब लग नहिं चरणन लागी,
मेरी स्वामिनी प्यारी राधा, जय राधा रूप अगाधा,
अब बेगि हरउ भवबाधा, करूणानिधि स्वामिनी राधा,
मेरी स्वामिनी प्यारी राधा, जय राधा रूप अगाधा ।

भोरी सखी पद | जब चरण तुम्हारे देखूं तब जन्म सुफल कर लेखूं | भाव - श्रीहित अम्बरीष जी

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