शारदे शारदे वर दे माँ ऐसा भजन
(मुखड़ा)
शारदे, शारदे, वर दे,
माँ, ऐसा,
एक युग में तो क्या,
किसी युग में,
दिया हो न जैसा।।
(अंतरा)
तेज तेरा जगत में समाया,
रूप तेरा मेरे मन को भाया,
ज्ञान की जोत से जग सजाया,
वीणा वाली, मैं ये गुनगुनाया,
शारदे, शारदे, वर दे,
माँ, ऐसा।।
वेद हाथों में माँ, तेरे भाए,
वीणा वाली, तू वीणा बजाए,
स्वरमयी, तुझको जो नित्य ध्याए,
तेरा आशीष वो निश्चय पाए,
शारदे, शारदे, वर दे,
माँ, ऐसा।।
सात स्वर में विराजे तू माता,
वीणा कर में, तेरे मन भाता,
मान, सम्मान और ज्ञान पाता,
तेरे चरणों के गुण जीव भी गाता,
शारदे, शारदे, वर दे,
माँ, ऐसा।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
शारदे, शारदे, वर दे,
माँ, ऐसा,
एक युग में तो क्या,
किसी युग में,
दिया हो न जैसा।।
शारदे शारदे वर दे मां ऐसा......