पवित्र नवरात्रि का तीर दिवस माता चंद्रघंटा को समर्पित होता है। माता के १० भुजाएं हैं और उनका वाहन शेर है। अतः माता को सिंह वाहिनी कहा जाता है। माता रानी निर्भयता और साहस का प्रतीक हैं। वह दस सशस्त्र है और बहादुरी का प्रतीक हैं। माता के मस्तक पर चंद्रमा घंटी के आकार में प्रदर्शित होता है इसलिए माता को "चंद्रघंटा" के नाम से जाना जाता है। माता के इसी घंतिनुमा चन्द्र से जो आवाज उत्पन्न होती थी उससे समस्त असुर भयभीत होकर भाग खड़े होते थे। आप भी माता रानी के इस दिव्य मन्त्र का जाप करें जिससे आपके जीवन की समस्त बाधाएं और संकर अवश्य ही दूर होगा।
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
Pindajapravaraarudha Chandakopaastrakairyuta.
Prasaadan Tanute Mahyan Chandraghanteti Vishruta.
Pindajapravaraarudha Chandakopaastrakairyuta.
Prasaadan Tanute Mahyan Chandraghanteti Vishruta.
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