अवधू अंधाधुंध अंधियारा भजन
सतगुरु की महिमा अनंत,
अनंत किया उपकार,
लोचन अनंत उघाडिया,
अनंत दिखावन हार।
अवधू अंधाधुंध अंधियारा,
अवधु अंधाधुंध अँधियारा,
कोइ ना जानन हारा।
इस घट अंतर बाग़ बगीचा,
याही में सिर्जनहारा,
अवधू अंधाधुंध अंधियारा,
अवधु अंधाधुंध अँधियारा।
या घट अंतर सात समुंदर,
याही में नौ लख तारा,
या घट अंतर हीरा मोती,
याही में परखनहारा,
अवधू अंधाधुंध अंधियारा,
अवधु अंधाधुंध अँधियारा।
या घट अंतर अनहद गरजे,
याही में उठत फुहारा,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
याही में गुरु हमारा,
अवधू अंधाधुंध अंधियारा,
अवधु अंधाधुंध अँधियारा।
कहत कबीर भजन नं.23. अवधू अंधाधुंध अंधियारा, गायक- संत श्री गौरव साहेब, श्री कबीर आश्रम किशनगढ़
Sataguru Ki Mahima Anant,
Anant Kiya Upakaar,
Lochan Anant Ughaadiya,
Anant Dikhaavan Haar.
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi