यह सिंधी गीत जो की एक कविता है, दिल में शीघ्र ही उत्तर जाती है। इस कविता को आप पाकिस्तान के दिग्गज एलन फकीर की आवाज में सुनते हैं तो यह अधिक रोचक लगती है। यह कुछ सूफ़ी गीत के नजदीक प्रतीत होती है। तीरी पावंदा शेख अयाज़ की सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक है।
तिरी पावंदा तारीएं, जदे गाढ़ा गुल्ल, अल्लाह ला, तधेई मिलदा सी, Tiri pawanda taareeain Jadahen garha gul, Allah la! Tadahen milanda seen तिरी पावंदा तारीएं : जब फूल खिलेंगे।
(हम कब मिलेंगे, जब डालों पर गुल (फूल) खिलेंगे, तब हम मिलेंगे )
जदे वरंद्यूं , कूंजड्यूं, हो अल्लाह, हर हर करे हुल्ल, अल्लाह ला, तधेई मिलंदा सी, तिरी पावंदा तारीएं, जदे गाढ़ा गुल, अल्लाह ला, तधेई मिलंदा सी। Jadahen warandiyun koonjariyun, ho allah! Har har kare hulla, Allah la! Tadahen milanda seen
(जब कुरजा (कुरजा पक्षी के झुण्ड लौटेंगे, हर हर की आवाज करते हुए लौटेंगे, तब हम मिलेंगे। )
गल निघोडा त्रीमंदा हो अल्लाह, जदे मोतीन तुल, अल्लाह ला, तधेई मिलंदा सी, तिरी पावंदा तारीएं, जदे गाढ़ा गुल, अल्लाह ला, तधेई मिलंदा सी। Galan godaa treemanda, ho allah! Jadahen motin tul, Allah la! Tadahen milanda seen
(जब गालों पर आंसुओं का गिरना, मोती रूप में दिखेंगे, तब हम मिलेंगे )
विछोड़े जा दीनहड़ा, हो अल्लाह, भौराई जी भूल, अल्लाह ला, तदेई मिलदा सी, तिरी पावंदा तारीएं, जदे गाढ़ा गुल, अल्लाह ला, तधेई मिलंदा सी। Vichhode ja deenhada, ho allah! Bhoraain jee bhul, Allah la! Tadahen milanda seen
(जब हम यह समझ लेंगे की यह बिछोड़े के दिन महज़ भरम है, तब ही हम मिलेंगे।