माँ भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे माथे पे लाल लाल बिंदिया,
मांग सिंदूर भरी अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मैया जी के गले में फूलों की माला,
बीच में चंपा कली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे हाथों में लाल लाल चूड़ियां,
हथेली में मेहंदी रची अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे पांव में पायल सोहे,
मां ठुमक ठुमक निकली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मंदिर का पुजारी यूं बोला मां से,
बन ठन कहां को चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मेरे भक्तों के संकट भारी,
मैं संकट हरने चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे माथे पे लाल लाल बिंदिया,
मांग सिंदूर भरी अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मैया जी के गले में फूलों की माला,
बीच में चंपा कली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे हाथों में लाल लाल चूड़ियां,
हथेली में मेहंदी रची अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
गोरे गोरे पांव में पायल सोहे,
मां ठुमक ठुमक निकली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मंदिर का पुजारी यूं बोला मां से,
बन ठन कहां को चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
मेरे भक्तों के संकट भारी,
मैं संकट हरने चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली,
माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Read More : Mata Rani Bhajan)
नवरात्रि स्पेशल भजन | मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली | mataranikebhajan withlyrics
Mat Rani Bhajan By Kiran Saimal
"माँ भक्तों ने घेर लई, अकेली भवन चली" की पंक्ति माँ के प्रति भक्तों की तीव्र भक्ति और उनके चारों ओर प्रेममयी भीड़ को दर्शाती है, फिर भी माँ का अकेले भवन की ओर जाना उनके स्वतंत्र और शक्तिशाली स्वरूप का प्रतीक है। "गोरे गोरे माथे पे लाल लाल बिंदिया, मांग सिंदूर भरी" और "गोरे गोरे हाथों में लाल लाल चूड़ियां, हथेली में मेहंदी रची" जैसी पंक्तियाँ माँ के सौंदर्य और सौम्य स्वरूप को उजागर करती हैं, जो नारीत्व, शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है। माँ का गले में फूलों की माला और बीच में चंपा की कली, साथ ही पायल की झंकार और ठुमक-ठुमक कर चलना, उनके रमणीय और आकर्षक रूप को दर्शाता है, जो भक्तों के हृदय को मोह लेता है।
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