धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई

धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई

ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाणा, सार न जाणा तेरी,
ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाणा, सार न जाणा तेरी,
सभ ते वड्डा सतिगुर नानक, जिन कल राखी मेरी,
सभ ते वड्डा सतिगुर नानक, जिन कल राखी मेरी,
तेरे सेवक कौ भी किछ नाहीं,
तेरे सेवक कौ भी किछ नाही, जम नहीं आवै नेरे
मेरे राम राय, तूँ संतां का संत तेरे,
मेरे राम राय, तूँ संतां का संत तेरे। 

 
बाणी गुरु गुरु है बाणी,
विच बाणी अमृत सारे,
गुरुबानी कहे सेवक जन माने,
परतख गुरु निसतारे,

धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,
दयाल पुरख मेहरवाना, हर नानक साच वखाना,
परमेश्वर दिता बन्ना, दुख रोग का डेरा भना,
अनन्द करे नर नारी, हर हर प्रभ किरपा धारी,
धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,

सन्तो सुख होवा सब थाई, सुख होवा सब थाई,
परब्रह्म पूरन परमेश्वर, रवि रविया सबनी थाई,
धुर की बाणी आई तिन सगली चिंत मिटाई,

धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,
दयाल पुरख मेहरवाना, हर नानक साच वखाना,
 
धुर की बाणी : धुरी की बाणी / शब्द जो समस्त जगत का केंद्र है .
 

Dhur Ki Bani Aayi Bhai Joginder Singh Riar

 
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