धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई मीनिंग Dhur Ki Baani Aayi Meaning Shabad Hindi Meaning
ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ - धुर की बाणी आई,
ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ - तिनि सगली चिंत मिटाई,
ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ - तिनि सगली चिंत मिटाई,
The Bani of His Word emanated from the Primal Lord. It eradicates all anxiety.
ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ दइआल पुरख मिहरवाना
ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ हरि नानक साचु वखाना
The Lord is merciful, kind and compassionate. Nanak chants the Naam, the Name of the True Lord.
ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ परमेसरि दिता बंना,
ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ दुख रोग का डेरा भंना
The Transcendent Lord has given me His support. The house of pain and disease has been demolished.
ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ अनद करहि नर नारी,
ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ हरि हरि प्रभि किरपा धारी
The men and women celebrate. The Lord God, Har, Har, has extended His Mercy.
ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ संतहु सुखु होआ सभ थाई
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
पारब्रहमु पूरन परमेसरु रवि रहिआ सभनी जाई ॥ रहाउ ॥
O Saints, there is peace everywhere. The Supreme Lord God, the Perfect Transcendent Lord, is pervading everywhere. ||Pause||
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फ़तेह
"Sorath Mehala 5 ||Sorat'h, Fifth Mehl:
ਅਮ੍ਰਿਤ ਕੀਰਤਨ ਗੁਟਕਾ: ਪੰਨਾ ੬੮੪ ਪੰ. ੧
Raag Sorath Guru Arjan Dev"
ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाणा, सार न जाणा तेरी,
ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाणा, सार न जाणा तेरी,
सभ ते वड्डा सतिगुर नानक, जिन कल राखी मेरी,
सभ ते वड्डा सतिगुर नानक, जिन कल राखी मेरी,
तेरे सेवक कौ भी किछ नाहीं,
तेरे सेवक कौ भी किछ नाही, जम नहीं आवै नेरे
मेरे राम राय, तूँ संतां का संत तेरे,
मेरे राम राय, तूँ संतां का संत तेरे।
यह पवित्र शबद भी अवश्य ही देखें : ऐसी मरनी जो मरे बहुर ना मरना होय शबद हिंदी मीनिंग Aisi Marani Jo Mare Bahur Na Marna Hoy : Shabad Hindi Meaning
बाणी गुरु गुरु है बाणी,
विच बाणी अमृत सारे,
गुरुबानी कहे सेवक जन माने,
परतख गुरु निसतारे,
Dhur Ki Bani Aayi Lyrics/धुर की बाणी आई लिरिक्स
धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,
Dhur Ki Baani Aai, Tin Sagali Chint Mitaayi,
दयाल पुरख मेहरवाना, हर नानक साच वखाना,
Dayaal Purakh Beharbaana, Har Nanand Sach Bakhaana,
परमेश्वर दिता बन्ना, दुख रोग का डेरा भना,
Parmeshwar Ditta Banna, Dukh Rog Ka Dera Bana,
अनन्द करे नर नारी, हर हर प्रभ किरपा धारी,
Aanand Kre Nar Nari, Har Har Prabh Kirapa Dhari,
धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,
Dhur Ki Baani Aai, Tin Sagali Chint Mitaayi,
सन्तो सुख होवा सब थाई, सुख होवा सब थाई,
Santo Sukh Hova Sab Thai, Sukh Hova Sub Thai,
परब्रह्म पूरन परमेश्वर, रवि रविया सबनी थाई,
Parbrahm Puran Parmeshwar Raviya Sabni Thai,
धुर की बाणी आई तिन सगली चिंत मिटाई,
Dhur Ki Baani Aai, Tin Sagali Chit Mitaai,
धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई,
Dhur Ki Bani Aayi, Tin Sagali Chint Mitaai,
दयाल पुरख मेहरवाना, हर नानक साच वखाना,
Datyaal Purakh Beharvaana Har Naanak Sanch Vakhaana.
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ ॥
ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ ॥
ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੧॥ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ ॥
ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥
ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥
ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ ॥੨॥੧੩॥੭੭॥
ज्ञान ध्यान किछ कर्म न जाणा, सार न जाणा तेरी : मैं एक अज्ञानी और मुर्ख साधक हूँ जो की ज्ञान ध्यान और कर्म के विषय में नहीं जानता हूँ, मैं आपके सार, महत्त्व को भी पहचान नहीं पा रहा हूँ .
सभ ते वड्डा सतिगुर नानक, जिन कल राखी मेरी : सभी से बड़ा सतगुरु नानक देव जी हैं जिन्होंने मेरी रक्षा की है।
बाणी गुरु गुरु है बाणी, विच बाणी अमृत सारे : बाणी ही गुरु है, (गुरु की बाणी गुरु के ही समान है ) समस्त अमृत गुरु की बाणी के बीच ही है.
गुरुबानी कहे सेवक जन माने, परतख गुरु निसतारे : गुरुवाणी को सेवक स्वीकार करता है जो प्रत्यक्ष गुरु ही हैं। यदि साधक (सेवक) गुरु की बाणी के अनुसार चले तो स्वंय इश्वर उसके सहाय बनते हैं.
(ਬਾਣੀ ਗੁਰੂ ਗੁਰੂ ਹੈ ਬਾਣੀ, ਵਿਚਿ ਬਾਣੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਾਰੇ)
धुर की बाणी आई तिन सगळी चिंत मिटाई : धुर से आशय केन्द्रीय धुरी से है, जो समस्त ब्रह्माण्ड की धुरी है, केंद्र है उस गुरु की वाणी (वचन) आए हैं. समस्त जगत में व्याप्त हो गए हैं और उनके प्रभाव से समस्त जगत के दुख और संताप, चिंता को मिटाया है. गुरु की बाणी ने समस्त दुख और चिंताओं को मिटा दिया है।
Dhur Ki Baani Aai, Tin Sagali Chint Mitaayi : Dhur means the central axis, which is the axis of the whole universe, the center is the speech (words) of that guru. They have pervaded the whole world and due to their influence, the sorrow and anguish of the whole world has been eradicated. Guru's Bani has removed all sorrows and worries.
परमेश्वर दिता बन्ना, दुख रोग का डेरा भना,
ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ, ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ,
पूर्ण परमेश्वर ने हमें सहारा दिया है. जीवात्मा का एक ही सहाई है, पूर्ण परमात्मा इश्वर ने ही हमें सहारा दिया है.
Paramaesar Dhitha Banna, Dhukh Rog Ka Ddaera Bhanna: There is only one helper of the soul, the Supreme God, the Supreme Soul, has given us support.
आनंद करें नर नारी, हर हर प्रभ कृपा धारी :
ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ, ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੧॥
नर और नारी जगत में आनंद प्रकट करते हैं . हर हर प्रभु ने अपनी कृपा को सभी पर फैला दिया है. उस परमपिता की कृपा से सभी लाभान्वित हुए हैं.
Anadh Karehi Nar Naree, Har Har Prabh Kirapa Dhharee : Har Har Har Lord has spread his grace on everyone. Everyone has benefited by the grace of that Supreme Father.
संतों सुख होया सब थाई : हे संत, चारों तरफ ख़ुशी और सुख हुआ है.
पार ब्रह्म पूर्ण परमेश्वर, रब रहेआ सबनी जानी : पूर्ण परमेश्वर समस्त जगत में व्याप्त है, कण कण में वो ही पूर्ण परमात्मा व्याप्त है.
दयाल पुरख मेहरवाना, हर नानक साच वखाना : इश्वर सभी के प्रति दयालु और मेहरबान है. हे नानक सच का बखान करें, सत्य नाम (इश्वर) का सदा ही गुणगान करें।
God is kind and merciful to all. O Nanak, proclaim the truth, always praise the true name (Ishwar), always chants the holy name of eternal God
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भजन श्रेणी : पंजाबी भजन /शबद (Punjabi Bhajan)
ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ ॥
परमेसरि दिता बंना ॥
Parmesar ḏiṯā bannā.
ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ ॥
दुख रोग का डेरा भंना ॥
Ḏukẖ rog kā derā bẖannā.
ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ ॥
अनद करहि नर नारी ॥
Anaḏ karahi nar nārī.
ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੧॥
हरि हरि प्रभि किरपा धारी ॥१॥
Har har parabẖ kirpā ḏẖārī. ||1||
ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ ॥
संतहु सुखु होआ सभ थाई ॥
Sanṯahu sukẖ ho▫ā sabẖ thā▫ī.
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
पारब्रहमु पूरन परमेसरु रवि रहिआ सभनी जाई ॥ रहाउ ॥
Pārbarahm pūran parmesar rav rahi▫ā sabẖnī jā▫ī. Rahā▫o.
ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ ॥
धुर की बाणी आई ॥
Ḏẖur kī baṇī ā▫ī.
ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥
तिनि सगली चिंत मिटाई ॥
Ŧin saglī cẖinṯ mitā▫ī.
ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥
दइआल पुरख मिहरवाना ॥
Ḏa▫i▫āl purakẖ miharvānā.
ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ ॥੨॥੧੩॥੭੭॥
हरि नानक साचु वखाना ॥२॥१३॥७७॥
Har Nānak sācẖ vakẖānā. ||2||13||77||
परमेसरि दिता बंना ॥
Parmesar ḏiṯā bannā.
ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ ॥
दुख रोग का डेरा भंना ॥
Ḏukẖ rog kā derā bẖannā.
ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ ॥
अनद करहि नर नारी ॥
Anaḏ karahi nar nārī.
ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੧॥
हरि हरि प्रभि किरपा धारी ॥१॥
Har har parabẖ kirpā ḏẖārī. ||1||
ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ ॥
संतहु सुखु होआ सभ थाई ॥
Sanṯahu sukẖ ho▫ā sabẖ thā▫ī.
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
पारब्रहमु पूरन परमेसरु रवि रहिआ सभनी जाई ॥ रहाउ ॥
Pārbarahm pūran parmesar rav rahi▫ā sabẖnī jā▫ī. Rahā▫o.
ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ ॥
धुर की बाणी आई ॥
Ḏẖur kī baṇī ā▫ī.
ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥
तिनि सगली चिंत मिटाई ॥
Ŧin saglī cẖinṯ mitā▫ī.
ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥
दइआल पुरख मिहरवाना ॥
Ḏa▫i▫āl purakẖ miharvānā.
ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ ॥੨॥੧੩॥੭੭॥
हरि नानक साचु वखाना ॥२॥१३॥७७॥
Har Nānak sācẖ vakẖānā. ||2||13||77||
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ ॥ ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ ॥ ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ ਨਾਰੀ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥੧॥ ਸੰਤਹੁ ਸੁਖੁ ਹੋਆ ਸਭ ਥਾਈ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਨ ਪਰਮੇਸਰੁ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਭਨੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਧੁਰ ਕੀ ਬਾਣੀ ਆਈ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਚਿੰਤ ਮਿਟਾਈ ॥ ਦਇਆਲ ਪੁਰਖ ਮਿਹਰਵਾਨਾ ॥ ਹਰਿ ਨਾਨਕ ਸਾਚੁ ਵਖਾਨਾ ॥੨॥੧੩॥੭੭॥ {ਅੰਗ 627-628}
सरल हिंदी में अर्थ: हे संतों, जिस मनुष्य को यह विश्वास हो जाता है कि पारब्रह्म इश्वर सभी स्थानों में विद्यमान है, उसके लिए वह इश्वर वह सभी स्थानों पर सुखी प्रतीत होता है।
हे संतों, मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन के लिए पूर्ण परमब्रह्म ने दस्तक दी है। इश्वर ने समस्त दुख और रोगों को नष्ट कर दिया है। जिन प्राणियों पर भगवान ने (यह) कृपा की है, वे सभी प्राणी आध्यात्मिक आनंद का आनंद लेते प्राप्त करते हैं। हे संतों, जिस मनुष्य में परमेश्वर की स्तुति का वचन किया है, उसकी समस्त चिंताओं का निराकरण इश्वर ने किया है। हे नानक! दया के स्रोत, भगवान उस आदमी पर दया करते हैं, वह आदमी (हमेशा के लिए) इश्वर के नाम का गुणगान करते हैं।
ਜਿ ਕਰਾਵੈ ਸੋ ਕਰਣਾ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਾ ॥੨॥੭॥੭੧॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਰਿਦੈ ਦੇ ਪਰੋਇਆ ॥ ਸਭੁ ਕਾਜੁ ਹਮਾਰਾ ਹੋਇਆ ॥
ਪ੍ਰਭ ਚਰਣੀ ਮਨੁ ਲਾਗਾ ॥ ਪੂਰਨ ਜਾ ਕੇ ਭਾਗਾ ॥੧॥ ਮਿਲਿ ਕਿ ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਆ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਅਰਾਧਿਓ ਹਰਿ ਹਰਿ ਮਨ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਤੇ ਪਰਾ ਪੂਰਬਲਾ ਅੰਕੁਰੁ ਜਾਗਿਆ ॥
ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਮਨੁ ਲਾਗਿਆ ॥ ਮਨਿ ਤਨਿ ਹਰਿ ਦਰਸਿ ਸਮਾਵੈ ॥
ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇ ਦੇ ਸਚੇ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ॥੨॥੮॥੭੨॥ ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਪ੍ਰਭੁ ਚਿਤਾਰਿਆ ॥ ਕਾਰਜ ਸਭਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥
ਨੂੰ ਮੰਦਾ ਕੋ ਨ ਅਲਾਏ ॥ ਸਭ ਜੈ ਜੈ ਕਾਰੁ ਸੁਣਾਏ ॥੧॥
ਸੰਤਹੁ ਸਾਚੀ ਸਰਣਿ ਸੁਆਮੀ ॥ ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਹਾਥਿ ਦੇ ਤਿਸੈ ਕੈ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥
ਰਹਾਉ ॥ਕਰਤਬ ਸਭਿ ਸਵਾਰੇ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪੁਨਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰੇ ॥
ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਭ ਨਾਮਾ ॥ ਜਨ ਨਾਨਕ ਸਦ ਕੁਰਬਾਨਾ ॥੨॥੯॥੭੩॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਸਾਜਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥
ਕਿ ਇਹੁ ਲਹੁੜਾ ਗੁਰੁ ਉਬਾਰਿਆ ॥
ਅਨਦ ਕਰਹੁ ਪਿਤਾ ਮਾਤਾ ॥ ਪਰਮੇਸਰ ਜੀਅ ਕਾ ਦਾਤਾ ॥੧॥
ਸਭ ਚਿਤਵਨਿ ਕਿ ਦਾਸ ਤੁਮਾਰੇ॥
ਰਾਖਹਿ ਪੈਜ ਦਾਸ ਅਪੁਨੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਆਪਿ ਸਵਾਰੇ॥
ਰਹਾਉ ॥ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਪਰਉਪਕਾਰੀ ॥
ਪੂਰਨ ਦੀ ਕਲ ਜਿਨਿ ਧਾਰੀ ॥
ਨਾਨਕ ਸਰਣੀ ਆਇਆ ॥
ਮਨ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥੨॥੧੦॥੭੪॥
हे संतों, मनुष्य के आध्यात्मिक जीवन के लिए पूर्ण परमब्रह्म ने दस्तक दी है। इश्वर ने समस्त दुख और रोगों को नष्ट कर दिया है। जिन प्राणियों पर भगवान ने (यह) कृपा की है, वे सभी प्राणी आध्यात्मिक आनंद का आनंद लेते प्राप्त करते हैं। हे संतों, जिस मनुष्य में परमेश्वर की स्तुति का वचन किया है, उसकी समस्त चिंताओं का निराकरण इश्वर ने किया है। हे नानक! दया के स्रोत, भगवान उस आदमी पर दया करते हैं, वह आदमी (हमेशा के लिए) इश्वर के नाम का गुणगान करते हैं।
ਜਿ ਕਰਾਵੈ ਸੋ ਕਰਣਾ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਾ ॥੨॥੭॥੭੧॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਰਿਦੈ ਦੇ ਪਰੋਇਆ ॥ ਸਭੁ ਕਾਜੁ ਹਮਾਰਾ ਹੋਇਆ ॥
ਪ੍ਰਭ ਚਰਣੀ ਮਨੁ ਲਾਗਾ ॥ ਪੂਰਨ ਜਾ ਕੇ ਭਾਗਾ ॥੧॥ ਮਿਲਿ ਕਿ ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਧਿਆਇਆ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਅਰਾਧਿਓ ਹਰਿ ਹਰਿ ਮਨ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਤੇ ਪਰਾ ਪੂਰਬਲਾ ਅੰਕੁਰੁ ਜਾਗਿਆ ॥
ਰਾਮ ਨਾਮਿ ਮਨੁ ਲਾਗਿਆ ॥ ਮਨਿ ਤਨਿ ਹਰਿ ਦਰਸਿ ਸਮਾਵੈ ॥
ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇ ਦੇ ਸਚੇ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ॥੨॥੮॥੭੨॥ ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਗੁਰ ਮਿਲਿ ਪ੍ਰਭੁ ਚਿਤਾਰਿਆ ॥ ਕਾਰਜ ਸਭਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥
ਨੂੰ ਮੰਦਾ ਕੋ ਨ ਅਲਾਏ ॥ ਸਭ ਜੈ ਜੈ ਕਾਰੁ ਸੁਣਾਏ ॥੧॥
ਸੰਤਹੁ ਸਾਚੀ ਸਰਣਿ ਸੁਆਮੀ ॥ ਜੀਅ ਜੰਤ ਸਭਿ ਹਾਥਿ ਦੇ ਤਿਸੈ ਕੈ ਸੋ ਪ੍ਰਭੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥
ਰਹਾਉ ॥ਕਰਤਬ ਸਭਿ ਸਵਾਰੇ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪੁਨਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰੇ ॥
ਪਤਿਤ ਪਾਵਨ ਪ੍ਰਭ ਨਾਮਾ ॥ ਜਨ ਨਾਨਕ ਸਦ ਕੁਰਬਾਨਾ ॥੨॥੯॥੭੩॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਸਾਜਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥
ਕਿ ਇਹੁ ਲਹੁੜਾ ਗੁਰੁ ਉਬਾਰਿਆ ॥
ਅਨਦ ਕਰਹੁ ਪਿਤਾ ਮਾਤਾ ॥ ਪਰਮੇਸਰ ਜੀਅ ਕਾ ਦਾਤਾ ॥੧॥
ਸਭ ਚਿਤਵਨਿ ਕਿ ਦਾਸ ਤੁਮਾਰੇ॥
ਰਾਖਹਿ ਪੈਜ ਦਾਸ ਅਪੁਨੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਆਪਿ ਸਵਾਰੇ॥
ਰਹਾਉ ॥ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਪਰਉਪਕਾਰੀ ॥
ਪੂਰਨ ਦੀ ਕਲ ਜਿਨਿ ਧਾਰੀ ॥
ਨਾਨਕ ਸਰਣੀ ਆਇਆ ॥
ਮਨ ਚਿੰਦਿਆ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥੨॥੧੦॥੭੪॥
ਸੋਰਠਿ
ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਸਦਾ ਸਦਾ ਹਰਿ ਜਾਪੇ॥ ਪ੍ਰਭ ਬਾਲਕ ਰਾਖੇ ਆਪੇ॥ ਸੀਤਲਾ ਠਾਕਿ ਰਹਾਈ ॥ ਬਿਘਨ ਗਏ
ਹਰਿ ॥
ਨਾਈ ॥੧॥ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਹੋਆ ਸਦਾ ਦਇਆਲਾ ॥ ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਣੀ ਭਗਤ ਅਪੁਨੇ ਕੀ ਸਭ ਜੀਅ ਭਇਆ ॥
ਤੇ ਕਿਰਪਾਲਾ ॥ਰਹਾਉ ॥ਪ੍ਰਭ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਾਥਾ ॥ ਹਰਿ ਸਿਮਰਤ ਸਭੁ ਦੁਖੁ ਲਾਥਾ ॥ ਅਪਣੇ
ਦਾਸ ਕੀ ਸੁਣੀ
ਬੇਨੰਤੀ ॥ ਸਭ ਨਾਨਕ ਸੁਖਿ ਸਵੰਤੀ ॥੨॥੧੧॥੭੫॥ ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਅਪਨਾ ਗੁਰੂ ਧਿਆਏ ॥
ਮਿਲਿ ਕੁਸਲ ਨੂੰ ਨੂੰ ਸੇਤੀ ਘਰਿ ਆਏ ॥ ਨਾਮੈ ਕੀ ਵਡਿਆਈ ॥ ਤਿਸੁ ਕੀਮਤਿ ਕਹਣੁ ਨ ਜਾਈ
॥੧॥ ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨ ਦੀ ਆਰਾਧਹੁ ॥ ਹਰਿ ਆਰਾਧਿ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਪਾਈਐ ਕਾਰਜ ਸਗਲੇ
ਸਾਧਹੁ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਪ੍ਰੇਮ ਭਗਤਿ ਪ੍ਰਭ ਲਾਗੀ ॥ ਕਿ ਮੈਂ ਸੋ ਪਾਏ ਜਿਸੁ ਵਡਭਾਗੀ ॥ ਜਨ
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਧਿਆਇਆ ॥ ਤਿਨਿ ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਫਲ ਪਾਇਆ ॥੨॥੧੨॥੭੬॥ ਤੇ
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਪਰਮੇਸਰਿ ਦਿਤਾ ਬੰਨਾ ॥ ਦੁਖ ਰੋਗ ਕਾ ਡੇਰਾ ਭੰਨਾ ॥ ਅਨਦ ਕਰਹਿ ਨਰ
ਨਾਰੀ ॥ ਹਰਿ ਕੇ
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