अलख निरंजन निज निराकारी विभो नभ ज्यूँ अलख पसारी

अलख निरंजन निज निराकारी विभो नभ ज्यूँ अलख पसारी

अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

निर्गुण से सगुण हो आया,
ज्योति स्वरूप है आपकी माया।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश उपाया,
तीनों मिलकर आरंभ थाया।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

सनकादिक ऋषि प्रथम जाणो,
पीछे मानस पुत्र दस बखाणो।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

सगुण आप दस अवतारी,
देवी–दानव की रचना भारी।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

शशि, भानु, जो नौ लाख तारा,
रेणु दिवस में करें उजियारा।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

गोकुल स्वामी, सतगुरु दाता,
लादूदास शरण गुण गाता।
अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।

अलख निरंजन निज निराकारी,
विभो नभ ज्यूं अलख पसारी।।


अलख निरंजन निज निराकारी//Alakh niranjan nij nirakari//चम्पा लाल प्रजापति//Champa lal prajapati

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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