जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन Jo Sumirat Sidhi Hoi Meaning, Ramayan
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।
Jo Sumirat Sidhi Hoyi, Gan Nayak Karibar Badan,
Karau Anugrah Soi, Buddhi Rasi Shubh Gun Sadan.
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।
Jo Sumirat Sidhi Hoyi, Gan Nayak Karibar Badan,
Karau Anugrah Soi, Buddhi Rasi Shubh Gun Sadan.
हिंदी मीनिंग : श्री गणेश जी की स्तुति में कथन है की जिनको सुमिरन करने से सभी कार्य (काज) सिद्ध हो जाते हैं, पूर्ण हो जाते हैं। जो सभी गणों के स्वामी हैं और हाथी के मुख वाले हैं, जो बुद्धि की राशि और समस्त शुभ गुणों के धाम हैं, हे गणेश जी मुझ पर कृपा करो।
जो : जिनको/श्री गणेश जी को।
सुमिरत : सुमिरण, स्मरण करने से।
सिधि होइ : कार्य सिद्ध होते हैं, पूर्ण होते हैं।
गन नायक : जो देवताओं के गणों के नायक हैं, देवताओं के समूह के स्वामी हैं।
करिबर बदन : जिनका मुख हाथी के मुख जैसा है।
करउ : करते हैं।
अनुग्रह : उपकार करो।
सोइ : वही।
बुद्धि रासि : बुद्धि और राशि।
सुभ गुन सदन : शुभ गुण के भण्डार हैं।
सदन : गृह।
जो : जिनको/श्री गणेश जी को।
सुमिरत : सुमिरण, स्मरण करने से।
सिधि होइ : कार्य सिद्ध होते हैं, पूर्ण होते हैं।
गन नायक : जो देवताओं के गणों के नायक हैं, देवताओं के समूह के स्वामी हैं।
करिबर बदन : जिनका मुख हाथी के मुख जैसा है।
करउ : करते हैं।
अनुग्रह : उपकार करो।
सोइ : वही।
बुद्धि रासि : बुद्धि और राशि।
सुभ गुन सदन : शुभ गुण के भण्डार हैं।
सदन : गृह।
श्री गणेश जी (गणपति) का यह मधुर भजन अवश्य ही सुनें, श्री गणेश जी की आप पर कृपा बनी रहे :-
मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन।
Mook Hoi Vachal Pangu Chadhai Giribar Gahan,
Jaasu Kripa So Dayal Dravau, Sakal Kali Mal Dahan.
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन।
Mook Hoi Vachal Pangu Chadhai Giribar Gahan,
Jaasu Kripa So Dayal Dravau, Sakal Kali Mal Dahan.
हिंदी मीनिंग : श्री गणेश जी की कृपा से गूंगा भी अधिक बोलने वाला (वाचाल) बन जाता है। जो अपंग है (पांवो से चल नहीं सकता है ) वह चलने लग जाता है और पहाड़ पर भी चढ़ जाता है। ऐसे देव मुझ पर कृपा करने वाले हैं। ऐसे देव कलियुग के समस्त पापों को समाप्त (दहन-जला कर भष्म कर देने वाले) करने वाले हैं। ऐसे देव मुझ पर द्रवित हों और मुझ पर कृपा करें।
मूक : गूंगा, जो बोल नहीं सकता है।
होइ : हो जाता है, बन जाता है।
बाचाल : वाचाल (अधिक बोलने वाला)
पंगु : लूला लंगड़ा, अपंग (पाँव से चल पाने में समर्थ)
चढइ : चढ़ जाता है।
गिरिबर : पहाड़।
गहन : दुर्गम, मुश्किल।
जासु : जिनकी।
कृपाँ : कृपा।
सो : से (श्री गणेश जी की कृपा से )
दयाल : दयालु, करुणा करने वाले।
द्रवउ : दया करो, द्रवित हो जाओ (हे गणेश जी कृपा करो )
सकल : समस्त, सम्पूर्ण।
कलि : कलियुग।
मल : पाप, संताप, दोष।
दहन : जला दो (जलाकर समस्त पाप दोष नष्ट कर दो )
होइ : हो जाता है, बन जाता है।
बाचाल : वाचाल (अधिक बोलने वाला)
पंगु : लूला लंगड़ा, अपंग (पाँव से चल पाने में समर्थ)
चढइ : चढ़ जाता है।
गिरिबर : पहाड़।
गहन : दुर्गम, मुश्किल।
जासु : जिनकी।
कृपाँ : कृपा।
सो : से (श्री गणेश जी की कृपा से )
दयाल : दयालु, करुणा करने वाले।
द्रवउ : दया करो, द्रवित हो जाओ (हे गणेश जी कृपा करो )
सकल : समस्त, सम्पूर्ण।
कलि : कलियुग।
मल : पाप, संताप, दोष।
दहन : जला दो (जलाकर समस्त पाप दोष नष्ट कर दो )
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन।
Neel Saroruh Syam Tarun Arun Barij Nayan,
Karau So Mam Ur Dhaam Sada Chhersagar Sayan.
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन।
Neel Saroruh Syam Tarun Arun Barij Nayan,
Karau So Mam Ur Dhaam Sada Chhersagar Sayan.
हिंदी मीनिंग : श्री गणेश जी नीलकमल के सामान श्याम वर्ण (श्यामल रंग के हैं ) के हैं और खिले हुए (तरुण) कमल के समान, लाल रंग के कमल के समान भगवान श्री गणेश जी के नेत्र हैं। हे ईश्वर आप मेरे उर में, हृदय में सदा ही वास करो आप ही क्षीरसागर में शयन करते हो।
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन।।
Kund Indu Sam Deh Umar Raman Karuna Ayan,
Jaahi Deen Par Neh Karau, Kripa Mardan Mayan.
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन।।
Kund Indu Sam Deh Umar Raman Karuna Ayan,
Jaahi Deen Par Neh Karau, Kripa Mardan Mayan.
हिंदी मीनिंग : जिनका बदन तो कुंद के फूल की तरह से गोरा है। आप ही माता पार्वती के चहेते प्रियतम (शंकर जी से आशय ) और दया के धाम हैं। आप ही दीनों (दरिद्र) पर करुणा करने वाले हैं। आप कामदेव का मर्दन करने वाले हैं आप मुझ पर कृपा करें।
बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।
Bandau Guru Pad Kanj Kripa Sindhu Narrup Hari,
Mahamoh Tam Punj Jasu Bachan Rabi Kar Nikar.
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।
Bandau Guru Pad Kanj Kripa Sindhu Narrup Hari,
Mahamoh Tam Punj Jasu Bachan Rabi Kar Nikar.
Hindi Arth/हिंदी मीनिंग : मैं मेरे गुरु के चरण कमल (पाँव) की बंदगी करता हूँ, वंदना करता हूँ जो कृपा के सागर हैं और नररूप में स्वंय भगवान् हैं. जिनके वचन से ही महा मोह (माया) के अन्धकार का अंत होता है, आप ही इस तिमिर को दूर करने वाले सूर्य की किरणों का समूह (पुंज) हैं .
बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू।।
Bandau Guru Pad Padamu Paraga, Suruchi Subas Saras Anuraga,
Amiy Murimay Churan Charu, Saman Sakal Bhav Ruj Parivaru
Hindi Meaning हिंदी मीनिंग /हिंदी अर्थ : मैं मेरे गुरु के चरण कमल (पांवों) की वंदना करता हूँ, पूजा करता हूँ। गुरु के चरण सुंदर स्वाद को जाग्रत करने वाले, सुरुचि हैं, और सुगन्धित और अनुराग को पैदा करने वाले हैं। श्री गुरु के चरण अमृत हैं, अमर मूल (संजीवनी बूंटी ) का अमृत रूपी चूर्ण हैं। इनका शुभ प्रभाव समस्त भव रोगों, संताप को समाप्त करने वाला है।
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Author - Saroj Jangir
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