परनारी राता फिरै चोरी बिढता खाँहिं मीनिंग

परनारी राता फिरै चोरी बिढता खाँहिं मीनिंग

परनारी राता फिरै, चोरी बिढता खाँहिं।
दिवस चारि सरसा रहै, अंति समूला जाँहिं॥
Parnari Rata Phiere, Chori Bidhata Khahi,
Divas Chari Sarsa Rahe, Anti Samula Jahi.

परनारी राता फिरै : जो व्यक्ति परनारी में रत होकर, आसक्त होकर फिरता है.
चोरी बिढता खाँहिं : चोरी की कमाई, चोरी का धन खाता है.
दिवस चारि सरसा रहै : चार दिन तक समृद्ध रहता है. पल्लवित होता है.
अंति समूला जाँहिं : अंत में समूल जाता है, नष्ट हो जाता है.
परनारी : दूसरों की स्त्री, पराई स्त्री.
राता : रत होकर, आसक्त होकर.
फिरै : रहता है, विचरण करता है.
चोरी बिढता : चोरी का धन, कमाई.
खाँहिं : खाता है, अपने जीवन को चोरी के धन से चलाता है.
दिवस चारि : चार दिन, अल्प समय.
सरसा रहै : सम्पन्न रहता है,
अंति : आखिर में.
समूला जाँहिं : समूल नष्ट हो जाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की हमें हमारे जीवन में पवित्रता और साफ़गोई को शामिल करना चाहिए. यदि हमारे आचरण में शुद्धता नहीं है तो अवश्य ही विनाश को प्राप्त होना है. यथा जो व्यक्ति परनारी से प्रेम करता है, परनारी के प्रति आसक्ति रखता है, अपने जीवन को चोरी के धन से व्यतीत करता है, जीवन यापन करता है वह अवश्य ही नष्ट हो जाना है. भले ही वह कुछ समय के लिए फलता फूलता हुआ नजर आ जाए, लेकिन अंत में उसका नाश निश्चित है.
अतः व्यक्तिगत रूप से संयमित होकर अपने जीवन में हृदय से हरी के नाम का सुमिरण ही मुक्ति का आधार है.
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