करिए तौ करि जाँणिये सारीषा सूँ संग मीनिंग Kariye To Kari Janiye Meaning

करिए तौ करि जाँणिये सारीषा सूँ संग मीनिंग Kariye To Kari Janiye Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

करिए तौ करि जाँणिये, सारीषा सूँ संग।
लीर लीर लोइ थई, तऊ न छाड़ै रंग॥
Kariye To Kari Janiye, Saripa Su Sang,
Leer Leer Loi Thayi, Tau Na Chhade Rang.

करिए तौ करि जाँणिये : यदि करनी है तो करके जानों.
सारीषा सूँ संग : अपने सरीखे से संग, अपने जैसे की संगती.
लीर लीर लोइ थई : यदि लोई लीर लीर/चिथड़े चिथड़े हो जाए तब भी.
तऊ न छाड़ै रंग : तब भी रंग नहीं छोडती है.
करिए तौ : करनी है तो.
करि  : करके  
जाँणिये: जानो, परखो.
सारीषा : समान से, स्वंय के जैसे व्यक्ति से.
सूँ : से.
संग : संगती. साथ.
लीर लीर : लीर लीर हो गई है, कट फट गई है.
लोइ : कम्बल, चादर (ऊनी चादर)
थई : चुकी है.
तऊ : तब भी.
ना छाड़ै रंग : रंग नहीं छोडती है.

कबीर साहेब की वाणी है की यदि करनी है तो अपने समान व्यक्तित्व, अपने जैसे किसी व्यक्ति की संगती करो और उसे समझने की कोशिश करो. भाव है की जिसे प्रेम करना है उसे अपने समान बना लो जैसे लोई को रंग देने के बाद रंग और लोई दोनों को प्रथक नहीं किया जा सकता है, भले ही वह लीर लीर हो जाए. लोई चीर चीर (लीर लीर ) होकर नष्ट हो जाती है लेकिन उसका रंग नहीं छूटता है.
 
भाव है की चाहे कितनी भी विपत्ति आए भक्त को अपनी भक्ति को कभी नहीं छोड़ना चाहिए. भक्त और भक्ति में एक समरूपता होनी चाहिए. दिखावे की भक्ति का कोई महत्त्व नहीं होता है. माला जपना, विविध तरह के कपडे आदि पहनना आदि विपत्ति काल में उसी प्रकार से छूट जाते हैं जैसे सांप केंचुली का त्याग कर देता है. प्रस्तुत साखी में निर्दषना और अनुप्रास अलंकार की व्यंजना हुई है.
 
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