जोरी करी जिबह करै कहते हैं ज हलाल मीनिंग Jori Kari Jibah Kare Meaning Kabir Dohe

जोरी करी जिबह करै कहते हैं ज हलाल मीनिंग Jori Kari Jibah Kare Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

जोरी करी जिबह करै, कहते हैं ज हलाल।
जब दफतर देखंगा दई, तब हैगा कौंण हवाल॥
Jori Kari Jibah Kare, Kahae Hain Je Halaal,
Jab Daftr Dekhega, Dayi Tab Hega Koun Havaal.

जोरी करी जिबह करै : बलपूर्वक हत्या करना.
कहते हैं ज हलाल : उसे धार्मिक क्रिया के अनुकूल हलाल करना घोषित करते हैं.
जब दफतर देखंगा दई : जब दफ्तर, दरबार में लेखा जोखा होगा तो कौन हवाल होगा.
तब हैगा कौंण हवाल : तब तुम्हारा क्या होगा, कौन जवाबदार होगा.
जोरी : जोर जबरदस्ती.
करी : किया, करी .
जिबह : क़त्ल किया, वध किया.
करै : किया.
कहते हैं ज : जो यह कहते हैं.
हलाल : धर्म के अनुकूल वध है.
जब दफतर देखंगा : जब दरबार में जाएंगे.
कौंण : कौन.
हवाल : मालिक, जवाबदार.

कबीर साहेब की वाणी है की काजी और मुल्ला धर्म का आडम्बर करते हैं, वे हृदय से इश्वर को भुला चुके हैं. वे बलपूर्वक जीव की हत्या करते हैं, और इसे धर्म के अनुकूल बताते हैं. इसके उपरान्त जब तुम्हारे कर्मों का हिसाब माँगा जाएगा तो तुम्हारा कौन जवाबदार होगा ? भाव है की हमें हमारे किये गए कार्यों के लिए स्वंय ही जवाबदार होना पड़ेगा.
कोई अन्य हमारे कर्मों का लेखा नहीं दे सकता है . जो धार्मिक आडम्बर करते हैं वे अवश्य ही कर्मों के परिणाम के भागी बनते हैं. यदि हमारे कर्म अच्छे नहीं हैं तो अवश्य ही हमें  ही इसका परिणाम भोगना होगा. इसके साथ ही कबीर साहेब का जीव के प्रति दयाभाव दिखाई देता है. वे जीव हत्या के विरोधी थे.
 

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