श्याम की नगरी सुदामा जा रहे
श्याम की नगरी सुदामा जा रहे,
गम में डूबे आंसुओं को छुपा रहे,
श्याम की नगरी सुदामा जा रहे।
कान्हां क्या पहचानेंगे मुझ गरीब को,
सोचकर ये मन ही मन, घबरा रहे,
श्याम की नगरी सुदामा जा रहे।
श्याम की नगरी सुदामा जा रहें।
दर पे रोका पूछा उनसे, कौन हो,
मैं सखा कान्हा का हूँ, बतला रहे,
श्याम की नगरी सुदामा जा रहे।
श्याम की नगरी सुदामा जा रहें।
श्याम तक पहुँचा संदेसा उनका जो,
सिंघासन को छोड़ के, अकुला रहे,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए।
रुक्मणि भी मन ही मन हैरान है,
नंगे पग क्यों श्याम दौड़े जा रहे,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए।
राजा होकर श्याम तंदुल खा रहे,
रोते सुदामा देखो बलबल जा रहे,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए।
श्याम ने पल भर में दुखड़े, हर लिए,
बैठे कान्हां मंद मंद मुस्का रहे,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए,
श्याम की नगरी सुदामा आ गए।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
श्याम की नगरी - श्याम जी का मनमोहित कर जाने वाला भजन - Amrish Vanshi - Kulldeep Sandhu