भगवान शिव के 108 नाम कौन कौन से हैं शिव के नाम और अर्थ

भगवान शिव के 108 नाम कौन कौन से हैं Shiv 108 Name Hindi Meaning

भगवान शिव करुणा के सागर हैं और अपने भक्तों पर दया की दृष्टि रखते हैं। शिव आदि देव हैं, आदि गुरु हैं, सब पर शीघ्र दया करते हैं। वे एक ऐसी शक्ति हैं जो सृजन करती है और विनाश भी। शिव के नाम उनकी लीलाओं को दर्शाते हैं जिनका जाप साधक के लिए अत्यंत ही मंगलकारी होता है। आइये जानते हैं की शिव के 108 नाम कौनसे हैं जिन्हे व्यापक रूप से लोग जानते हैं और उनके सरल हिंदी अर्थ। 

भगवान शिव के 108 नाम कौन कौन से हैं

आशुतोष (Aashutosh) : भगवान शिव अपने भक्तों की इच्छाओं को शीघ्र पूर्ण करते हैं इसलिए उनको आशुतोष कहा जाता है।
आदिगुरू (Aadiguru) : शिव को प्रथम गुरु माना जाता है इसलिए उन्हें "आदि गुरु" कहते हैं।
आदिनाथ : (Aadinath)  जो सबसे पहले के हैं और नाथ, इश्वर हैं। इस श्रृष्टि में शिव को सबसे पहला "गुरु" और सृजनात्मक शक्ति के रूप में कल्याणकारी देव कहा गया है.
आदियोगी (Aadiyogi) : जो प्रथम योगी हैं और जो जगत कल्याण की शक्ति हैं।
अजा (Aja) : जो जन्म नहीं लेता है, जो अजन्मा है. भगवान शिव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हैं.
अक्षयगुणा (Akshayguna) : शिव असीम गुणों के धनी हैं, गुणवान हैं.
अनघा (Anagha) : जिसमें कोई विकार नहीं है, जो दोष रहित है.
अनंत दृष्टी (Anant Drishti) : जिनकी दृष्टि अनंत है, सर्वव्यापक है.
औघड़ (Aughad) : जो सदा ही अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं.
अव्ययप्रभू (Avyavprabhu) : जिनका विनाश नहीं होता है, जो अविनाशी हैं.
भैरव (Bhairav) जो भी से मुक्त हैं, जिन्हें कोई भय नहीं है.
भालनेत्र (Bhalnetra) : जिनके मस्तक पर नेत्र है.
भोलेनाथ (Bholenath) : जो स्वभाव के सरल हैं और भोले होने के कारण शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं.
भूतेश्वर (Bhuteshwar) : जो सभी तत्व, पञ्च तत्व के धनी हैं, स्वामी हैं.
भूदेव (Bhudeva) : समस्त भूमि के जो देव हैं.
भूतपाल (Bhutpal) : जो शरीर धारण करने वालों से अतिरिक्त के भी स्वामी हैं.
चंद्रपाल (Chandrapal) : शिव जो चंद्रमा के देव हैं.
चंद्रप्रकाश (Chandraprakash) : जिनके मस्तक पर चंद्रमा प्रकाशित है.
दयालु (Dayalu) : जो सभी पर दया करते हैं.
देवाधिदेव (Devadhidev) :  जो देवों के भी देव हैं.
धनदीप (Dhandeep) : जो धन के स्वामी हैं.
ध्युतिधर
(Dhyutidhar) : जो प्रकाशित हैं और तेज के स्वामी हैं.
 
दिगंबर (Digambar) : श्री शिव आकाश को ही वस्त्र रूप में धारण करते हैं।
दुर्जनीय (Durjaniy): जिनको जितना बहुत ही कठिन है।
दुर्जय (Durjay) : जिनको जीत पाना संभव नहीं है।
गंगाधर (Gangadhar) : जो गंगा जी के इश्वर हैं।
गिरीजापति (Girijapati) : जो गिरिजा (माता गौरा ) के पति हैं।
गुणग्राही (Gungrahi) : श्री शिव जो गुणों को ग्रहण करने वाले हैं।
गुरुदेव (Gurudev) : जो महान गुरु हैं।
हर (Har) : समस्त पाप और दोष को हर लेने वाले।
जगदीश (Jagadish) : जो जगत (ब्रह्मांड) के स्वामी हैं, ईश्वर हैं, अधिपति हैं।
जराधीशमन (Jaradhishaman) : शिव जगत को कष्टों से मुक्ति देने वाले हैं।
जतिन (Jatin) : जिनके केश (बाल) उलझे उहे हैं।
कैलास (Kailash) : जो शान्ति प्रदान करने वाले हैं।
कैलाशाधिपति (Kailashdhipati) : जो कैलाश के स्वामी हैं। कैलाश पर्वत के अधिपति।
कैलाशनाथ (Kailashnath) : जो कैलाश के नाथ हैं।
कमलाक्षण (Kamalakshan) : जिनके नेत्र कमल के समान हैं।
कांथा (Kantha) : सदा ही उज्ज्वल रहने वाले श्री शिव।
कपालिन (Kapalin) : जिनके गले में कपाल हार/आभूषण के रूप में हैं।
कोचादाइयां (Kochadaiya) : जिनके बाल लम्बे हैं।
कुण्डलिन (Kundalin) : शिव जो अपने कानों में बालिया धारण करते हैं।
ललाटाक्ष (lalaataksha) : जिनके मस्तक पर नेत्र हैं (त्रिनेत्र)
लिंगाध्यक्ष (Lingadhyaksh) : जो लिंग के अध्यक्ष हैं, स्वामी हैं।
लोकांकर (Lokankar) : तीनों लोकों के निर्माता, नियामक।
लोकपाल (Lokpal) : जगत के पालक, देखभाल करने वाले।
महाबुद्धि (Mahabuddhi) : जो उच्चतम बुद्धि को धारण करते हैं।
महादेव (Mahadev) : जो महान देव हैं, सर्वोच्च देव हैं।
महाकाल (Mahakal) : जो काल (समय) के भी स्वामी हैं।
महामाया (Mahamaya) : शिव जो महान माया के स्वामी हैं।
महामृत्युंजय (Mahamrityunjaya) : शिव जो मृत्यु पर विजय रखते हैं।
महानिधि (Mahanidhi) : महान निधि को धारण करने वाले।
महाशक्तिमाया (Mahashaktimaya) : असीम शक्तियों के स्वामी।
महायोगी (Mahayogi) : जो महान योगी हैं।
 
महेश (Mahesh) : शिव जो सर्वोच्च देव हैं।
महेश्वर (Maheshwar) : जो महेश (देव) देवताओं के भी देव हैं।
नागभूषण (Nagbhushan) : जिन्होंने अपने गले में नागों को / सर्प को आभूषण के रूप में पहन रखा है।
नटराज (Natraj) : जो नृत्य कला के राजा हैं, नृत्य में निपुण हैं।
नीलकंठ (Neelkantha) : जिनका गला नीला है, विष पान करने के कारण शिव जी का कंठ नीला पड़ गया था।
जिनका गला नीला है
नित्यसुन्दर (Nityasundar) : जो सदा ही सुन्दर हैं।
नृत्यप्रिय (Nrityapriy) : जिनको नृत्य प्रिय हैं।
ओमकारा (Omkara) : ॐ को बनाने वाले, निर्माता। ॐ का सृजन शिव जी ने ही किया है।
पालनहार (Palanhaar) : समस्त ब्रह्मांड के पालक, पालन करने वाले।
पंचात्शरण (Panchatshran) : जो विशाल है, शक्तिशाली है।
परमेश्वर (Parmeshwar) : जो परम ईश्वर है, सभी देवों में जिनका स्थान सर्वोच्च है।
परमज्योति (Paramjyoti) : जो परम ज्योति के पुंज हैं, जिनका वैभव महान है।
पशुपति (Pashupati) : जो जीव (पशु) के स्वामी हैं, ईश्वर हैं।
पिनाकिन (Pinakin) : जिनके हाथों में धनुष है।
प्रणव (Pranav) : ॐ ध्वनि के जनक।
प्रियभक्त (Priybhakt) शिव जो भक्तों के प्रिय हैं।
प्रियदर्शन (Priyadarshan) : जो जीवों पर प्रिय दृष्टि रखते हैं।
पुष्कर (Pushkar) : जो पोषण देते हैं।
पुष्पलोचन (Pushplochan) : जिनके नेत्र पुष्प (फूल) के सादृश्य हैं।
रविलोचन (Ravi Lochan) : जिनके नेत्र रवि (सूर्य) के समान हैं, तेजमय हैं।
रुद्र (Rudra) : जो गरजते हैं, भयंकर हैं।
सदाशिव (Sadashiv) : जो सदा ही कल्याणकारी और श्रेष्ठ हैं।
सनातन (Sanatan) : जो प्राचीन देव हैं।
सर्वाचार्य (Sarvacharya) : जो सर्वोच्च शिक्षक हैं।
सर्वशिव (Sarvshakti) जो सर्वोच्च देव हैं।
सर्वत्पन (Sarvtpn) : सभी के गुरु।
सर्वयोनी Sarvyoni) : जो सदैव शुद्ध रूप में हैं।
 
सर्वेश्वर (Sarveshwar) : जो सब जन के, ब्रह्माण्ड के स्वामी हैं, सभी के ईश्वर हैं।
शम्भो (Shambho/Shambhu) : जो शुभ के दाता हैं, स्यंभू हैं। शिव स्वंय में परिपूर्ण हैं।
शंकर (Shankar) : जो सभी भगवान के भी भगवान् हैं, सर्वोच्च ईश्वर हैं।
शान्त (Shant) : जो स्कंद के उपदेशक हैं।
शूलिन (Shulin) : जो आनंद प्रदाता हैं।
श्रेष्ठ (Shreshth) : चंद्रमा के देवता, शिव चंद्र के स्वामी हैं।
श्रीकांत (Shrikant) : जो सदा ही शुद्ध रूप में हैं।
श्रुतिप्रकाश (Shrutiprakasha) : जो त्रिशूल धारण करते हैं।
स्कंद्गुरू (Skandguru) : जो वेदों के भी रचियता हैं।
सोमेश्वर (Someshwar) : जो शुद्ध रूप में हैं।
सुखद (Sukhad) : जो आनंद और सुख देने वाले हैं।
स्वयंभू (Svayambhu) : जो स्वंय में बने हैं, जो मृत्यु और मरण से परे हैं। स्वंय में परिपूर्ण हैं। शिव ने स्वंय ही स्वंय को बनाया है, उनका निर्माता कोई नहीं है।
तेजस्विनी (Tejasvini) : जो तेजमय है और तेज को चारों तरफ फैलाता है।
त्रिलोचन (Trilochan) : जो तीन नेत्र वाले हैं।
त्रिलोकपति (Trilokpati) : जो तीनों लोकों के स्वामी हैं।
त्रिपुरारी (Tripurari) : तीन असुरों के नगरों (तीन शहर ) का अंत करने वाले।
त्रिशूलिन (Trishulin) : जो अपने हस्त में त्रिशूल को धारण करते हैं।
उमापति (Umapati) : जो उमा (गौरा ) के पति हैं, स्वामी हैं।
वाचस्पति (Vachaspati) : जो बोलने के प्रवीण हैं, बोलने में दक्ष हैं।
वज्रहस्त (Vajrahast) : जिनके हाथ में वज्र है।
वरद (Varad) : जो वरदानों को देने वाले हैं।
वेदकर्ता (Vedkarta) : जो वेदों के स्वामी हैं, मूल हैं।
वीरभद्र (Veerbhadra) : जो पाताल लोक के स्वामी हैं।

विशालाक्ष (Vishalaksha) : जिनके नेत्र चौड़े हैं, विशाल हैं।
विशेषवर (Vishwveshwar) : जो ब्रह्माण्ड के स्वामी हैं।
विश्वनाथ (Vishwanatha) : जो जगत/विश्व के स्वामी हैं, नाथ हैं।
वृषवाहन (Vrishvahan) : जिनका वाहन बैल है। शिव बैल की सवारी करते हैं।
 

भजन श्रेणी : शिव भजन ( Shiv Bhajan)

 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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