देखा देखी भगति है कदे न चढ़ई रंग मीनिंग Dekha Dekhi Ki Bhagati Meaning

देखा देखी भगति है कदे न चढ़ई रंग मीनिंग Dekha Dekhi Ki Bhagati Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

देखा देखी भगति है, कदे न चढ़ई रंग।
बिपति पढ्या यूँ छाड़सी, ज्यूं कंचुली भवंग॥
Dekha Dekhi Bhagati Hai, Kade Na Chadhayi Rang,
Bipatti Padhya Yu Chhadsi, Jyu Kanchuli Bhavang.

देखा देखी भगति है : देखा देखि भक्ति का रंग कभी भी नहीं चढ़ता है.
कदे न चढ़ई रंग : कभी भी रंग नहीं चढ़ता है.
बिपति पढ्या यूँ छाड़सी : मुश्किल की घडी में वे साथ छोड़ देते हैं.
ज्यूं कंचुली भवंग : जैसे सांप अपनी केंचुली को बदल देता है.
देखा देखी : एक दुसरे को देखने के कारण, होड़ में.
भगति : भक्ति  
कदे : कभी भी.
न : नहीं.
चढ़ई रंग : रंग नहीं चढ़ता है, भक्ति को प्राप्त नहीं कर पाता है.
बिपति : मुश्किल, विपत्ति.
पढ्या : पड़ने पर.
यूँ : जैसे.
छाड़सी : छोड़ना. त्यागना.
ज्यूं : जैसे.
कंचुली : केंचुली, सांप की केंचुली जिसका वह त्याग कर देता है.
भवंग : सांप, सर्प.

कबीर साहेब की वाणी है की देखा देखी की भक्ति कभी भी सार्थक नहीं हो सकती है. देखा देखी में की गई भक्ति क्षणिक होती है और विपत्ति काल में व्यक्ति भक्तो को छोड़  देता है जैसे सर्प अपनी केंचुली को उतार देता है. ऐसे ही लोगों का अनुसरण करने वाले भी अपने मार्ग पर स्थाई नहीं होते हैं.
अतः साहेब की वाणी है की हमें भक्ति के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए.
 
 

कबीर दास जी के अन्य दोहे सरल हिंदी अर्थ सहित यहाँ देखें (Kabir Das Ke Dohe Saral Hindi Arth Sahit Dekhe)

निचे दिए गए लिंक पर जाकर आप कबीर साहेब के दोहे को खोज सकते हैं, जिसका सरल हिंदी अर्थ आपको प्राप्त हो जाएगा.
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url