मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाए के
मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाए के
मंदिर में बैठी मैया जी, आसन लगाए के,हम सब मनाए मैयां को ताली बजाए के।
रामा मनाए सीता को,
रामा मनाए सीता को धनुवा चलाए के,
हम सब मनाए मैया को ताली बजाए के,
मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाय के,
हम सब मनाए मैयां को ताली बजाए के।
भोले मनाए गौरा को,
भोले मनाए गौरा को डमरू बजाए के,
हम सब मनाए मैया को ताली बजाए के,
मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाय के,
हम सब मनाए मैयां को ताली बजाए के।
कृष्णा मनाए राधा को,
कृष्णा मनाए राधा को बंसी बजाए के,
हम सब मनाए मैया को ताली बजाए के,
मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाय के,
हम सब मनाए मैयां को ताली बजाए के।
विष्णु मनाए लक्ष्मी को,
विष्णु मनाए लक्ष्मी को चक्र चलाए के,
हम सब मनाए मैया को ताली बजाए के,
मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाय के,
हम सब मनाए मैयां को ताली बजाए के।
नवरात्रि भजन | मंदिर में बैठी मैया जी आसन लगाए के | Mata Bhajan | Navratri Bhajan | Kirti Singh
माँ की कृपा और भक्ति का भाव हर उस हृदय में संचार करता है, जो श्रद्धा और प्रेम के साथ उनके चरणों में समर्पित होता है। मंदिर में माँ की मूर्ति के सामने बैठकर, जब भक्त ताली बजाकर उनकी महिमा का गुणगान करते हैं, तो वह क्षण केवल एक रस्म नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा से मिलन बन जाता है। यह भक्ति का वह रूप है, जिसमें भक्त अपने मन की सारी व्यथा और सांसारिकता को भूलकर माँ के प्रति पूर्ण समर्पण का अनुभव करता है। माँ का आसन, जो मंदिर में सुशोभित है, वह केवल एक स्थान नहीं, अपितु वह शक्ति का केंद्र है, जहाँ से सारी सृष्टि को ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है। इस भाव में भक्त का मन माँ की करुणा, शक्ति और प्रेम में डूब जाता है, और वह उनके प्रति अपनी श्रद्धा को तालियों की गूंज के साथ व्यक्त करता है।