काजी मुलाँ भ्रमियाँ चल्या दुनीं कै साथि मीनिंग
काजी मुलाँ भ्रमियाँ चल्या दुनीं कै साथि मीनिंग
काजी मुलाँ भ्रमियाँ, चल्या दुनीं कै साथि।दिल थैं दीन बिसारिया, करद लई जब हाथि॥
Kaji Mula Bhramiya, Chalya Duni Ke Sathi,
Dil The Deen Bisariya, Karad Layi
Kaji Mula Bhramiya, Chalya Duni Ke Sathi,
Dil The Deen Bisariya, Karad Layi
काजी मुलाँ भ्रमियाँ : काजी और मुल्ला भ्रम के शिकार हैं.
चल्या दुनीं कै साथि : दुनिया के साथ चल पड़ा है.
दिल थैं दीन बिसारिया : हृदय से धर्म को विस्मृत कर बैठे हैं.
करद लई जब हाथि : हाथों में जब वे कटार ले लेते हैं.
काजी मुलाँ : काजी और मुल्ला, धर्म को मानने वाले, धर्म गुरु.
भ्रमियाँ : भ्रम का शिकार.
चल्या : चल पड़े हैं.
दुनीं कै साथि : दुनिया के साथ.
साथि : साथ, अनुसरण.
दिल : हृदय.
थैं : से.
दीन : इश्वर.
बिसारिया : विस्मृत कर दिया है.
करद : कटार.
लई : ले ही है (हाथ में ले ली है)
जब हाथि : हाथों में.
चल्या दुनीं कै साथि : दुनिया के साथ चल पड़ा है.
दिल थैं दीन बिसारिया : हृदय से धर्म को विस्मृत कर बैठे हैं.
करद लई जब हाथि : हाथों में जब वे कटार ले लेते हैं.
काजी मुलाँ : काजी और मुल्ला, धर्म को मानने वाले, धर्म गुरु.
भ्रमियाँ : भ्रम का शिकार.
चल्या : चल पड़े हैं.
दुनीं कै साथि : दुनिया के साथ.
साथि : साथ, अनुसरण.
दिल : हृदय.
थैं : से.
दीन : इश्वर.
बिसारिया : विस्मृत कर दिया है.
करद : कटार.
लई : ले ही है (हाथ में ले ली है)
जब हाथि : हाथों में.
कबीर साहेब की वाणी है की काजी और मुल्ला दोनों ही भ्रम के शिकार हो गए हैं. वे माया के भ्रम जाल में फंस गए हैं. उन्होंने अपने हृदय से धर्म को विस्मृत कर दिया है और जगत का अनुसरण करने लगे हैं. जब वे अपने हाथ में कटार लेकर आते हैं और पशुओं का वध करते हैं तो वह अपने हृदय से इश्वर और धर्म को विस्मृत कर देता है. भाव है की काजी और मुल्ला ऐसे तो धर्म पर चलने का दिखावा करते हैं, ब्रह्म को एक मानते हैं लेकिन पशुओं का वध करने के दौरान वे यह भूल जाते हैं की पूर्ण ब्रह्म एक ही है. हाथों में क़टार को लेकर वे अपने धर्म को भुला बैठते हैं.
भाव है की धर्म हमें सदाचार सिखाता है, कोई धर्म पशु पर अत्याचार की अनुमति नहीं देता है. अतः प्रत्येक व्यक्ति को धर्म के अनुसार हृदय से सदाचार का आचरण करना चाहिए.
भाव है की धर्म हमें सदाचार सिखाता है, कोई धर्म पशु पर अत्याचार की अनुमति नहीं देता है. अतः प्रत्येक व्यक्ति को धर्म के अनुसार हृदय से सदाचार का आचरण करना चाहिए.
|
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |