देखा देखी पाकड़े जाइ अपरचे छूटि मीनिंग Dekha Dekhi Pakade Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
देखा देखी पाकड़े, जाइ अपरचे छूटि।बिरला कोई ठाहरे, सतगुर साँमी मूठि॥
Dekha Dekhi Pakade, Jai Aparche Chhuti,
Birala Koi Thahare, Satgur Sami Moothi.
देखा देखी पाकड़े : देखा देखि में जो लोग भक्ति मार्ग को पकड़ लेते हैं.
जाइ अपरचे छूटि : अपरिचय के कारण छूट जाता है.
बिरला कोई ठाहरे : कोई बिरला ही ठहर पाता है.
सतगुर साँमी मूठि : सतगुरु ज्ञान की मूठ चलाते हैं / ज्ञान की वाणी.
देखा देखी : लोगों की देखा देखी, देखकर.
पाकड़े : पकडे.
जाइ अपरचे छूटि : अपरिचय छूट जाता है.
बिरला : कोई एक आध.
कोई ठाहरे : कोई नहीं ठहर पाता है.
सतगुर साँमी मूठि : सतगुरु के ज्ञान के आगे.
जाइ अपरचे छूटि : अपरिचय के कारण छूट जाता है.
बिरला कोई ठाहरे : कोई बिरला ही ठहर पाता है.
सतगुर साँमी मूठि : सतगुरु ज्ञान की मूठ चलाते हैं / ज्ञान की वाणी.
देखा देखी : लोगों की देखा देखी, देखकर.
पाकड़े : पकडे.
जाइ अपरचे छूटि : अपरिचय छूट जाता है.
बिरला : कोई एक आध.
कोई ठाहरे : कोई नहीं ठहर पाता है.
सतगुर साँमी मूठि : सतगुरु के ज्ञान के आगे.
कबीर साहेब की वाणी है की जो लोग देखा देखि में भक्ति करते हैं वे यदि सतगुरु के परिचय के अभाव में भक्ति को अधिक समय तक नहीं कर पाते हैं. ऐसे लोग भक्ति के
प्रति दृढ नहीं बन पाते हैं. सतगुरु के ज्ञान रूपी बाण (मूठ) के समक्ष कोई बिरला ही ठहर पाता है.
कबीर दास जी के अन्य दोहे सरल हिंदी अर्थ सहित यहाँ देखें (Kabir Das Ke Dohe Saral Hindi Arth Sahit Dekhe)
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