अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर और कहां मैं जाऊं भजन
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
जगदम्बे तुम्हारा नाम भूलकर,
और किसे मैं गाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
रोम रोम में रमी हुई हो,
हे घट घट की स्वामी,
सुरत समाधी श्रीधर,
ध्यानु की तुम अंतर्यामी,
वर दे दो हे मैया,
जन्म भर तुझमें ही रम जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
जबसे इस जीवन में,
मैंने तेरी ज्योति जगाई,
तबसे मन मंदिर में,
मैंने तेरी ही छवि पाई,
अपने मन को बनाया आरती,
भक्ति दिया दमकाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
जिसको मैया के आंचल,
मिल गई निर्मल छाया,
मां की कृपा से अखिल जगत में,
उसने सब कुछ पाया,
मां के नाम की धुन गा गाकर,
सागर से तर जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
जगदम्बे तुम्हारा नाम भूलकर,
और किसे मैं गाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं।
जय जय अम्बे मां,
जय जय अम्बे मां।
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
जगदम्बे तुम्हारा नाम भूलकर,
और किसे मैं गाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
रोम रोम में रमी हुई हो,
हे घट घट की स्वामी,
सुरत समाधी श्रीधर,
ध्यानु की तुम अंतर्यामी,
वर दे दो हे मैया,
जन्म भर तुझमें ही रम जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
जबसे इस जीवन में,
मैंने तेरी ज्योति जगाई,
तबसे मन मंदिर में,
मैंने तेरी ही छवि पाई,
अपने मन को बनाया आरती,
भक्ति दिया दमकाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
जिसको मैया के आंचल,
मिल गई निर्मल छाया,
मां की कृपा से अखिल जगत में,
उसने सब कुछ पाया,
मां के नाम की धुन गा गाकर,
सागर से तर जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर।
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं,
जगदम्बे तुम्हारा नाम भूलकर,
और किसे मैं गाऊं,
अम्बे तुम्हारा धाम छोड़कर,
और कहां मैं जाऊं,
और कहां मैं जाऊं।
जय जय अम्बे मां,
जय जय अम्बे मां।
Ambe Tumhara Dham Chhodkar Or Kahan Main Jau Bhajan By Suresh Ji Maa Vaishno Darbar
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Author - Saroj Jangir
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