काचीगुड़ा का श्याम म्हारी अर्जी सुणले भजन
काचीगुड़ा का श्याम , म्हारी अर्जी सुणले, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। भाग्यनगर में बैठ के, तू बदले भाग्य की रेख, जो न हो विश्वास ऊ भी, लेवे जाकर देख, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। बेटा दे दे पोता दे दे, दे दे सुख की कोठी, मेट दे तू सारो कुड़को, चाले रोजी रोटी, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। जैया आवे खाटू दुनिया, वैया थारे आवे, जो सोचे सपना में, वा तू सचमुच कर दिखलावे, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। बंगाली हो मद्रासी, या तेलगु सरदार, जो भी आज्या थारे द्वारे , उकी बेड़ा पार, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। जात जडूला सवामणी की, लागे लंबी लेन, भजना की तो बारिश हो रही, दिन हो चाहे रैन, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। मन तो म्हारो घनो करे छे, थारे धाम बस जाऊं, फेर भी तू खींच जे डोरी, दौड़यो भाग्यो आवू, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। जी पे होज्यां नजरा थारी, काम बन ज्या सारा, जो आव नित नियम सु, वाका होज्या व्यारा न्यारा, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले। राजू पर तो नजर दया की, तू करतो ही री जे, सबसू पहलया थारा भजन को, मौकों मने ही दीजे, ओ थारा नित उठ दर्शन, पाऊं म्हारी मर्जी सुन ले।
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Author - Saroj Jangir
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